ग्रेटर नोएडा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर टेन न्यूज़ लाइव परिचर्चा का आयोजन – स्वच्छ ग्रेटर नोएडा कैम्पेन नतीजा

Ten News Network

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Greater Noida : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 15 अगस्त 2019 से ग्रेटर नोएडा की सभी सोसाइटी के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट आवश्यक कर दिया था। इसके अंतर्गत अब हर सोसाइटी को उसका कूड़ा कचरा खुद ही निस्तारित करना होगा। उसे बाहर नही फेका जा सकता और न ही अथॉरिटी द्वारा चिन्हित डंपिंग ग्राउंड में डाला जा सकता है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट की बात करे तो गौर सिटी के अलावा अधिकांश सोसाइटी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए कोई व्यवस्था नही है। डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक अधिकांश बिल्डर कूड़ा निस्तारण के लिए ट्रेक्टर में कूड़ा भरकर बाहर डंप करते है। प्रशासन की सख्ती के बाद अब ट्रेक्टर द्वारा कूड़ा निस्तारण अब मुश्किल होता जा रहा है।

प्रोफेसर विवेक कुमार टेन न्यूज़ नेटवर्क पर सच्ची बात कार्यक्रम का संचालन करते आ रहे हैं। जिसमें अलग-अलग क्षेत्र के लोग किसी भी अहम मुद्दे पर चर्चा करते हैं और चर्चा के दौरान समस्याओं और समाधान पर भी जोर दिया जाता है। प्रोफेसर विवेक कुमार ने इस कार्यक्रम के संस्करण का बेहद बखूबी संचालन किया। जिसमें ग्रेटर नोएडा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर प्रबुद्ध जनों के बीच चर्चा हुई।

कार्यक्रम के पैनलिस्ट

शिव प्रताप शुक्ला, ओएसडी , ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, कैप्टेन मंजू मिन्हास, संस्थापक एवं निदेशक, सिफर ज़ाया एनवायर्नमेंटल सस्टेनिबिलिटी ट्रस्ट, राजीव सिंह, अध्यक्ष नोफा, प्रवीण नायक, गार्बेजोलोजिस्ट, फाउंडर गार्बेज क्लिनिक, डॉ दीक्षा दवे, असिस्टेंट प्रोफेसर, एनवायर्नमेंटल स्टडीज, विवेक अरोड़ा, यूनिटेक कास्केड अपार्टमेंट, संजय मिश्रा, इंडिया ईएचएस लीड, सीएनएच इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी शिव प्रताप शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की तरफ से मैं यह कहना चाहूंगा कि यह शहर बेहद योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया है। हम स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में मैनुअल स्वीपिंग, मैकेनिकल स्वीपिंग के जरिए सफाई की व्यवस्था कराई जा रही है। ग्रेटर नोएडा में सी एंड डी वेस्ट बड़ी समस्या बनती जा रही है। जिसको लेकर प्राधिकरण ने हाल ही में एक स्थान चिन्हित किया है। जहां सीएनडी लिस्ट डाला जाए।

उन्होंने बताया कि इसी क्रम में लखनावली में एक रिमेडियेशन का टेंडर निकाला है और आने वाले समय में इस दिशा में भी भी हम अच्छा कार्य करेंगे। वर्तमान में शहर में 130 किलोमीटर सड़कों की मैकेनिकल स्वीपिंग के जरिए सफाई की जाती है। दफ्तर में बैठकर इसकी मॉनीटरिंग भी अधिकारी कर सकते हैं।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सफाई बड़ी समस्या बनती जा रही थी जिसको देखते हुए प्राधिकरण ने सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर कार्य करना शुरू किया है। सामाजिक संगठनों के लोग भी इसकी मॉनिटरिंग खुद करते हैं। यहां सोसाइटी में से बड़ी मात्रा में कूड़ा निकलता है। इसके लिए उन्हें खुद जिम्मेदार बनाया गया है। कूड़े को अलग कर उसका निस्तारण करेंगे।

