इन्हें कौन सी आज़ादी चाहिए ??? : श्रवण कुमार शर्मा
समर शेष है , पाप में नहीं केवल अपराधी है व्याध . जो तटस्थ हैं ,समय लिखेगा उनका भी अपराध.——- .रामधारी सिंह दिनकर .देश में एक भयंकर युद्ध चल रहा हैं ,देश द्रोहियों और देश प्रेमियों के बीच .यह युद्ध महाभारत और पानीपत की अंतिम लडाई से भी बहुत बड़ा है .देश के अस्तित्व के सामने बड़ा संकट हैं .भारत तेरे टूकड़े होंगे -इंशाल्ला .यह नारा खुलेआम लगाना कोई सामा न्य बात नहीं हैं .भारत को तोडने और अशक्त करने की लंबी साजिश में कुछ कथित छात्र ,पत्रकार और कथित बुद्धिजीवी शामिल हो चलें हैं .आप युद्ध जीत सकते हैं ,आतंकवादी को भी मार सकते हैं ,पर इन जयचन्दों का क्या करेंगे? .जे एन यू परिसर में कुछ छात्र तथा छात्राओं एवम छात्र नेताओं द्वारा खुलेआम देश विरोधी नारे लगाये गये.कुछ.देशप्रेमी मीडिया द्वारा मामला उठाने पर दिल्ली पुलिस द्वारा ऍफ़ आईआर दर्ज़ हुई और केवल एक छात्र नेता गिरफ्तार हो सका है. हंगामा मचा हुआ है.कुछ कथित बुद्धिजीवियों द्वारा इसे बच्चों की शरारत कह कर ध्यान न दिए जाने का उपदेश दिया गया और कुछ इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला मान रहें हैं.समझ नहीं आ रहा है कि इस देश को क्या हो गया है?क्या नारों की भाषा अबोध बालकों की भाषा है?बन्दूक की नोक पर लेंगें आज़ादी——-अफज़ल हम शर्मिदां हैं , तेरे कातिल जिन्दा हैं.क्या यह विचारों की अभिव्यक्ति है या देश के विरुद्ध खुली बगावत है? ये कौन लोग हैं?यह तो ज़ाहिर है कि ये लोग देश की अखंडता में विश्वास नहीं रखते हैं , हिंसा और हथियारों के द्वारा देश के टुकड़े करना चाहते हें .कश्मीर को कथित रूप से आजाद करना चाहते हें , अफज़ल गुरु इनके नायक है , आदर्श है , मतलब देश की संसद के भवन को उडा देना और सांसदों की हत्या करना इनके लिए आदर्श कार्य हैं. क्या ये देश द्रोही नहीं हैं?इनमें से अधिकंश युवक और युवतियां प्रतिबंधित वामपक्षी संगठनों के सदस्य है या कश्मीर के अलगाववादी हैं और अपनी गतिविधियों को सरंक्षण देने के लिए जेंयु के स्टूडेंट बन गये हैं. इन्हें वामपंथी शिक्षकों का पूरा संरक्षण प्राप्त है , जिन्होंने इस विश्वविद्यालय का अपना गढ़ बना लिया है.यह भी समाचार है कि इस प्रदर्शन के लिए बड़ी संख्या में यवक औए लड़कियां बाहर से लाए गये थे , जो अब फ़रार हो गये है और कुछ कैम्पस में छुपें हैं .पूरा ड्रामा प्रयोजित था.दुश्मन नयी रणनीति बना चुका है , जिसके केंद्र ये कथित बह्रूपियें छात्र होंगे. यदि सख्ती की जाएगी तो देश के वोट लोलुप नेता और पत्रकार देश और समाज की छवि खराब करेंगे .देश को भी नयी रणनीति बनानी पड़ेगी .
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