नई दिल्ली :– देश में कुछ ऐसे अनोखे लोग होते है, जिनकी प्रेरणा से बहुत कुछ सीखने को मिलता है । उनका एक ही मकसद होता है कि किस तरह से निस्वार्थ होकर देश की सेवा की जाए , क्योंकि वो लोग सिर्फ सेवा को ही धर्म मानते है।
समाज के लिए कुछ अच्छा करने और सामाजिक बदलाव लाने में सामाजिक संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में कई सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो सामाजिक सुधार लाने और सामाजिक न्याय के लिए लड़ते हैं और जागरूकता अभियान, सामाजिक कार्य व अन्य गतिविधियों के जरिए समाज में बदलाव लाने की कोशिश करते हैं।
ऐसे लोग जिन्होंने समाज के लिए बहुत कुछ किया परंतु समाज उनके कार्यों से अनभिज्ञ है , ऐसे समाज के रत्नों को सबके सामने लाने का प्रयास दिल्ली की अर्जुन फाउंडेशन और मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था कर रहा है। वही आज एक बार फिर अर्जुन फाउंडेशन , मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था एक ऐसे ‘स्वयं सिद्धा’ को सामने लेकर आया है , जिससे आप बहुत कुछ सीख सकते है | आपको बता दे कि अर्जुन फाउंडेशन और मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था ने मिलकर टेन न्यूज़ नेटवर्क के प्लेटफार्म के माध्यम से “स्वयं सिद्धा ” कार्यक्रम शुरू किया है।
वही इस कार्यक्रम में देश की प्रथम महिला पायलट जिन्होंने सियाचिन और लेह पर अपनी सेवा दी , आज वो महिला ने हमारे कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में हिस्सा लिया , जिनका नाम विंग कमांडर नमृता चंडी है | साथ ही इस कार्यक्रम में मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था के संस्थापक व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मुले, अर्जुन फाउंडेशन की अध्यक्ष हिमांगी सिन्हा शामिल रही। वही इस कार्यक्रम का संचालन साक्षी चावला ने किया । साक्षी चावला एक समाजसेविका , लेखिका और तेजतर्रार एंकर भी है । उन्होंने इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि से महत्वपूर्ण प्रश्न किए , जिसका जवाब दिया गया । आपको बता दें कि यह कार्यक्रम टेन न्यूज़ नेटवर्क के यूट्यूब और फेसबुक चैनल पर लाइव किया गया है।

वही इस कार्यक्रम में मूवमेंट ऑफ़ पाजिटिविटी संस्था के संस्थापक व राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य ज्ञानेश्वर मुले, अर्जुन फाउंडेशन की अध्यक्ष हिमांगी सिन्हा ने भी विंग कमांडर नमृता चंडी से भी महत्वपूर्ण प्रश्न किए , जिसका जवाब विंग कमांडर नमृता चंडी द्वारा दिए |
विंग कमांडर नमृता चंडी ने कहा कि हम मिडिल कॉल्स फॅमिली से थे, जब में छोटी थी तो हम गॉव रहते थे , मेरे पिताजी और माताजी का बहुत बड़ा योगदान रहा है , जिनकी वजह से विंग कमांडर बनी । मेरे पिताजी एक किसान है , जिनका नाम सरदार हरगुरशरण है , जिन्होंने हमारी पढ़ाई के लिए गाव छोड़कर शहर में अपना मकान बनाया , जिससे हम अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सके । वही मेरी माताजी कमलजीत कौर ग्रहणी है , जिन्होंने हमारी सही तरिके से पालन पोषण किया, मेरे पिताजी और माताजी ने दिन रात मेहनत की , जिनकी वजह से इस मुकाम पर पहुंची ।
उन्होंने कहा कि जब में छोटी थी , मुझे यह नही पता था कि में विंग कमांडर के रूप में देश की सेवा करूँगी । मुझे जहाज में बैठना पसंद था , लेकिन उसे उड़ाना कभी मैने सोचा नही था । मेने एक बार हवाई जहाज में सफर किया था , तब मुझे एहसास नही था कि आने वाले समय में खुद उसे उड़ाऊंगी ।