उन्होंने कहा कि अक्रिय अपशिष्ट हमारे लिए बड़ी समस्या है। इसके लिए भी हमने व्यवस्था की है कि अक्रिय अपशिष्ट को प्राधिकरण उठाएगा और इसके लिए प्रत्येक फ्लैट से ₹50 वसूले जाएंगे। सभी लोगों ने इसको अपनाने की दिशा में एक कदम उठाया है लेकिन मुझे लगता है अभी भी इस में काम करने की आवश्यकता है। इसके लिए भी हम एक नया टेंडर करने जा रहे हैं। इसके तहत बड़ी मात्रा में जहां से कूड़ा निकलता है, वह भी उसका निस्तारण करा सकेंगे। आने वाले समय में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर कार्य किए जाने हैं। जल्द ही इसके अच्छे परिणाम सामने आने लगेंगे।

राजीवा सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि जो भी स्वच्छता को लेकर हम कदम उठाएंगे, वह सस्टेनेबिलिटी सलूशन के तहत होना चाहिए। आज से लगभग 6 वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देश में सफाई को लेकर भाषण दिया था। जिसके बाद स्वच्छता के प्रति एक जन आंदोलन का माहौल बन गया। जब तक लोगों में जागरूकता नहीं होगी, तब तक किसी भी परेशानी का समाधान नहीं हो सकता

उन्होंने कहा कि नोएडा ग्रेटर नोएडा में लगभग 500 हाईराइज सोसाइटी हैं, जहां से बड़ी मात्रा में कचरा निकलता है। राजीवा सिंह ने कहा कि 2016 तक कचरे को अलग अलग करने के बारे में कोई नहीं जानता था। आज की तारीख में देखें तो लगभग 80 फीसद लोग कचरे को अलग अलग कर रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन लोगो और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग के बिना पूरा नहीं हो सकता था।

उन्होंने कहा कि हम 100 सोसायटियों में लगभग 200 प्रजेंटेशन स्वच्छ भारत और वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर दे चुके हैं और इसके रिजल्ट देखने को मिल रहे हैं। एक समय में नोएडा की स्वच्छता में रैंकिंग 324 थी, फिर 150 हुई और अब हम उम्मीद करते हैं कि ग्रेटर नोएडा भी स्वच्छता में नंबर वन रैंकिंग हासिल करेगा।

स्वच्छता अभियान के तहत लोगों को रोजगार मिल रहा है। हम लोगों को नए वेस्ट कलेक्टर मिल रहे हैं। जब से स्वच्छता पर बात हुई है तो काफी चीजें सुधरी हैं और जो पॉइंट छूट गए हैं उन पर कार्य करने की आवश्यकता है। अब पूरे साल ग्रेटर नोएडा में सफाई होनी शुरू हो गई है।

विवेक अरोड़ा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैंने सेक्टर 47 नोएडा में एक सॉलि़ड वेस्ट का प्रोजेक्ट देखा था। जिसको देखने के बाद 2018 में मैंने भी एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की। क्योंकि हमारी सोसाइटी छोटी थी यहां लगभग 70-80 फ्लैट अधिकृत थे, तो मैंने सोचा कि यहां एक मॉडल बनाया जा सकता है, जिसके जरिए हम वेस्ट को रिसाइकल करके पैसा भी कमा सकते हैं, जिससे कि प्रोजेक्ट लगातार चलता रहे। हमने 9 दिसंबर 2018 में प्रोजेक्ट शुरू किया और यह प्रोसेस 6 महीने चला। 6 महीने तक हमने इस को सुचारू रूप से चलाया।

लेकिन ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का सहयोग इसमें नहीं मिला। 31 दिसंबर 2018 को प्राधिकरण ने अधिसूचना जारी की कि हम ऐसा ही एक प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। लेकिन इसके लिए प्राधिकरण के पास ना कोई योजना थी, ना कोई कंसलटेंट था। सिर्फ सभागार में जाते थे और सुनकर आ जाते थे।

