सवर्णों को 10% आरक्षण पर ग्रेटर नोएडा के बुद्धिजीवियों ने दी बेबाक राय

Abhishek Sharma / Photo & Video By Baidyanath Halder

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Greater Noida (08/01/19) : लोकसभा चुनाव आने वाले है , जिसको लेकर हर पार्टी अपनी तैयारियों में लगी हुई है , वही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना बह्मास्त्र का तीर चला दिया है , जिससे 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी जीत सके | दरअसल मोदी कैबिनेट ने सोमवार को आर्थिक आधार पर आरक्षण का बड़ा दांव खेला है। 8 लाख से कम आय वर्ग के लोगों के लिए नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण की घोषणा की। इसके साथ ही अब भारत की लगभग पूरी आबादी आरक्षण के किसी न किसी दायरे में आ जाएगी। भारत में पहले से ही जाति आधारित आरक्षण की व्यवस्था है।

खासबात यह है की पुराने समय में कोई बह्मास्त्र का तीर चलाता है तो उसका भेद कोई नहीं कर सकता है , आज ये समय आ गया है की कोई भी पार्टी इस बह्मास्त्र का सामना नहीं कर पायेगी |

मोदी कैबिनेट के नए फैसले को यदि लागु किया गया तो लगभग 95% आबादी को आरक्षण का लाभ मिलेगा। आरक्षण का आधार रखा गया है। पारिवारिक आमदनी 8 लाख से कम हो और 5 एकड़ से कम जमीन हो। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और एनएसएसओ की रिपोर्ट के आधार पर लगभग 95% आबादी अब इस दायरे में आ जाएगी।

8 लाख रुपये के सालाना आमदनी का मतलब है कि अगर एक परिवार में 5 व्यक्ति हैं, तो प्रति व्यक्ति आय 13,000 से थोड़ी सी अधिक होगी। एनएसएसओ सर्वे 2011-12 के मुताबिक प्रति महीने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति आय 2,625 रुपये है और शहरी क्षेत्रों में यह 6,015 रुपये के करीब। आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण यदि लागू होता है तो अधिक आय वर्ग के ऊपर के सिर्फ 5 फीसदी परिवार ही इस दायरे से बाहर होंगे।



आरक्षण के मुद्दे पर टेन न्यूज़ ने ग्रेटर नोएडा के कुछ ख़ास लोगों से बात की और उन्होंने 10% आरक्षण पर अपनी बेबाक राय दी। उनमे से किसी ने इस फैसले का स्वागत किया तो किसी ने इसे महज राजनीतिक दाव बताया। चुनावों के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है या वास्तव में मोदी सरकार को सवर्णों की चिंता है। इस पर वेदर्ना फाउंडेशन के निदेशक व आईटीएस कॉलेज के प्रोफेसर डॉ कुलदीप मलिक, राष्ट्रिय विद्यार्थी मंच के प्रदेश सचिव विवेक सिंह, बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष मनोज प्रधान व युवा संघर्ष समिति के सदस्य भगत भाटी मौजूद रहे।

डॉ कुलदीप मलिक ने अपनी राय देते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार को केंद्र में आए हुए 5 साल पूरे होने जा रहे हैं। चुनाव होने में 3 महीने के करीब समय बचा हुआ है। अगर सरकार को आरक्षण लागू करना चाहिए था तो वो केंद्र में आने के तुरंत बाद फैसला ले लेना चाहिए था। उन्होंने कहा कि आरक्षण के साथ साथ कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं जो धीरे-धीरे देश के अस्तित्व को ख़त्म करते जा रहे हैं। आरक्षण भी उन्ही मुद्दों में से एक है।

जो फैसला कल लिया गया है मै बिलकुल गंभीरता के साथ ये कहना चाहता हूँ कि अब चुनाव नजदीक हैं इस नतीजे के अच्छे और बुरे परिणाम होंगे। उन्होंने आरक्षण के साथ साथ देश में बढ़ती जनसँख्या भी एक बहुत बड़ी समस्या है, सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए क्योंकि बढ़ती जनसँख्या बेरोजगारी के लिए बहुत बड़ा कारण हैं। आज देश में प्रदुषण बढ़ रहा है, पानी शुद्ध नहीं मिल पा रहा है, लोग खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहे हैं। ये सभी गंभीर समस्याएं हैं इन पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। देश में बड़ी संख्या में कैंसर के रोगी बढ़ रहे है, जो कि एक चिंता का विषय है।

