सर्वधर्म संसद द्वारा आयोजित ‘‘सद्भावना दिवस’’ को फ़ादर एग्नेल स्कूल में आयोजित किया गया।

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महर्षि भृगु पीठाधीश्वर श्रद्धेय गोस्वामी सुशील जी महाराज के 70वेें जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सर्वधर्म संसद द्वारा आयोजित ‘‘सद्भावना दिवस’’ को फ़ादर एग्नेल स्कूल, बीटा-2, ग्रेटर नोएडा में आयोजित किया गया। जिसमें सभी धर्मों के धर्म गुरूओं द्वारा सभी धर्मों की एकता के लिए चर्चा की गयी। जिसमें की आचार्य डा0 लोकेश मुनी (संस्थापक- अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष अंहिसा विश्व भारती), ईमाम ऊमर अहमद ईल्यासी (राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय इमाम आॅर्गनाईजेशन), सरदार परमजीत सिंह चैन्डोक (अध्यक्ष- गुरूद्वारा बांग्ला साहिब, दिल्ली), आचार्य विवके मुनी (आचार्य श्री सुशील मुनी जी के शिष्य, विश्व अंहिसा संघ), फ़ादर एम0डी0 थाॅमस (चेयरमेन- इन्सीट्यिूट आफ हारमनी एण्ड पीस स्टडीज), रब्बी बिजिकल आईजैक मलिकर (यहूदी धर्म), धम्माचारी मंजु कुमार (तीर्थना बुद्धा महासंघ, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय, गे्रटर नोएडा) उपस्थित हुए। सभी धर्म गुरूओं ने श्रद्वेय गोस्वामी सुशील जी महाराज को उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में बधाई दी। आचार्य डा0 लोकेश मुनी जी ने कहा धर्म हमें जोड़ता है, तोड़ता नहीं। धर्म के क्षेत्र में हिंसा, घृणा, नफरत, भय का कोई स्थान नहीं। अनेकता में एकता भारत की मौलिक विशेषता है। सर्वधर्म सद्भाव उसका मूल है। साम्प्रदायिक कट्टरता व जातिवादी जूनून लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर करते हैं। हमें अपने अस्तित्व और विचारों की तरह दूसरों के अस्तित्व एवं विचारों का भी सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा की पर्यावरण, प्रदूषण से वैचारिक प्रदूषण ज्यादा खतरनाक है।

इमाम ऊमर अहमद ईल्यासी ने भारत की एकता, अखण्डता का जिक्र करते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरू बनाना है। जिसके लिए सर्व धर्म सद्भाव सर्वेपरि है। उन्होंने गोस्वामी सुशील जी महाराज को इस बात के लिए मुबारकबाद दी कि उन्होंने अपने जन्मदिवस को साम्प्रदायिक सौहार्द से जोड़ा। 21 जून को ‘विश्व योग दिवस’ घोषित होने पर यूनाइटेड नेेशन को धन्यवाद देते हुए उन्होंने इस उपलब्धि के लिए धर्म गुरूओं की महती भूमिका को रेखांकित किया।
सरदार परमजीत सिंह चान्डोक ने गोस्वामी सुशील जी महाराज के सर्व धर्म संसद के कार्यों में अग्रणीय भूमिका की सराहना करते हुए उनके जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के रूप में मनाने की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा की नेपाल और भारत में आये भूकम्प से पीडि़त व्यक्तियों की सभी को यथासंभव सहायता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह धर्म गुरूओं का दायित्व है कि वे देश के सरहदों के पार मानवता के मापदण्डों पर विचार करते हुए पूरे विश्व में प्रेम, शांति, करूणा का उपदेश अपने व्यवहार से दें।
अपने जीवन के सातवें दशक के सोपान पर कदम रखते हुए गोस्वामी सुशील जी महाराज ने प्रकृति और पर्यावरण संतुलन के के महवत्व को उजागर करते हुए कहा की समाजें उनके लिए एक वाटिका के समान है। जिसमें उग रहे विभिन्न फूल विभिन्न धर्मों को दर्शाते हैं। एक उपवन की शोभा तभी तक है जब तक उसमें सभी प्रकार के पुष्प खिलें।
इस अवसर पर फा़दर एग्नेल स्कूल के डायरेक्टर फा़दर बेन्टों ने गोस्वामी जी के जन्म दिवस को फा़दर एग्नेल स्कूल, ग्रेटर नोएडा में मनाये जाने को सभी धर्माे के समक्ष एक सुंदर उदाहरण बताया। कार्यक्रम में फा़दर एग्नेल स्कूल, दिशा स्कूल, अर्सलाइन स्कूल तथा जीसस एण्ड मेरी स्कूल के विद्यार्थियों ने सद्भाव पर केन्द्रित नृत्य एवं नाटिकाएॅं प्रस्तुत की। श्रीमती गीता ने गुरू वंदना प्रस्तुत की तथा कार्यक्रम का संचालन एग्नेल स्कूल की अध्यापिका श्रीमती नीलम त्यागी ने किया।

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