दिल्ली :(17/07/2019) युवाओ में ई सिगरेट के दुआरा नशे की बढ़ती लत को गंभीरता से लेते हुए कैट ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है इस कठोर नियम बनाकर लागू किया जाए । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन को आज भेजे गए एक ज्ञापन में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम यानी ई-सिगरेट के लिए उपयुक्त नियम बनाने के लिए एक विशेषज्ञ समिति के गठन का गठन किया जाए जो इस पर व्यापक तरीके से अध्यन कर नियम एवं कानून बनाने की सिफारिश सरकार को करे ।
कैट ने अपने ज्ञापन के दुआरा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन से आग्रह किया है कि धूम्रपान करने वालों की युवाओ की आयु सीमा 18 वर्ष से बढ़ाकर 25 वर्ष की जाए ।
कैट ने कहा कि पिछले दशकों में सरकार ने कई तंबाकू नियंत्रण उपायों की शुरुआत की है, हालांकि, सभी प्रयासों के बावजूद, जिस दर से धूम्रपान का प्रचलन बढ़ रहा है। ये काफी चिंताजनक विषय है ,
आपको बतादे कि दिल्ली में धूम्रपान का प्रचलन 11.3% है, जो भारतीय औसत 10.7% से अधिक है।
तम्बाकू एवं धूम्रपान दुनिया में रोग और मृत्यु में सबसे बड़ा कारण है, कि प्रत्येक वर्ष, तम्बाकू के कारण 1.3 मिलियन से अधिक भारतीय मर जाते हैं।
कैट ने केंद्र सरकार को अपने सुझाव में बताया कि ई-सिगरेट जैसे और भी अन्य कम नुकसान के विकल्प सिगरेट के उपयोग को देश में कम कर सकते हैं । सिगरेट का धुआं धूम्रपान करने वालों को 400 से अधिक विषाक्त पदार्थों और 69 ज्ञात कार्सिनोजेन्स पैदा करता हैं वहीँ ई-सिगरेट, जो एक इलेक्ट्रॉनिक विकल्प हैं, इन विषाक्त पदार्थों और कैंसर पैदा करने वाले रसायनों का उत्सर्जन किए बिना उपयोगकर्ताओं को निकोटीन की समान मात्रा प्रदान करता है। अनेक देशों में रिसेर्च में यह बात सामने आयी है की ई सिगरेट वैश्विक स्तर पर 95 प्रतिशत कम हानिकारक हैं,
इन उत्पादों का उपयोग यूके, कनाडा, न्यूजीलैंड, आदि जैसे विभिन्न देशों के तंबाकू नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए किया जा रहा है। ।इसलिए तम्बाकू नियंत्रण हेतु भारत में भी इस पर एक स्टडी कराई जाने की जरूरत है ।
इन उत्पादों पर कोई भी प्रतिबंध लगाती है तो वो काला बाज़ारी के माध्यम से अवैध व्यापार को बढ़ावा देगा और असुरक्षित एवं नकली उत्पादों को बढ़ावा देगा जो उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा होगा। व्यापार राजस्व के नुकसान के अलावा, सरकार के लिए इन अवैध उत्पादों की युवा पहुंच को प्रतिबंधित करना भी मुश्किल होगा।
इसलिए कैट ने डॉ. हर्षवर्धन से ई-सिगरेट के सभी पहलुओं की समीक्षा करने का आग्रह किया है, जिसमें मौजूदा वैश्विक विनियमन, प्रचलन सिगरेट की तुलना में ई सिगरेट का कम हानिकारक होना आदि शामिल होना चाहिए !
