नई दिल्ली :– केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज प्रेस वार्ता करते हुए कहा है कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन रात भर की घटना नहीं है। इस स्थिति तक पहुंचने में 100 साल लगे हैं। इसके लिए मुख्य रूप से दुनिया के प्रमुख राष्ट्र ही जिम्मेदार हैं।
उन्होंने कहा कि वातावरण को प्रदूषित करने वाले कुल गैस में से सबसे ज्यादा उत्सर्जन अमरीका करता है। अकेले अमरीका दुनिया के कुल प्रदूषण में से 25 फीसदी का उत्सर्जन करता है। इसमें यूरोपीय देशों की सहभागिता 22 प्रतिशत है। जबकि चीन 13 प्रतिशत गैस उत्सर्जित करता है। भारत में केवल 3 प्रतिशत गैस का उत्सर्जन करता है। इसलिए भारत जलवायु परिवर्तन के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं हैं।
उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 दिसंबर को वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे. केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि पीएम मोदी 12 दिसंबर को ऐतिहासिक पेरिस जलवायु समझौते की पांचवीं वर्षगांठ पर वैश्विक जलवायु शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे |
भारत ने गैस का उत्सर्जन 21 फीसदी कम किया , लेकिन दुनिया का एक जिम्मेदार राष्ष्ट्र होने और जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम को नियंत्रित करने में अपनी हिस्सेदारी निभा रहा है। पेरिस जलवायु समझौते के अनुसार हमारी उत्सर्जन तीव्रता 33.35 फीसदी तक तक कम होनी थी। हमने इसका 21 फीसदी गैस का उत्सर्जन कम कर लिया है। शेष लक्ष्य को हम आगामी 10 वर्षों में हासिल कर लेंगे।
समझौते के तहत प्रावधान है कि वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखना और यह कोशिश बनाए रखना कि वो 1.5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा न बढ़ने पाए. मानवीय कार्यों की वजह से होने वाले ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को इस स्तर पर लाना कि पेड़, मिट्टी और समुद्र उसे प्राकृतिक रूप से सोखते रहें |
समझौते के तहत हर पांच साल में गैस उत्सर्जन में कटौती में प्रत्येक देश की भूमिका की प्रगति की समीक्षा करना भी उद्देश्य है. साथ ही इसमें विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्तीय सहायता के लिए 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष देना और भविष्य में इसे बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता दिखाने की बात भी कही गई है |
हालांकि यह समझौता विकसित और विकासशील देशों पर एक सामान नहीं लागू किया जा सकता था. इस कारण से समझौते में विकासशील देशों के लिए कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए आर्थिक सहायता और कई तरह की छूटों का प्रावधान किया गया.|
Discover more from tennews.in: National News Portal
Subscribe to get the latest posts sent to your email.