रेप की घटना में प्राथमिक जवाबदेही सरकार की होनी चाहिए, टेन न्यूज पर ‘हाथरस की गुडिया’ कार्यक्रम में बोले पूर्व आइएएस एन.पी सिंह
Abhishek Sharma
दरिन्दगी का शिकार होकर मौत के आगोश में समाने वाली ‘हाथरस की गुडिया’ के हत्यारों को फांसी दिये जाने की मांग की जा रही है। पूरे देश में इस शर्मनाक घटना को लेकर आक्रोश का माहौल है। लोग सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। वही विपक्ष भी पूरी तरह से सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है।
मीडिया भी हाथरस में डेरा जमा कर मौके पर मौजूद है और पीड़ित परिवार की आवाज को उठाया जा रहा है। इस मामले में जिन अफसरों की लापरवाही सामने आई थी, उन्हें उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने सस्पेंड कर दिया है। वहीं केस की जांच के लिए सीबीआई को जिम्मा सौंपा गया है।
इसी को लेकर टेन न्यूज़ नेटवर्क ने लाइव कार्यक्रम ‘सच्ची बात : प्रोफेसर विवेक कुमार के साथ’ का आयोजन किया, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से जुडे लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का शीर्षक ‘हाथरस की गुडिया : सरकार, विपक्ष, मीडिया और समाज की भूमिका’ रहा।
आपको बता दें कि प्रोफेसर विवेक कुमार टेन न्यूज़ नेटवर्क पर सच्ची बात कार्यक्रम का संचालन करते आ रहे हैं। जिसमें अलग-अलग क्षेत्र के लोग किसी भी अहम मुद्दे पर चर्चा करते हैं और चर्चा के दौरान समस्याओं और समाधान पर भी जोर दिया जाता है। प्रोफेसर विवेक कुमार ने इस कार्यक्रम के 16वें संस्करण का बेहद बखूबी संचालन किया।
कार्यक्रम के पैनलिस्ट –
– एन.पी सिंह, पूर्व आइएएस
-मनोज गोरकेला, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट, डिप्टी एडवोकेट जनरल, उत्तराखंड सरकार
– संचार रत्न महेश कुमार सेठ, महाप्रबंधक, दूरसंचार
– नीता अवस्थी, निदेशिका, जीएल बजाज ग्रुप आॅफ इंस्टीट्यूशंस, मथुरा
– के.एम कपूर, पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार, सुप्रीम कोर्ट
– अनुपम रमेश किंगर, बहरीन में ख्वाबगाह नाटक कंपनी चलाती हैं, इकाॅनाॅमिक्स की प्रोफेसर, दिल से कहानीकार
– देवेंद्र दीक्षित ‘शूल’ कवि एवं प्रधाध संपादक, हिंदि सुरभि
पूर्व आईएएस एनपी सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह एक बेहद दुखद घटना हैं और यही नहीं बल्कि देशभर में जितने भी रेप होते हैं, वह बेहद दुखद एवं शर्मनाक होते हैं। देश में रेप होना हम सबके लिए सामूहिक असफलता और राष्ट्रीय शर्म की बात है। आंकड़ों की बात करें, क्योंकि मैं प्रशासन में रहा हूं, आंकड़े स्थिति को पूरी तरह से स्पष्ट नहीं करते हैं। समाज की लाज, लज्जा और कई अन्य कारणों से लोग रेप को छिपाते भी हैं और कभी-कभी प्रशासन और पुलिस के लोग भी पीड़ित को हतोत्साहित करने की कोशिश करते हैं और समझौते करा कर मामले का समाधान करा देते हैं।
उन्होंने कहा कि हाथरस में जो घटना हुई है, उस प्रकार की घटना कहीं भी होती है तो सबसे पहले जवाबदेही की जिम्मेदारी सरकार की बनती है। सरकार जितनी शीघ्रता से इस पर कार्रवाई करती है, तत्परता से अभियोजन पुलिस की जांच और न्यायालयों में जिस प्रकार से न्याय दिलाने का प्रयास किया जाता है। उसी के हिसाब से ही न्याय मिलता है और इन प्रयासों का असर समाज और इस प्रकार की दुराचार की घटनाओं पर भविष्य में पड़ता है।
उन्होंने आगे कहा कि इस घटना में जो सबसे अधिक आक्रोश दिखाई पड़ रहा है, जो सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं उसमें सम्मानजनक जीवन के साथ-साथ सम्मानजनक मृत्यु शामिल होती है। उसका संस्कार भी हिस्सा होता है। मुझे लगता है इस मामले में कहीं ना कहीं पुलिस से गलतियां हुई, जिसको सरकार ने भी माना और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई हुई है।
