विश्व हृदय दिवस पर जागरूकता के लिए यथार्थ अस्पताल कराएगा वाकाथॉन का आयोजन

ABHISHEK SHARMA / Photo & Video By Baidyanath Halder

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Greater Noida (27/09/19) : देश में हृदय रोगों की बढ़ती घटनाओं के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए यथार्थ हॉस्पिटल द्वारा ग्रेटर नोएडा में 3 किलोमीटर की वाकाथॉन आयोजित की जाएगी। स्थानीय निवासियों सहित डॉक्टर, अस्पताल के कर्मचारी इस वॉकथॉन में भाग लेंगे। जिसको लेकर आज एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि नरेन्द्र भूषण, सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की उपस्थिति में यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने अपनी नई डिजाइन की गईं टी-शर्टों को लॉन्च किया।



हृदय रोगों के बारे में आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने के संदेश के साथ इन टी-शर्टों को वाकाथॉन में इस्तेमाल किया जाएगा। विश्व हृदय दिवस 2019 के अवसर पर ‘चलता रहे मेरा दिल’ के बैनर के नाम से 3 किलोमीटर के वाकाथॉन को सुबह 6 बजे अस्पताल से शुरू किया जाएगा, जो कासना गोलचक्कर तक चलेगा और अस्पताल परिसर में समाप्त होगा। वाकाथॉन के बाद एक इंटरेक्टिव सेशन में हार्ट अटैक के रोकथाम और उसके उपचार के तरीकों पर चर्चा की जाएगी।

इस चर्चा को कार्डियोलॉजी निदेशक, डॉ. गुंजन कपूर द्वारा संबोधित किया जाएगा।इस व्याख्यान में हृदय स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ आहार और जीवनशैली में बदलाव के साथ शारीरिक गतिविधियोंके महत्व के बारे में भी चर्चा की जाएगी।

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक, डॉ. कपिल त्यागी ने बताया कि, “हृदय रोगों के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण खराब और गतिहीन जीवनशैली है। अधिकांश भारतीय आबादी हार्ट अटैक के लक्षणों के बारे में अभी भी अनजान है। इसलिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की मदद से हम लोगों को जागरुक करना चाहते हैं। इस वाकाथॉन का उद्देश्य लोगों को हार्ट अटैक की रोकथाम और उसके उपचार के तरीकों के बारे में समझाना है। स्वस्थ आहार, चलना, व्यायाम और नियमित शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देना इस के मुख्य पहलुओं में से एक है, जो आपके दिल को स्वस्थ रखता है।”

यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर यथार्थ त्यागी ने बताया कि, “दिल के दौरे को कभी बुजुर्गों की समस्या माना जाता था लेकिन धीरे-धीरे यह युवाओं के बीच भी आम हो रहा है। खराब जीवनशैली की आदतों के कारण मध्यम आयु वर्ग की आबादी समय से पहले ही दिल की समस्याओं से जूझने लगी है। हालांकि, अनुवांशिक रोगों को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव करने से एक बड़ा बदलाव आ सकता है।”

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