शुरुआत में मुझे डर लगा था कि किस तरह में परफॉरमेंस कर पाऊँगी , लेकिन मेने ठान लिया था कि कुछ अलग करना है , मैने बहुत मेहनत की इस मुकाम को हासिल करने के लिए । उस समय मेरे मन मे पैसा कमाना नही था , मुझे देश की सेवा करनी थी , मुझे अच्छा लगता था कि में एयर फोर्स की यूनिफॉर्म में हूं , उस यूनिफॉर्म को पहनकर मुझे गर्व महसूस होता है की आप देश की सेवा करने के लिए बने हो ।
विंग कमांडर नमृता चंडी ने कहा कि जब मुझे यह एयर फोर्स में जाने का अवसर मिला तब में पंजाब यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर एप्पलीकेशन की पढ़ाई कर रही थी , मुझे ढाई साल हो गए थे इस पढ़ाई को पूरा करते हुए , जब प्रोजेक्ट का समय आया , तब मुझे एयर फोर्स जाने का मौका मिला , मैने विचार किया कि जो अवसर मुझे मिला उसे खोने न दू , इसलिए मैंने सब छोड़कर एयर फोर्स जॉइन कर लिया ।
उन्होंने कहा कि आज के समय मे बहुत बदलाव देखने को मिला है , अधिकतर देखा गया है कि लोग पैसे पर ज्यादा निर्भर हो गए है , लोग काम करने से पहले यह सोचते है कि पैसा कितना मिलेगा , लेकिन पहले की बात करें तो सब यह कहते थे कि काम क्या करना है , जो बिल्कुल गलत है ।
लोग यह सोचते है कि डिफेंस की नोकरी नही करनी है , प्राइवेट सेक्टर में काम करना है , उससे ज्यादा तनख्वाह होगी और रिस्क नही होगा , लेकिन में कहना चाहती हूं कि आप यह सोचो कि आपको देश की सेवा करने का मौका मिल रहा है , अब तो गवर्नमेंट सेक्टर में भी ज्यादा सुविधाएं है , फिर भी लोग प्राइवेट सेक्टर की ज्यादा भाग रहे है ।
नमृता चंडी ने कहा कि मुझे बहुत सी चुनोतियाँ का सामना करना पड़ा , लेकिन मेने खुद भी चुनौती ली । उन्होंने कहा कि मैने सियाचिन जाने का कदम उठाया , जिसको लेकर मैने अपने अधिकारियों से बात की , उन्हें आग्रह किया कि मुझे सियाचिन जाने दे , जो अवसर मुझे मिला । वहाँ जाकर मैने देखा कि उस समय बहुत सी समस्या रहती है , जो मेने महसूस किया , लेकिन में पीछे नही हटी , उसके बाद मैने उस मुकाम को भी पूरा कर लिया।
उन्होंने कहा कि मैं जब मां बनी तब मेरी एक महीने की बेटी थी और मेरे पति भी बाहर काम करते थे , तब भी मुझे चुनौती का सामना करना पड़ा , क्योंकि मेरा कैरियर पूरा नही हुआ था । जब मेरी बेटी 10 महीने की थी तब मुझे एक एक महीने के लिए घर से बाहर रहना पड़ता था , में शुक्रिया करती हूं अपने परिवार का जिन्होंने मेरा मेरी बेटी को संभाला , उसकी देखभाल की ।
साथ ही उन्होंने कहा कि मैने कभी हौसला नही छोड़ा , अधिकतर देखा गया है कि महिला जब पर्सनल और प्रोफेशनल के समय मे घिर जाती है तो महिला प्रोफेशनल को छोड़कर पर्सनल की तरफ आ जाते है , जो मैने नही किया । मैने सभी चुनोतियों का सामना किया ।
नमृता चंडी ने कहा कि शहर की रिटायर्ड ऑफिसर्स से लेकर ऐसी लड़कियां भी खुश हैं, जो सेना में जाना चाहती हैं। उनका कहना है कि शॉर्ट सर्विस कमीशन एक जॉब की तरह है। सेना में नौकरी करना किसी के लिए भी जॉब नहीं होता, बल्कि ये एक पैशन है। आर्मी ऑफिसर्स ने माइंड सेट कर रखा है। स्थायी कमीशन मिलने के बाद जब महिला ऑफिसर्स कमांड करेंगी तो उनकी सोच में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगेगा। अनंतकाल तक आर्मी को सिर्फ पुरुष प्रधान बनाए नहीं रखा जा सकता। एयरफोर्स की तरह इंफेंट्री को निर्णय बदलना होगा।
शॉर्ट सर्विस कमिशन के कारण लड़कियां आर्मी में जाने की इ’छा रखने के बाद भी दूसरी स्थायी जॉब के बारे में ज्यादा सोचती हैं। लड़कियां प्लेन उड़ा सकती हैं तो इंफ्रेंट्री में भी कमांड कर सकती हैं। इंडियन एयरफाेर्स से रिटायर्ड विंग कमांडर नमृता चंडी ने कहा- एयरफोर्स में कभी भी महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं हुआ |
उन्होंने कहा की मेरी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यादें रही है , जब मेने सियाचिन और लेह पर अपनी सेवा दी , मुझे गर्व होता है की मेने देश की सेवा करी है और मुझे ये अवसर मिला |
