शोभित विश्वविद्यालय एवं एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा संयुक्त रुप से उच्च शिक्षा में बेहतर मूल्यांकन पद्धति-(ऑनलाइन और ऑफलाइन) पर वेबीनार का आयोजन

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शोभित विश्वविद्यालय एवं एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा संयुक्त रूप से उच्च शिक्षा में  क्या बेहतर मूल्यांकन पद्धति हो सकती है- (ऑनलाइन और ऑफलाइन) पर वेबीनार का आयोजन किया गया।  वेबीनार में मुख्य वक्ताओं के रूप में प्रो डॉ केके अग्रवाल चेयरमैन नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन, शोभित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिषद एसोचैम के सह-अध्यक्ष कुंवर शेखर विजेंद्र, एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार ,एजुकेशन सेगमेंट स्पेशलिस्ट  संजय सिंह एवं डिजिटल ट्रांसफॉरमेशन कंसलटेंट विष्णु नेपक ने अपने विचार रखे।

 कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कुलाधिपति एवं राष्ट्रीय शिक्षा परिषद एसोचैम के सह-अध्यक्ष कुंवर शेखर विजेंद्र ने वेबीनार के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के  वेबीनार का विषय  हमारी समस्त शिक्षा समुदाय के लिए बहुत अहमियत रखता है।  क्योंकि आज सभी  शिक्षण संस्थाओं में ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा दी जा रही है। लेकिन छात्रों के सही असेसमेंट के लिए कौन सा माध्यम अपनाया जाए ऑफलाइन या ऑनलाइन पर चर्चा करना अनिवार्य है।

एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रोफेसर राजीव कुमार ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि आज ऑनलाइन और ऑफलाइन  एक  प्रमुख प्रश्न है। लेकिन अगर हम तकनीकी शिक्षा की बात करते हैं तो वहां पर हैंड ऑन एक्सपीरियंस और प्रैक्टिकल वर्क बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए हम ऑनलाइन एसेसमेंट पर  पूर्ण रूप से भरोसा नहीं कर सकते। लेकिन ऑनलाइन ओर ऑफलाइन दोनों को एक साथ मिलाकर अगर हम  छात्रों का एसेसमेंट करते हैं तो वह एक बेहतर विकल्प हो सकता है।  इसके अलावा प्रोफेसर राजीव ने कहा कि केवल रोल लर्निंग से छात्रों का एसेसमेंट नहीं किया जा सकता। उसके लिए हमें छात्रों की कैपेसिटी को एनालाइज करना होगा  उनका मूल्यांकन करना होगा।

प्रो डॉ केके अग्रवाल चेयरमैन नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रेडिटेशन ने सुझाव देते हुए कहा कि हमें ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम के महत्वपूर्ण बिंदुओं को अडॉप्ट करना होगा।  क्योंकि कंस्ट्रक्शन और डिस्ट्रक्शन साथ साथ चलते हैं। हमें पुराने तरीकों को छोड़ना होगा और नए तरीकों को अपनाना होगा और यह बेहद जरूरी है कि हमारी शिक्षा हमारे छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाएं। इसके लिए विश्वविद्यालयों को मल्टीडिसीप्लिनरी मॉडल अपनाने चाहिए और उच्च शिक्षा संस्थानों को अपने कामकाज में अधिक स्वायत्तता लानी चाहिए।

 श्री संजय सिंह और श्री बिष्णु नेपक ने ऑनलाइन मूल्यांकन के तकनीकी पहलू के बारे में बताया। ऑनलाइन मूल्यांकन की कुछ चुनौतियां हैं: अनुचित साधनों के उपयोग को रोकने के लिए परीक्षा के दौरान मोबाइल और लैपटॉप की उपलब्धता, इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं परीक्षा के दौरान छात्रों की मॉनिटरिंग होनी आवश्यक है। उन्होंने एडवांस तकनीकी जैसे कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में बताते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की सहायता से हमारी समस्याएं काफी कम हो गई है।

 सत्र के अंत में, प्रोफेसर डॉ पूनम देवदत्त निदेशक शोभित विश्वविद्यालय ने सभी सुझावों को संक्षेप में प्रस्तुत किया और वक्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा कि आने वाले समय में ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड का संयोजन सबसे अच्छा तरीका होगा।

श्री नीरज अरोड़ा वरिष्ठ निदेशक एसोचैम राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा पूरे कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समन्वय किया गया  कार्यक्रम के दौरान 600 से अधिक प्रतिभागी और शिक्षण संस्थाओं ने पूरे भारतवर्ष से वेबीनार में भाग लिया।

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