प्राधिकरण ने किसी को भी प्रेक्टिकल मॉडल जारी नहीं किया। उल्टा प्राधिकरण ने लोगों को हमारी सोसाइटी का मॉडल देखकर दूसरा प्रोजेक्ट शुरू करने की नसीहत देनी शुरू कर दी। इसके बाद प्राधिकरण ने कबाड़ा माफियाओं के साथ मिलकर उनको पूरा कचरा देना शुरू कर दिया। इसमें प्राधिकरण के निचले स्तर के कई अधिकारी संलिप्त थे। लेकिन किसी के भी खिलाफ कभी कोई एफआईआर नहीं हुई

कैप्टन मंजू मिन्हास ने बताया कि मैंने कई नगर निगमों के साथ मिलकर स्वच्छता और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता अभियान किए हैं। पूरे भारत में सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या है। सभी लोगों की बात सुनकर एक ही बात समझ में आ रही है कि स्वच्छता और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता अभियान चलाने बेहद जरूरी है, ताकि लोग गीले और सूखे कचरे का मतलब समझ सके।

उन्होंने कहा कि किसी भी शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए बेहद जरूरी है कि वहां अच्छा सिस्टम विकसित होना चाहिए। 2016 में सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम लागू हुआ और 2 साल का समय लोगों को दिया गया कि कूड़े को अलग अलग करने और डिसेंट्रलाइज्ड सिस्टम कैसे सेट होंगे। लेकिन आज भी हम देख रहे हैं कि शहरों में बाइलॉज नहीं बने हैं। हर तरफ से कुछ ना कुछ परेशानियां आ रही हैं।

उन्होंने कहा कि अभी तक सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट के नियमों के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है। लोगों को यह समझाना होगा कि यह जो कचरा है हम इसको फेंक देते हैं। लेकिन किसी ना किसी रूप में यह वापस हमारे पानी, वायु, वातावरण और खाने में मिल रहा है। जो जहर के रूप में हमारे शरीर में जा रहा है। इसीलिए कैंसर की बीमारी बहुत ज्यादा फैल रही है।

संजय मिश्रा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जिस तरह की समस्याएं आवासीय क्षेत्रों में हैं, वही समस्या औद्योगिक क्षेत्रों में भी है। यहां भी कचरे को अलग करना बड़ी चुनौती है। कचरे का प्रबंधन सही नहीं हो पाता है।

उन्होंने कहा कि जो हमारी बड़ी कंपनियां हैं उनमें लगभग 99% कचरे का प्रबंधन हो रहा है। लेकिन छोटी कंपनियों में पूरा फोकस पैसे कमाने पर होता है और सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट को लोग भूल जाते हैं। यहां ना तो कचरे को अलग किया जाता है, ना खुद की रीसाइक्लिंग है। छोटी कंपनियों मैं लोगों को यह तक नहीं मालूम है कि उन्हें अपना कचरा कहां फेंकना है। प्राधिकरण द्वारा कचरे की गाड़ियां चलाई जा रही हैं, उनको इस बारे में भी जानकारी नहीं है।

डॉक्टर दीक्षा दवे ने कहा कि ग्रेटर नोएडा शहर बेहद योजनाबद्ध तरीके से बसाया गया है। यहां दुनिया भर से आकर लोग रह रहे हैं एक वक्त था जब दिल्ली व अन्य क्षेत्र काफी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र थे। तब ग्रेटर नोएडा को देखकर लगता था कि रहने के लिए इससे बेहतर शहर नहीं हो सकता। यहां का खुला वातावरण लोगों को लुभाता था।

उन्होंने कहा कि अब धीरे-धीरे यहां आबादी बढ़ रही है। शहर में काफी विकास कार्य होने हैं। यहां नोएडा एयरपोर्ट, फिल्म सिटी बनने जा रही है, जिसके बाद लोगों की जनसंख्या भी बढ़ेगी। इसके लिए जिला प्रशासन और प्राधिकरण को पहले से ही तैयार रहना चाहिए।

