उच्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ सूचना आयोग का ऐतिहासिक फैसला

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4. Date of Joining of Shamsher Singh at age of 17 years i.e. on 23.05.88

3. Date of Birth of Shamsher Singh 20.04.71

 

5. Removal Order of Shamsher Singh

 

उच्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ सूचना आयोग का ऐतिहासिक फैसला

प्रथम अपीलीय अधिकारी के खिलाफ अनुशासनातमक कार्यवाही, खोई गई फाईल की जाँच व सुचना अधिकारी को हर्जाना देने के आदेश

जगाधरी के प्रसिद्ध R.T.I. कार्यकर्ता डॉ एस. गर्ग  ने उच्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा के अधिकारियों द्वारा की जा रही गैर क़ानूनी गतिविधयो को उजागर करने हेतु सूचना मांगी, जिस पर सूचना अधिकारी द्वारा सूचना ना देने पर उनके द्वारा की गयी प्रथम अपील पर प्रथम अपीलीय अधिकारी श्रीमती सुनीता प्रियदर्शिनी, उप निदेशक (कॉलेज 4) ने कोई सुनवाई ही ना की, जिस पर मामला सूचना आयोग, हरियाणा के समक्ष सुनवाई हेतु आने पर उच्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा के अधिकारियों ने एक तरफ फ़ाईल खो जाने के कारण सूचना ना देना बताया व दूसरी तरफ सूचना आयोग के आदेशो के बावजूद प्रथम अपीलीय अधिकारी पेश ना हुई । वर्तमान सूचना अधिकारी शमशेर सिंह, अधिक्षक (कॉलेज 4) ने इस मामले में पूर्व सूचना अधिकारी श्री वीरेंदर गोदारा व श्री राजेश को दोषी बताया । सभी तर्कों व रिकार्ड का अवलोकन करने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त, श्री नरेश गुलाटी, आई.ए.एस. (रिटायर्ड), ने प्रथम अपीलीय अधिकारी श्रीमती सुनीता प्रियदर्शिनी, उप निदेशक (कॉलेज 4) को दोषी पाकर उसके खिलाफ अनुशासनातमक कार्यवाही के आदेश दिए व फाईल खोये जाने के मामले को गंभीर पाते हुए, इसकी जाँच किसी उच्च अधिकारी से समयबद्ध तरीके से कराने व दोषी पाए जाने वाले कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही के आदेश दिए व साथ ही सूचना अधिकारी शमशेर सिंह, अधिक्षक (कॉलेज 4) द्वारा  डॉ एस. गर्ग को 5,000 रूपये का हर्जाना देने के आदेश दिए । यही नहीं अभी कुछ ही समय पहले जगाधरी के प्रसिद्ध R.T.I. कार्यकर्ता श्री अनिल कुमार की याचिका पर सुनवाई के दोरान सूचना आयुक्त, मेजर जनरल (रिटायर्ड) जे. एस. कुंडू, ने इसी सूचना अधिकारी शमशेर सिंह, अधिक्षक (कॉलेज 4) व अन्य को सूचना ना देने का दोषी पाकर निदेशक, उच्तर शिक्षा विभाग, हरियाणा को जाँच करके अनुशासनातमक कार्यवाही के आदेश दिए हुए हैं । सूचना अधिकारी शमशेर सिंह, अधिक्षक (कॉलेज 4) को नियमों के विरुद्ध न्युनतम आयु सीमा को दरकिनार करके केवल 17 वर्ष की आयु में ही सरकारी नोकरी पर लगा दिया गया था व इसे एक बार नोकरी से पदमुक्त करने के बाद दयनीय आधार पर बहाल कर दिया गया था ।

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