उन्होंने समाज के दायित्व पर बोलते हुए कहा कि यह हमारे लिए चिंता का विषय है। सैद्धांतिक रूप से जिस समाज में नारी के सम्मान की परंपरा है, वह परंपरा कहीं ना कहीं टूटती नजर आ रही है। समय के साथ-साथ नारी की स्थिति भी सिस्टम में बेहद कमजोर हो गई है। हमारे समाज में नारी पूजा की भी बात की गई है लेकिन व्यवहारिक धरातल पर जो दिखाई पड़ता है, वह इसके विपरीत है।
उन्होंने कहा कि एक बच्चा जब पैदा होता है तो उसे किसी ना किसी उदाहरण या स्थिति के अनुसार नारी को कमजोर बताया जाता है। उसी स्टेज से बच्चे के मन में नारी के प्रति थोड़ा सम्मान कम हो जाता है। अब हम सबकी जिम्मेदारी है कि इस सोच को बदला जाए। यह सोच समाज, कानून और शिक्षा के जरिए बदली जा सकती है। हमें अपने आसपास का माहौल ऐसा बनाना पड़ेगा कि जब भी किसी भी महिला के साथ दुराचार की घटना सामने आए तो लोगों में यह भावना आए कि यह भी उसी प्रजाति का हिस्सा है जिसका हिस्सा मेरी मां है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व डिप्टी रजिस्ट्रार के.एम कपूर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि सबसे पहले मैं पीड़ित परिवार को अपनी संवेदनाएं व्यक्त करना चाहता हूं, जिसने एक 19 साल की जवान लड़की को इस प्रकार के हादसे में खोया है। यह बेहद दर्दनाक है और बेहद घिनौना कृत्य हुआ है। वह भी तब जब इस समाज में नारी की पूजा होती है।
उन्होंने कहा कि 14 सितंबर को लड़की के साथ रेप हुआ और उसके कई दिनों बाद तक घटना की एफआइआर तक दर्ज नहीं हुई। पहले यूपी में ही पीड़िता का इलाज हुआ लेकिन इसके बाद उसे दिल्ली रेफर कर दिया गया, जहां 29 सितंबर को उसकी मृत्यु हो गई। जिसके बाद सबको हाथरस लाया गया। इसमें सबसे दुखद घटना जो हुई कि परिवार को लड़की का शव नहीं दिया गया और रातों-रात उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया।
मैं कहूंगा कि इससे ज्यादा अन्याय वाली बात कोई हो नहीं सकती। ऐसी घटना के चलते सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया है और इस घटना की दोबारा 12 अक्टूबर को सुनवाई होगी, जिसके बाद इस पर फैसला आना संभव है।
इस तरह की घटनाओं का समाज क्या असर होता है, इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम लोग समाज में रहते हैं और देखते हैं कि समाज में अच्छे और बुरे कार्य हो रहे हैं। दुर्भाग्यवश यह जो रेप हो रहे हैं, उसमें चौंकाने वाली बात यह है कि मात्र 28% घटनाओं में ही आरोपी को सजा मिलती है जबकि 72% आरोपी बरी हो जाते हैं। जब इस समाज में 72% आरोपी बरी हो जाते हैं, तो समाज का कल्याण कैसे हो सकता है। यह आरोपी बाहर आकर फिर से उसी प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने की फिराक में रहते हैं। ऐसे लोगों से समाज को काफी बड़ा नुकसान हो सकता है।
सवाल यह उठता है कि रेप की घटनाओं को कैसे रोका जाए? एक बच्चे को शुरू से ही नारी सम्मान के बारे में बताया जाए और रेप जैसी घटनाओं से बच्चे को जरूर अवगत कराया जाए कि इसकी सजा क्या है और इसके क्या दुष्परिणाम हो सकते हैं। बच्चों को शुरू से ही ऐसी शिक्षा दी जाए कि वह खुद-ब-खुद नारी का सम्मान करें।
डॉ अनीता अवस्थी ने अपने वक्तव्य में कहा कि देशभर में रेप की इतनी सारी घटनाएं होती हैष लेकिन एक ही रेप केस हाइलाइट क्यों? देशभर में चुनावी माहौल है अगर कोई रेप होता है और लड़की के साथ मारपीट की जाती है जिसके बाद उसकी मौत हो जाती है। मौत होने के बाद अचानक सब लोग जाग जाते हैं और सत्ता पक्ष के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन करने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों को जब कश्मीर से निकाला गया था तो कम से कम 500 एफ आई आर दर्ज हुई थी लेकिन कार्रवाई एक पर भी नहीं हुई उन्होंने कहा कि मैं आंकड़ों पर बात करना चाहती हूं कि पूरे देश में यह नियम है कि 1000 लोगों पर तीन