उध्होंने कहा कि लोगों को अभी से ही सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के बारे में जागरूक करना चाहिए ताकि लोग गीले और सूखे कचरे का अंतर समझ सके। अभी तक लोगों को कचरा प्रबंधन के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है। प्राधिकरण को वॉलिंटियर्स के साथ मिलकर कचरा प्रबंधन के बारे में जागरूकता अभियान चलाने चाहिए, ताकि इन लोगों को समझ आए कि कचरे का निस्तारण किस प्रकार किया जा सकता है।

ग्रेटर नोएडा में वर्तमान में लगभग 300 से 350 टन कचरा निकलता है, जिसका निस्तारण करने के लिए प्राधिकरण के पास कोई योजना नहीं है। इस तरफ भी प्राधिकरण को काम करना होगा, ताकि लोगों की समस्या का हल हो सके।

के.पी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि सॉलि़ड वेस्ट कभी भी वेस्ट नहीं जाता है, किसी ना किसी प्रकार से हम उसका इस्तेमाल कर लाभदायक बना सकते हैं। आजकल देखा जा रहा है कि कॉलेजों में भी वेस्ट मैनेजमेंट एक विषय बन गया है। इसके बारे में छात्रों को पढ़ाया जाता है। हम सामान्यता तीन तरह का कचरा देखते हैं। ग्रेटर नोएडा में बड़ी संख्या में हाई राइज सोसायटी हैं। यहां कचरे को कम शपोस्ट करना और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए प्रोजेक्ट लगाने बहुत आसान हैं। इसके अलावा सेक्टरों में अलग तरह की समस्या होती है।

वहीं औद्योगिक क्षेत्रों में सॉलि़ड वेस्ट मैनेजमेंट एक बड़ी समस्या है। बड़ी कंपनियां इस बारे में जागरूक हैं, लेकिन छोटी-छोटी यूनिट अपनी कंपनी के अंदर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट का प्लांट लगाने में असमर्थ हैं। यह पॉइंट उद्योग बंधु की बैठक में कई बार डीएम के सामने रखा जा चुका है। लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। कोई निस्तारण अभी तक नहीं हो पाया है।

उन्होंने कहा कि कंपनियों में जितने ज्यादा वर्कर काम करेंगे उतना ही ज्यादा वेस्ट जनरेट होगा। ई वेस्ट को कलेक्ट करने वाले लोग अलग होते हैं और सॉलि़ड वेस्ट को कलेक्ट करने वाले अलग। अगर औद्योगिक इकाइयों में कचरे को अलग करने और उसका निस्तारण करने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है तो यह एक बड़ी समस्या है।

उन्होंने कहा कि कंपनियों में देखा जाता है कि कचरे को झाड़ू से इकट्ठा करके उसमें आग लगा देते हैं, जिससे प्रदूषण और ज्यादा बढ़ता है। इसको लेकर कई बार जुर्माना भी किया गया है़। लेकिन समस्या यह है कि हम इस कचरे को कैसे निस्तारित करें। प्राधिकरण की तरफ से डंपिंग ग्राउंड का सुझाव नहीं दिया गया था। कचरे का निस्तारण करने के लिए लघु उद्योग भारती ने खुद कार्य योजना बनाई थी।

टेन न्यूज़ पर हुई इस परिचर्चा के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया है, जिसमें शहर को स्वच्छ रखने पर चर्चा की जाएगी। इसके जरिए लोग ग्रेटर नोएडा को स्वच्छ रखने के लिए विचारों का आदान प्रदान कर सकते हैं। इस व्हाट्सएप ग्रुप में ग्रेटर नोएडा के सामाजिक संगठनों के लोग, प्रोफेसर, एक्सपर्ट, एवं प्रबुद्ध जनों को जोड़ा गया है।

Swachch Gr NOIDA Group

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