नोएडा : वेंडर जोन पॉलिसी को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर , शुक्रवार को होगी सुनवाई 

ROHIT SHARMA

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नोएडा प्राधिकरण की ओर से शहर में वेंडर जोन पॉलिसी को लागू करने के लिए निकाला गया अस्थायी रास्ता भी फिलहाल विवादों में फंस गया है। वेंडर जोन में दुकान के लिए अथॉरिटी की ओर से तय किया गया किराया रेहड़ी वालों को मंजूर नहीं है।

उन्होंने साफ कर दिया है वह इतने महंगे किराये पर वेंडर जोन में दुकान नहीं लगा सकते हैं। वहीं नोएडा प्राधिकरण ने भी स्पष्ट कर दिया है वह किराया कम नहीं करेगी। फिलहाल दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़ गए हैं और यह पॉलिसी फिर अटक गई है।

वेंडर जोन पॉलिसी को अस्थायी रूप से लागू करने के लिए अब तक करीब 2700 दुकानदारों के नाम ड्रॉ में निकाले जा चुके हैं, हालांकि आवेदन करीब 8 हजार लोगों ने किया था। अथॉरिटी ने 1800 रुपये से लेकर 3000 प्रति माह प्रति दुकान किराया तय कर दिया , इसकी जानकारी मिलते ही रेहड़ी वालों ने अथॉरिटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिया कि गठित की गई कमिटी में रेट निर्धारण का मुद्दा बिना चर्चा किए ही तय कर दिया गया।

रेहड़ी वालों की 70 से ज्यादा आपत्तियां लिखित में आईं हैं। इसके बाद अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी के साथ इस मुद्दे पर रेहड़ी वालों ने अपनी बात रखी कि अभी 10-12 राज्यों में यह पॉलिसी लागू हो चुकी है। उन राज्यों में 1000 रुपये से ज्यादा रेट कहीं नहीं हैं।

इस बैठक में नोएडा प्राधिकरण ने साफ कर दिया है कि दिल्ली की तर्ज पर हमने रेट निर्धारित किए हैं , नोएडा एनसीआर में आता है। हम इन रेट को कम नहीं कर सकते। मीटिंग के बाद रेहड़ी वालों ने लाइसेंस व आईकार्ड लेने से इनकार कर दिया , आज शुरू होने वाली लाइसेंस बांटने की प्रक्रिया रुक गई है।

आपको बता दे की शासन की पॉलिसी में स्टेशनरी, मोबाइल और वीकली मार्केट जोन को तीन अलग-अलग फ्रेम में लागू किया जाना था। महंगे रेट निर्धारण के विरोध में हाई कोर्ट में रिट दायर करने वाले दिलीप पासवान का आरोप है कि अथॉरिटी ने सही योजना के बिना इसे लागू कर दिया है।

तीनों कैटिगरी को एक वेंडर जोन में समेट दिया है , दुकानें ऐसी जगह दी जा रही हैं जहां ग्राहक को भी जाने में दिक्कत होगी। वहां रेहड़ी वालों का सामान भी नहीं बिकेगा। ऊपर से किराया तीन गुना महंगा है। इसी के चलते हमने हाई कोर्ट में रिट दायर की है , इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई है।

रेहड़ी पटरी संगठन का कहना है कि एक्ट के मुताबिक रेट लागू करें तो हमें मंजूर है। नोएडा प्राधिकरण के जो मन में आया वैसी प्लानिंग करके हमारे ऊपर इसे थोपा जा रहा है , यह हमें मंजूर नहीं है। नोएडा प्राधिकरण को रेहड़ी वालों की या इन पर निर्भर ग्राहकों की चिंता नहीं है , सही योजना नहीं बनाई और अब किराये को लेकर अड़ियल रवैया अपना लिया है। अगर हमारे साथ कोई जबरदस्ती हुई तो हम फिर आंदोलन करेंगे।

रेहड़ी पटरी संगठन से जुड़े गंगेश्वर व विनोद पंजीयार का कहना है कि जिस आधी-अधूरी प्लानिंग के साथ अथॉरिटी इस पॉलिसी पर काम कर रही है, यह प्रयोग गुड़गांव में फेल हो चुका है। वहां भी ग्राहकों की पहुंच से दूर ऐसे ही दुकानें दी गई थीं जो चल नहीं पाईं , अब सब बंद पड़ी हैं। यहां तो किराया भी तीन गुना महंगा है , ऐसे में हम लाइसेंस लेकर क्या करेंगे जब दुकान चल ही नहीं पाएंगी।

वही इस मामले में नोएडा प्राधिकरण की ओएसडी इंदु प्रकाश का कहना है की ड्रॉ में नाम आने वाले करीब 2200 लोगों को लाइसेंस व आईकार्ड लेने के लिए सर्कुलर भेजा जा चुका है। आज से फीस जमा कराकर लाइसेंस देने का प्लान था , फिलहाल तो यह शुरू नहीं हो रहा है। रेट के मुद्दे पर रेहड़ी वालों से मीटिंग हुई है। आगे भी बातचीत जारी है , अब देखते हैं कब से लाइसेंस देने की प्रक्रिया शुरू हो पाएगी।

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