पुलिसकर्मी होनी चाहिए हिंदुस्तान में 1000 लोगों पर एक पुलिस वाला है यूपी में अभी 360000 पुलिसकर्मियों के पद खाली पड़े हैं जो कि किसी वजह से नहीं भरे जा सके हैं 2018 से इस पर काम हो रहा है नई नियमावली बनी और मामला अदालत में भी पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि मुंबई मे जनसंख्या यूपी से ढाई गुना कम है जबकि अगर देखा जाए तो मुंबई में टैक्स जमा करने वालों की संख्या कहीं ज्यादा है। सबसे पहले हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम अपना टैक्स जमा करें। मैं मानती हूं कि दिल्ली में हुए निर्भया केस के बाद रेप के खिलाफ कानून सख्त हुए लेकिन उसका दुष्परिणाम यह हुआ है की रेप के बाद अगर लड़की बच जाती है, तो बहुत बवाल होता है।
उन्होंने कहा कि देश में जितने भी पुलिसकर्मी हैं सबका एक बार फिटनेस टेस्ट होना चाहिए और सबको एक कैमरा दिया जाना चाहिए जो कि उनकी वर्दी में फिक्स होना चाहिए। इससे भी अपराध में कमी आएगी।
संचार रत्न महेश कुमार सेठ ने हाथरस गैंगरेप पीड़िता को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि हम सभी को शपथ लेनी होगी कि इस प्रकार की घटना दोबारा ना हो, इसके लिए कुछ ना कुछ कदम हम सबको मिलकर उठाना होगा। समाज में रेप की घटनाएं क्यों होती हैं, आखिर इसकी जड़ क्या है? न जाने समाज में कितनी रेप की घटनाएं होती हैं, जिनमें से हमें बहुत सी घटनाओं का पता भी नहीं चलता है। कुछ एक घटनाएं होती हैं जो अधिक हाईलाइट हो जाती हैं। बहुत सी घटनाओं की तो वह रिपोर्ट तक भी दर्ज नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि हम उस सभ्यता के लोग हैं, जहां वसुदेव कुटुंबकम की बात होती थी। जब तक सभी लोग अपने ना दिखें तब तक रेप की घटनाओं पर रोक नहीं लग सकती है। जब तक हम अपनी संस्कृति अपनी सभ्यता से नहीं जुड़ेंगे तब तक हमें वह सभ्यता वसीयत के रूप में मिलने वाली नहीं है।
उन्होंने कहा कि जब एक बच्चा मां के गर्भ में होता है, तो इन 9 महीनों में वह माहौल के हिसाब से गर्भ में रहकर काफी कुछ सीखता है। मैंने इसका अनुभव किया है। बच्चा जैसे वातावरण में रहता है, वैसी ही उसे सीख मिलती है और वैसा ही वह आगे चलकर बनता है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को शुरू से ही हम हिंसात्मक कहानियां बताते हैं, बाकी टेलीविजन के जरिए फिल्में देखकर वे उस में रुचि लेने लगते हैं और अपराध की ओर निकल पड़ते हैं। सीधे तौर पर हमारी शिक्षा हमारे वातावरण के अनुरूप होती है। जब तक हम इसपर पर काम नहीं करेंगे तब तक इस प्रकार की घटनाएं बढ़ती ही रहेंगी।
मनोज गोरकेला ने अपने वक्तव्य में कहा कि मैं पिछले 16 सालों से सरकार के साथ काम कर रहा हूं। इन 16 सालों में रेप, गैंग रेप, मर्डर के न जाने कितने केस मेरे पास आए। हमारे देश में 1860 में आईपीसी की धाराएं आई। आईपीसी में किसी का रेप, गैंगरेप, हत्या, चोरी, लूट, डकैती जैसे मामले अपराध की श्रेणी में रखे गए हैं।
उन्होंने कहा कि एक जानवर भी तब हमला करता है, जब उसे लगता है कि उसकी जान को खतरा है। हम तो फिर भी इंसान हैं, सोच-समझ सकते हैं, भगवान ने शरीर दिया है। फिर भी हम जानवरों से भी बदतर होते जा रहे हैं। इंसान सही गलत में अंतर समझ सकता है। भारत के संविधान में अपराध के लिए सख्त धाराएं बनी हुई हैं। उसके बाद भी इंसान अपराध करने से नहीं रुकता है।
उन्होंने कहा कि हमारे देश में लोगों की मानसिकता खराब हो गई है, चाहे कितनी भी मानसिकता खराब क्यों ना हो जाए जब तक एक सामाजिक क्रांति नहीं आएगी तब तक इस तरह के अपराधों पर रोक लगाना शायद मुश्किल है। जिस प्रकार देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान को लेकर एक पहल शुरू की और यह पहल क्रांति में बदल गई और आज लोग साफ सफाई के विषय में बेहद सचेत रहते हैं।