राष्ट्रिय विद्यार्थी मंच के प्रदेश सचिव विवेक सिंह ने कहा कि मै सरकार के इस निर्णय से प्रभावित हूँ और ये एकज अच्छी सोच है कि आखिरकार सरकार को सवर्णों की याद आ ही गई, याद भी तब आई है जब चुनाव सिर पर हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण जाति और मजहब के हिसाब से न दे बल्कि आर्थिक स्थिति के अनुसार लोगों को आरक्षण मिलना चाहिए। इससे छुपी हुई प्रतिभाएं सामने आएंगी और लोगों का विकास होना संभव है।

आरक्षण के कारण ज्यादा पढ़े लिखे पीछे रह जाते हैं और एससी कोटा वाले लोग आरक्षण के हिसाब से आगे निकल जाते हैं। उन्होंने कहा कि दलित वर्ग में अगर कोई इंसान आईएएस बन जाता है तो फिर उसको आरक्षण देने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने सवर्णों के लिए आरक्षण की घोषणा कर तो दी है लेकिन देखने की बात यह होगी कि सरकार इसे लागू कैसे करती है

बीजेपी पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष मनोज प्रधान ने बताया कि प्रधनमंत्री मोदी ने आरक्षण को लेकर जो फैसला लिया है मै इसका पूरी तरह से समर्थन करता हुँ। कुछ विपक्ष की पार्टियां इस फैसले पर राजनीती कर रही हैं। मोदी सरकार के इस फैसले को सभी को स्वीकार करना चाहिए क्योंकि यह फैसला जनता का हित देखकर लिया गया है। इसमें कोई दोराय नहीं हैं कि यह एक ऐतिहासिक फैसला लिया गया है। आर्थिक रूप से जिसको आरक्षण की जरुरत है उसको यह मिलना चाहिए। निश्चित ही इससे लोगों का विकास हो सकेगा और लोगों को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।

उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की सरकार का नारा है “सबका साथ, सबका विकास” तो सरकार इस नारे पर पूरी तरह से खरी उतर रही है और जनता के हित में लगातार कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार ने डेढ़ साल में जितने काम किये हैं उतने काम पिछले पंद्रह सालों में भी नहीं हुए हैं।

युवा संघर्ष समिति के सदस्य भगत भाटी ने कहा कि आरक्षण हमारे देश के लिए एक बीमारी की तरह है। उन्होंने कहा कि मै युवा संघर्ष समिति चला रहा हुँ जिसका उद्देश्य है कि इसमें जातिवाद, मजहब को दूर समिति के द्वारा सभी लोगों का विकास हो सके। सरकार ने कहा है कि आरक्षण को 50 से बढ़ाकर 60 फीसदी किया जायेगा ये केवल लोगों के मन में विपरीत विचारों को बढ़ाने की ओर एक कदम है। अगर देश को आगे बढ़ाना है तो इस आरक्षण रुपी राक्षस को जड़ से ख़त्म कर दिया जाए।

ये किसी जाति विशेष के लिए भी लागू नहीं होना चाहिए। 1947 में भीमराव अम्बेडकर ने जब ये फैसला लिया तो ये केवल पिछड़े लोगों की शिक्षा और सामाजिक स्थिति को देखकर फैसला लिया गया था। आरक्षण केवल 10 सालों के लिए लागू किया गया था लेकिन आज भी इसे खत्म नहीं किया गया। आरक्षण केवल राजनैतिक पार्टियों के लिए वोट का विषय है। उन्होंने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि कोई युवा साथी आरक्षण की मांग न करे बल्कि अपने आपको इतना काबिल बनाए कि आरक्षण की जरूरत ही न पड़े। आरक्षण अंधे व्यक्ति को हाथ पकड़कर चलाने के बराबर है।

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटीएस कॉलेज के प्रोफेसर संदीप कुमार ने कहा कि बीजेपी पार्टी ने एक ऐसा फैसला लिया है जो कि आज तक किसी भी सरकार ने नहीं लिया है। अब तक आरक्षण की बात की जाती थी तो अनुसूचित जातियां ही दिमाग में आती थी। अब सवर्णों को भी आरक्षण मिलेगा और वो भी आर्थिक स्थिति के आधार पर। मै मानता हु कि यह एक अच्छा फैसला है और सभी लोगों को इसको स्वीकार करना चाहिए।

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