नोएडा : आज से शुरू हुआ स्वच्छ सर्वेक्षण, सिटीजन फीडबैक तय करेगा रैंक

ROHIT SHARMA

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आज से स्वच्छ सर्वेक्षण के क्वार्टर 3 के लिए सर्वे शुरू हो रहा है। 77 प्रतिशत अंक के लिए होने वाली शहरों की परीक्षा का यह सर्वे पूरी जनवरी चलेगा और मार्च में इसका रिजल्ट आएगा। आपको बता दे कि इस बार रैंकिंग का सबसे ज्यादा दारोमदार सिटीजन फीडबैक पर निर्भर करेगा।

6000 अंकों की परीक्षा में 2000 अंक सिर्फ इसी पर निर्भर हैं। अलग बात यह है कि इस सिटीजन फीडबैक में मिनिस्ट्री ने निगेटिव मार्किंग भी रखी है। यानि अगर कोई शहर स्वच्छता के नाम पर शहर में बड़े-बड़े काम करने का दावा करता है और डॉक्युमेंट अपलोड करके नंबर हासिल करने का प्रयास करता है, तो इस बार उसे यह प्रयास भारी पड़ेगा। क्योंकि डॉक्युमेंट के दावे अगर सिटीजन फीडबैक में सही साबित नहीं होते हैं तो निगेटिव मार्किंग के प्रावधान से किसी भी कैटिगरी में मिले कुल नंबरों में नंबर कट जाएंगे और इसका सीधा असर रैंक पर पड़ेगा।

यह हैं फीडबैक देने के माध्यम
-मिनिस्ट्री की ओर से चिह्नित की गई एजेंसी लोगों को डायरेक्ट फोन करके फीडबैक लेगी।
-एजेंसी की टीम सर्वे के दौरान डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन के तहत खुद फीडबैक लेगी।
-स्वच्छता ऐप और ss2020.org वेबसाइट को भी फीडबैक का माध्यम बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया है।
-फीडबैक में कुल 12 सवाल लोगों से पूछे जाएंगे।

स्वच्छता रैकिंग के कामों का इस बार बड़ा है दायरा
इस बार स्वच्छ सर्वेक्षण में अंकों का गणित और अलग-अलग कैटिगरी में होने वाले कामों का दायरा काफी बड़ा है और परफार्मेंस की ग्राफ भी काफी पेंचीदा है। कूड़ा कलेक्शन व ट्रांसपोर्टेशन के 500 अंक निर्धारित हैं। इनमें 100 नंबर हर घर से कूड़ा उठाने के हैं, 125 सेग्रीगेशन के हैं, 35 इटीग्रेटेड सिस्टम बनाने के हैं, 10 नंबर कमर्शल एरिया में दो बार सफाई कराने हैं।

इसी तरह कूड़े की प्रोसेसिंग और डिस्पोजल कैटिगरी के 700 नंबर हैं। लेकिन इसमें 5-6 कैटिगरी में नंबरों को बांटा गया है। तीसरी कैटिगरी सस्टेनेबर सेनिटेशन की है, इसमें 500 अंक निर्धारित हैं। इसके तहत भी सीवरेज वेस्ट निस्तारण से लेकर कई अलग-अलग कैटिगरी बनाई गई हैं। चौथी कैटिगरी बिहेवियर चेंज को लेकर बनी है। इसमें 160 अंक निर्धारित हैं। इसके अलावा जागरूकता के 200 अंक हैं। कैपेसिटी बिल्डिंग के 100 अंक हैं। कुल मिलाकर 15-20 अलग-अलग ऐसे प्वाइंट हैं, जिनके कामों के आधार अंक निर्धारित किए गए हैं। अगर सर्वे में मॉनिटरिंग भी उतनी ही गंभीरता से होती है तो इस बार सभी शहरों के लिए यह प्रतियोगिता कठिन मानी जा रही है।

नोएडा में कहां है मजबूत, कहां है कमजोर-नोएडा में अपने पुराने कूड़े का निस्तारण कर लिया है और पर्यावरण के मानकों का जिस तरह पालन किया उसके आधार पर देश में इस मामले में नंबर 1 पर है। इसके स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट में अवॉर्ड भी मिलने जा रहा है।
-145 सेक्टरों और 81 गावों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन हो रहा है।
-करीब 30 बाजारों में नाइट स्वीपिंग शुरू हो गई है। अभी 50-60 और बचे हुए हैं।
-शहर की सड़कों पर सफाई व्यवस्था अच्छी हुई है, क्योंकि विलोपित कूड़ाघर खत्म हो रहे हैं।
-प्लास्टिक वेस्ट के लिए नोएडा ने बेहतर प्रयास किया है।
-ई वेस्ट कलेक्शन के लिए डस्टबिन लगाई गई हैं।
इसमे हैं कमजोर
-सेग्रिगेशन में नोएडा कमजोर है, 2 प्रतिशत कूड़े का भी सेग्रिगेशन नहीं हो रहा है। जो सेग्रिगेटेड दे रहे हैं वो बाद में मिक्स हो जाता है।
-कूड़े के निकलने वाले ठोस पदार्थों का निस्तारण नहीं हो रहा। करीब 1200 टन कूड़ा डंपिग ग्राउंड में जा रहा है।
-सेंट्रालाइज्ड स्थाई कूड़ा निस्तारण प्लांट नहीं है और न इसके लिए जगह चिह्नित हो पाई है।
-डिसेट्रालाइज्ड प्लांटों में आंकड़ों के मुताबिक 5 प्रतिशत से कम प्रोसेस हो पा रहा है।
-अवैध कालोंनियों में कूड़ा कलेक्शन का कोई सिस्टम नहीं है वहां सड़कों पर कूड़ा पड़ा रहता है। करीब 90 से ज्यादा ऐसी कालोनियां हैं।
-मल-मूत्र के निस्तारण को लेकर काम नहीं हुआ। अभी भी करीब 3 लाख से ज्यादा लोगों के मलमूत्र सीधे नाले नालियों में जा रहा है।

वही इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के ओएसडी अविनाश त्रिपाठी का कहना है की पिछले कई महीने से हम लोग लगातार मेहनत कर रहे हैं। रैंकिंग जो भी रहे लेकिन अथॉरिटी ने अच्छा प्रयास किया है और पूरी उम्मीद है अच्छे पायदान पर रहेंगे। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद भी यह स्तर बना रहे इसका प्रयास किया जाएगा।

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