टेन न्यूज़ नेटवर्क पर पिछले लंबे समय से ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें देश-विदेश के लोग शामिल होते हैं और अपनी बात रखते हैं। वही टेन न्यूज पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी एडवोकेट जनरल मनोज गोरकेला की सफलता की कहानी को लेकर बातचीत हुई।
कार्यक्रम का संचालन टेन न्यूज़ के बेहद ऊर्जावान एंकर राघव मल्होत्रा ने किया। उन्होंने कार्यक्रम का बेहद बखूबी और ऊर्जा के साथ संचालन किया। वहीं उन्होंने अपने सवालों के जरिए लोगों तक वह बात पहुंचाने की कोशिश की जो लोगों के जीवन में प्रेरणादायी होगी।
*पेश हैं डिप्टी एडवोकेट जनरल मनोज गोरकेला से बातचीत के मुख्य अंश*
मनोज गोरकेला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जब कोई व्यक्ति अपने जीवन में किसी मुकाम तक पहुंच जाता है, तो उसे लगता है कि उसके बराबर जीवन में किसी और ने संघर्ष नहीं किया है और मुझे भी ऐसा ही लगता है। मैं आज जि मुकाम पर हूं, उसके लिए मैंने बहुत संघर्ष और परिश्रम किया है। जिसके चलते आज मैं कुछ बन सका हूं।
मनोज गोरकेला का जन्म 27 सितंबर धरचूला में हुआ। यह स्थान उत्तराखंड में काली नदी के किनारे है। यह एक पूरा ट्रैवल एरिया है। ऐसे क्षेत्र में बारिश के समय में बहुत सी समस्याएं रहती हैं, यहां पहाड़ गिर जाते हैं जिससे बड़ी दुर्घटनाएं हो जाती हैं।
मनोज गोरकेला की शुरूआती पढ़ाई उत्तराखंड में ही हुई। उन्होंने कहा कि जब बर्फबारी होती थी तो पहाड़ गिरने से रोड ब्लॉक हो जाते थे। तब हम 60 किलोमीटर चलकर पढ़ाई के लिए जाते थे। उन्होंने बताया कि एक बार वहां पर इतनी बर्फबारी हुई थी कि स्कूल जाते समय मैं उसमें दब गया था। बड़ी मुश्किलों से लोगों ने मुझे ढूंढा था। कहने का तात्पर्य है कि जीवन में इतना संघर्ष किया है कि बहुत से लोग ऐसी परिस्थितियों से अंजान रहते हैं।
उन्होने बताया कि उस क्षेत्र में स्थिति यह है कि वहां नदियों में 6 महीने उफान की स्थिति रहती है, जिसके चलते बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं। केवल 6 महीने की पढ़ाई करते हैं। उन्होंने बताया कि मैं बचपन से ही बहुत जिद्दी था। पढ़ाई के लिए हमेशा तैयार रहता था। कभी स्कूल की छुट्टी नहीं करता था। बिना सुविधाओं के हमने अपनी पढ़ाई पूरी की है।
उन्होंने बताया कि जब 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई की तो उस दौरान कई विषयों के शिक्षक नहीं थे, इसके बाद भी हमने मन लगाकर पढ़ाई की और मुकाम हासिल किया।
आपको बता दें कि मनोज गोरकेला को कोलंबिया यूनिवर्सिटी, ट्रिनिटी यूनिवर्सिटी समेत कई अन्य यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने का मौका मिला। उन्होंने बताया कि मेरे जीवन में तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण थी एक तो मैं हमेशा ऊंची सोच रखता था कि मुझे बहुत ऊंचा जाना है। दूसरा, किसी भी मुकाम को हासिल करने के लिए कठिन परिश्रम और लगन का होना बेहद जरूरी है और तीसरा यह कि आप किस तरह की सोच रखते हैं अपने लक्ष्य को लेकर।
उन्होंने बताया कि 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद मैं घर छोड़कर भाग गया। घर वालों को लगा कि यह जीवित नहीं है, फिर उन्हें पता चला कि यह पढ़ाई के लिए नैनीताल गया हुआ है। जिसके बाद मैं लखनऊ चला गया। घरवाले सोचते थे कि मनोज पिथौरागढ़ में रहकर पढ़ाई करें। शुरू से ही लगता था सुप्रीम कोर्ट में वकील बनना है।
मनोज गोरकेला ने बताया कि जब वह बहुत छोटे थे तो उनके पिताजी की मृत्यु हो गई थी। उनकी बीमारी में धन, दौलत, जमीन सब जा चुकी थी। उस वक्त कोई भी मदद करने के लिए आगे नहीं आया।
मनोज गोरकेला ने बताया कि जब मैं लखनऊ, लॉ करने के लिए गया तो पूरे यूपी में लाॅ के लिए एक ही कॉलेज था और मैं पूरे यूपी का पहला ऐसा छात्र रहा जो एनएचआरसी मैं इंटर्नशिप के लिए आया और मैं इकलौता छात्र था जो यूपी के लिए मूट कोर्ट कंपटीशन में कोलकाता गया।
उस जमाने में मैंने काफी मेहनत की और लोगों ने मेरी तारीफ की। फिर विदेश में पढ़ाई के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी। उन लोगों का साथ भी मिला। आज के समय में दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश बचा हो, जहां में नही गया हूं और जो मेरे सपने थे, मैं उन्हें साकार कर रहा हूं।
उन्होंने बताया कि पिताजी का एक ही सपना था वह मुझे हाई कोर्ट का जज बनते हुए देखना चाहते थे और अब मैं उसी दिशा में कार्य कर रहा हूं और उम्मीद है कि 2025 तक मेहनत रंग लाएगी।
मनोज गोरकेला ने बताया कि उन्होंने जीवन बहुत बुरा समय भी देखा है। लेकिन आज के वक्त में दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश में उनका कार्यालय है। उन्होंने बताया कि बचपन से मेरा सपना था कि उनके पास काले रंग की मर्सिडीज कार हो और यह सपना भी पूरा हो चुका है।
उन्होंने बताया कि जीवन में अभी बहुत कुछ करना बाकी है जिसके लिए लगातार मेहनत जारी है। अपने सपनों को उड़ान देने के लिए वह दिन रात एक करते हैं। जीवन में ऐसा भी समय आया जब न जाने कितनी रातें उन्हें रेलवे स्टेशन पर बितानी पड़ी।
उन्होंने बताया कि जेब में पैसे नहीं होते थे, तो हम दिल्ली से यूपी के चंदौसी तक रेल में बिना टिकट के यात्रा करते थे। उस वक्त मजबूरी थी, क्योंकि पैसे नहीं थे। लेकिन आज वक्त ने करवट ली और मेहनत रंग लाई है।
उनके पास कई इंटरनेशनल फ्लाइट्स की मेंबरशिप है। दुनिया के कई बड़े होटल्स की भी उनके पास मेंबरशिप है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति अपने सपनों को पाने के लिए मेहनत करें तो मंजिलें भी खुद उसका साथ देने में जुट जाती हैं। इंसान को कभी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।
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