सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश, मस्जिद को भी दी जाएगी 5 एकड़ जमीन

ROHIT SHARMA / ABHISHEK SHARMA

नई दिल्ली: अयोध्‍या केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने सुबह 10.30 बजे अपना फैसला सुनाना शुरू किया. सीजेआई ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज की. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सभी पांच जजों ने सर्वसम्मिति से फैसला सुनाया है.

सीजेआई ने कहा कि 30 मिनट में पूरा फैसला पढ़ा जाएगा. सीजेआई ने कहा बाबर के समय मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई थी. 1949 में दो मूर्तियां रखी गई थी. सीजेआई ने कहा कि बाबरी मस्जिद हिंदू स्ट्रक्चर के ऊपर बनाई गई.

यह मस्जिद समतल स्थान पर नहीं बनाई गई. एसआई की खुदाई में 21वीं सदी में मंदिर के साक्ष्य मिले. सीजेआई ने कहा की खुदाई के साक्ष्यों को अनदेखा नहीं कर सकते हैं. खुदाई में इस्लामिक ढांचे के सबूत नहीं मिले थे. सीजेआई ने यह भी कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले हिंदू वहां राम चबूतरे और सीता रसोई पर पूजा होती रही थी.

सीजेआई ने कहा है कि एएसाई की खुदाई में जो चीजें मिली हैं उसे हम खारिज नहीं कर सकते हैं. सीजेआई ने कहा कि खुदाई से मिले दस्तावेजों को खारिज नहीं कर सकते हैं. कहा कि थोड़ी देर में तय हो जाएगा कि जमीन पर मालिकाना हक किसका है.सीजीेआई ने कहा कि आस्था और विश्वास पर कोई सवाल नहीं है. सीजेआई ने कहा श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था इसमें कोई शक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने रामलला को कानूनी मान्यता दी.

सीजेआई ने कहा कि 1856 से 57 तक उस स्थान पर हिंदुओं को पूजा करने से रोका नहीं गया था. सदियों से हिंदुओं द्वारा वहां पूजा किए जाना यह साबित करता है कि उनका विश्वास है उस स्थान पर रामलला विराजमान है.

सीजेआई ने कहा कि बाहरी प्रांगण में हिंदू पूजा करते रहे हैं. हाईकोर्ट ने इस मामले के तीन हिस्से किए ये तार्किक नहीं है.

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