उसी प्रकार रेप जैसे अपराध पर एक क्रांति लाने की जरूरत है। यह बदलाव कोई कानून नहीं ला सकता, यह हम सब के बीच से ही बदलाव की भावना पैदा होगी, तभी कुछ सुधार होगा। हमारे समाज में ना जाने कितनी ऐसी प्रथाएं थी, जिनमें महिलाओं को प्रताड़ित किया जाता था या कहीं ना कहीं उन्हें और नीचा दिखाया जाता था। सामाजिक क्रांति आए और इन सभी प्रथाओं का चलन बंद हो गया।
उन्होंने कहा कि यह दलित शब्द शब्द का प्रचलन ही बेहद खराब है। भारत के संविधान में कहीं भी दलित और हरिजन शब्द का उल्लेख नहीं है। यह सब कुरीतियां हमारे समाज ने ही चलाई हैं, जिनका कुछ एक तबके को नुकसान झेलना पड़ता है। भारत सरकार ने खुद यह स्पष्ट किया है कि दलित शब्द असंवैधानिक है। हाथरस सामूहिक दुष्कर्म मामले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि अपराधियों ने तो युवती के साथ बहुत बड़ा अपराध किया है लेकिन वहां की स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने भी कम अपराध नहीं किया है, उन्होंने पीड़िता के परिजनों को बिना सूचना दिए उसका अंतिम संस्कार कर दिया, इससे बड़ा अपराध क्या होगा। जो परिवार पहले अपनी बेटी के साथ हुए अत्याचार और मौत के दुख से नहीं उभरा था उस बेटी के अंतिम संस्कार का मौका भी नसीब नहीं हुआ।
इस मामले में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सरकार की ओर से निलंबन की कार्रवाई हुई है, लेकिन मेरा मानना है कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफ आई आर दर्ज की जाए और मामले की जांच की जाए। अगर पुलिस प्रशासन के अधिकारी दोषी साबित होते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए। ताकि आने वाले समय में लोग इससे सबक लें और इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लग सके।
अनुपम रमेश किंगर ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं इस कार्यक्रम में भारत की हर एक मां का प्रतिनिधित्व कर रही हूं और उनकी बात रखना चाहती हूं। मुझे नहीं लगता कि यह बदलाव लाना इतना संभव है, मुझे लगता है यह बदलाव लाना बहुत संभव है। अंधेरा चाहे कितना घना है लेकिन दिए जलाना कहां मना है। हम अपने घर में तो दिए जलाएं, बदलाव की सोच अपने घर से शुरू करें।
मैं एक संस्था से जुड़ी हुई हूं, जो एसिड अटैक सरवाइवर के लिए काम करती है। अगर किसी अपराधी पर आपने एफ आई आर दर्ज कराई और वह किसी तरह बचकर आ गया। तो बहुत संभव है कि वह आप से बदला लेने के लिए एसिड अटैक करें और आपका जीवन तो वही खराब हो जाता है।
हमारे समाज में बदलाव खुद से लाया जाना चाहिए खुद बदलाव लाने की सोच रखनी चाहिए। नारी के सशक्तिकरण की भी आवश्यकता है और यह कोई खुद नारी कर सकती है। अपने बच्चों के सामने उदाहरण बनकर जीएं, ना कि प्रताड़ित होकर। कभी भी गलत को ना सहें, अन्यथा बच्चे भी उसी रास्ते पर निकल जाते हैं।
कवि देवेंद्र दीक्षित ने कहा कि जब हाथरस की घटना घटी तब बेटी के बयान आए। उसमें साफ था कि एक संदीप नामक व्यक्ति ने उसका गला दबाया। उसके भाई ने भी जो एफ आई आर दर्ज कराई वह भी केवल गला दबाने तक की थी। उसके 6 दिन बाद पता नहीं क्या हुआ कि बयानों का बदलाव होना शुरू हो गया।
उन्होंने कहा कि समाज में सामाजिक क्रांति व नैतिक शिक्षा की आवश्यकता है। इस मामले में तूल देने की भी बात सामने आई है। कोई घटना ऐसी होती है कि जिस को दिखाया ही नहीं जाता, जबकि किसी किसी घटना को इतना तूल दे दिया जाता है कि वह राष्ट्रीय मुद्दा बन जाता है। मीडिया में एक एक चीज दिखाई गई है, दुष्कर्म की बात को सभी रिपोर्टों ने खारिज कर दिया। मेरा मानना यह है कि मरने के बाद पवित्र आत्मा को बदनाम किया जा रहा है इस पर उन्होंने एक कविता भी लिखी।
‘गुड़िया मनीषा को मरणोपरांत यूं बदनाम ना करो, स्वर्ग में गयी वह पवित्र आत्मा, स्वार्थ में दुष्कर्म का प्रचार ना करो’
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