निजी स्कूलों में नर्सरी एडमिशन से संबंधित शिकायत के लिए पुख्ता इंतजाम

नर्सरी में अपने बच्चों का एडमिशन कराने जा रहे अभिभावकों की सुविधा के लिए दिल्ली सरकार ने आज से एक हेल्पलाइन शुरू की है। हेल्पलाइन नंबर है- 011-27352525। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज दिल्ली सचिवालय में हेल्पलाइन नंबर का उद्घाटन किया। यह हेल्पलाइन नंबर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की निगरानी में काम करेगी। अभिभावकों की सुविधा के लिए व्यवस्था की गई है कि अगर कोई निजी स्कूल नर्सरी एडमिशन में उनसे किसी तरह का डोनेशन मांग रहा है या किसी और तरह से परेशान कर रहा है तो वे इसकी शिकायत सीधे शिक्षा अधिकारी से करें। शिक्षा अधिकारी को तुरंत उनकी समस्या का निपटारा करने के निर्देश दिये गये हैं। अगर शिक्षा अधिकारी उनकी समस्या का निपटान ठीक से नहीं करते हैं तो अभिभावक सीधे शिक्षा मंत्री की हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं। इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पहले अभिभावक की समस्या का निपटारा किया जाएगा और अगर शिक्षा अधिकारी ने लापरवाही की है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई के पूरे दिन का ब्योरा शिक्षा मंत्री खुद देखेंगे। साथ ही शिक्षा मंत्री खुद रोजाना कम से कम 10 अभिभावकों को व्यक्तिगत रूप से फोन करके उनसे शिकायत पर हुई कार्रवाई और उनकी संतुष्टि के बारे में बात करेंगे। इसके अलावा यह भी कोशिश की जाएगी कि प्रत्येक शिकायतकर्ता को फोन करके संबंधित कार्रवाई और उनकी संतुष्टि की जानकारी ली जाए। नर्सरी एडिमशन से संबंधित अनेक सूचनाओं के लिए अभिभावकों को इधर-उधर चक्कर न काटना पड़े, इसलिए शिक्षा मंत्री की तरफ से एक अन्य नई पहल की गई है। उप-राज्यपाल की तरफ से जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करते हुए शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अभिभावक अपने इलाके के आस-पास के दायरे में स्थित सभी स्कूलों से संबंधित सूचनाएं प्राप्त कर सकते हैं। इनमें विभिन्न स्कूलों में अधिकतम सीटें, शुल्क औऱ अन्य जानकारियां शामिल हैं। इसके लिए आपको दिल्ली सरकार की शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर जाकर अपना लोकेशन, सब-लोकेशन और लैंडमार्क डालना होगा। इससे आपको आस-पास के स्कूलों की संख्या और उनसे संबंधित विवरण मिल जाएगा। हेल्पलाइन का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा शिक्षा देना, समाज सेवा का काम है, मुनाफा कमाने का नहीं। उन्होंने निजी स्कूलों से अपील की है कि वे अदालत में जाने की बजाय समाज की भलाई के लिए काम करें। केजरीवाल ने यह भी कहा कि निजी स्कूलों को अपनी समस्याओं के संबंध में सरकार से बात करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने एक बार फिर यह स्वीकार किया कि लोगों की उनसे उम्मीदें भी बहुत ज्यादा हैं और उन लोगों के हर काम पर बहुत नजदीकी से नजर रखी जा रही है, यह अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि पहले लोगों को लगता था कि कुछ नहीं हो सकता, इसलिए लोग अपने घर में बैठे रहते थे और सरकार अपने घर में बैठी रहती थी, पर अब हालात बदल रहे हैं। इस मौके पर शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारे देश में लोगों के सपने बहुत छोटे-छोटे हैं। कोई यह नहीं कहता कि साब, हमें प्रधानमंत्री बनना है या टाटा, बिड़ला, अंबानी बनना है, प्लीज हमारी मदद करो। हर इनसान का यह सपना है कि उसका परिवार अच्छे से रहे। सुरक्षित रहे। सम्मानजनक जिंदगी जी सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमारा एक आधार स्वप्न है। इस सपने को पूरा करने की दिशा में यह एक छोटा सा प्रयास है। सिसोदिया ने कहा कि बच्चे का एडमिशन और अच्छी शिक्षा हर अभिभावक के लिए एक चिंता का सबब बन गया है। अभिभावकों की यह चिंता हमारी व्यवस्था पर सवालिया निशान है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का हर अभिभावक इस बात को लेकर आश्वस्त हो सके कि बच्चे का एडमिशन चिंता का सबब नहीं है, यह हेल्पलाइन और वेबसाइट पर विभिन्न स्कूलों से संबंधित सूचनाएं इसी दिशा में एक छोटा सा प्रयास है। सिसोदिया ने कहा कि शिक्षा अधिकारियों को समझना चाहिए कि भगवान ने हमें लोगों की मदद करने का मौका दिया है। अगर वे इस भावना के साथ लोगों की समस्याओं से मुखातिब होंगे तो बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे। कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए शिक्षा निदेशक पद्मिनी सिंगला ने हेल्पलाइन से संबंधित प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों की शिकायत आने के तीन दिनों के भीतर उसका निपटारा किया जाएगा। वेबसाइट के बारे में उन्होंने कहा कि इसके जरिये लोगों को एक कॉमन प्लेटफार्म मुहैया कराया जा रहा है। अब लोगों को स्कूलों से संबंधित विभिन्न जानकारियां जुटाने के लिए जगह-जगह जाने, फोन करने या हर स्कूल की वेबसाइट देखने की जरूरत नहीं है। सिंगला ने यह भी कहा कि इस वेबसाइट को अभी और बेहतर किया जाएगा। बहुत जल्द इस वेबसाइट के जरिये अभिभावक विभिन्न स्कूलों की सीटों, शुल्क आदि की तुलनात्मक जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

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