भाईचारे से मंदिर बनना चाहिए, मतभेद से नहीं : सुशील गोस्वामी महाराज

Abhishek Sharma

Greater Noida (10/12/18) : राम मंदिर का मुद्दा आजकल काफी गरमा रहा है, चुनाव भी नजदीक है तो इस मुद्दे को लेकर सभी राजनैतिक दल इस मुद्दे पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है।
राम मंदिर को बनाने के लिए देशभर में सभाओं का आयोजन किया जा रहा है। अयोध्या में भी सैकड़ों हिन्दू दलों के लोग राम मंदिर को बनाने के लिए धरना दे रहे है। इसके लिए कुछ दिनों पहले अयोध्या में एक धर्मसभा का भी आयोजन किया गया था। हालांकि इसका अभी कोई परिणाम नहीं निकल सका है।

राम मंदिर के मुद्दे को लेकर टेन न्यूज़ ने, सुशील गोस्वामी महाराज से बात की और जाना कि राम मंदिर के निर्माण में संतो की क्या भूमिका हो सकती है।

राम मंदिर का जो मुद्दा चल रहा है उसपर आपकी क्या राय है, क्या राम मंदिर बनना चाहिए? और अगर बनना चाहिए तो किस तरह से बनना चाहिए ?

मर्यादा पुरुषोत्तम राम का भारत के कण-कण से जुड़ाव है, यह आस्था का विषय है और अयोध्या में राम मंदिर अवश्य बनना चाहिए, इसमें कोई दोराय की बात नहीं है। परन्तु कब बनना चाहिए और राम मदिर बने और उसकी वजह से भाईचारा खत्म हो यह भगवान् का सन्देश नहीं है। भगवान् राम ने पूरी संस्कृति को जोड़कर रखा और उनका अनुशरण करने वाले लोग भी किसी भेदभाव को नहीं मानते। किसी भी तरह का कोई सांप्रदायिक दंगा न हो, ऐसे वातावरण में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए।

विपक्ष ने सरकार से यह भी कहा है कि संसद में अध्यादेश लाना चाहिए जिससे की राम मंदिर का निर्माण हो सके, तो इसमें आपकी क्या राय है ?

देखिये पक्ष-विपक्ष की जहां तक बात है तो हम संत लोगों का किसी भी राजनैतिक दल से कोई लेना देना नहीं है, राम मंदिर बनना चाहिए इसको लेकर किसी भी व्यक्ति के मन में कोई दोराय नहीं है, परन्तु बन नहीं रहा है ये पीड़ा हर व्यक्ति के मन में है। ऐसा नहीं है कि राम मंदिर बनाना सिर्फ हिन्दुओं के मन में है परन्तु पूरा भारतवर्ष यही चाहता है। अगर सरकार द्वारा अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण होता है तो इसमें मैं कोई बुराई नहीं समझता हूँ। इस विवाद का कही न कही किसी तरीके से समाधान हमे ढूँढना होगा।
मुस्लिम समुदाय भी राम मंदिर के निर्माण के विपरीत नहीं है वो भी चाहते है कि मंदिर बने। मगर विवादित बात ये है कि मंदिर उसी गिराए हुए ढाँचे पर बने। मेरा इस विषय में ये कहना है कि जो सर्वोच्च न्यायालय है उसके फैसले की अभी प्रतीक्षा करनी चाहिए। जहां इतना समय लगा है थोड़ा सा और समय लग जाएगा। मगर भारतवासियों में कटुता और आपसी मतभेद और भाईचारा खंडित न हो मेरा यह मत है।

राम मंदिर पर राजनीतिक दलों ने चुनावों के समय पर इसका बहुत फायदा उठाया है तो इस मुद्दे पर संत समाज की क्या भूमिका हो सकती है जिससे कि राम मंदिर का निर्माण हो सके ?

देखिये ये बहुत ही पुराना विवाद है इस मामले को काफी वर्ष बीत चुके हैं और इसका हल आज ही हो जाए ऐसा तो हो नहीं सकता। हल होना चाहिए लेकिन भाईचारा खत्म न हो। अगर किसी एक पक्ष की तरफ से जोर जबरदस्ती से ये होता है तो इससे आपसी मतभेद बढ़ेगा और भाईचारा खत्म हो जाएगा। मेरा ये मानना है कि इतना समय लगा है, थोड़ा और समय लग जाए उसमे कोई परेशानी नहीं है। राम का सन्देश यही है कि सब आपस में मिल-जुलकर रहे।


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