निगम उपचुनावों में केजरीवाल का करिश्मा नहीं चल सका। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी का वोट शेयर 54 फीसदी से ज्यादा था लेकिन वह अब घटकर 29 फीसदी ही रह गया है। हालांकि आम आदमी पार्टी इस बात पर संतोष कर सकती है कि इन 13 सीटों में से एक मुस्लिम बहुल सीट यानी बल्लीमारान पर उसके उम्मीदवार ने ही सफलता हासिल की है लेकिन मध्यम वर्ग तथा निचले वर्ग में पार्टी का वोट आधार काफी कम हो गया है।
बीजेपी ने पिछले विधानसभा चुनावों में 32.1 फीसदी वोट हासिल किए थे और अब उसका वोट प्रतिशत थोड़ा बढ़ा है यानी उसने आम से करीब दो फीसदी वोट छीनते हुए अपना हिस्सा 34 फीसदी कर लिया है लेकिन सबसे ज्यादा फायदा कांग्रेस को हुआ है। कांग्रेस पिछले विधानसभा चुनावों में केवल 9.8 फीसदी वोट ही ले पाई थी और उसका सूपड़ा साफ हो गया था लेकिन इन उपचुनावों में वह 24 फीसदी पर आकर 4 सीटें जीतने में सफल हो गई है। यह कहा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी का जो 25 फीसदी वोट कम हुआ है उसमें सबसे ज्यादा सेंध कांग्रेस ने ही लगाई है। राजनीतिक रूप से यह भी कहा जा सकता है कि कांग्रेस का जो वोट बैंक पिछले विधानसभा चुनावों में आप की तरफ खिसक गया था, कांग्रेस उसे वापस लाने में कामयाब हो रही है।
जिन 13 सीटों पर अब उपचुनाव हुए हैं, उनमें 2012 के चुनावों में 7 सीटें बीजेपी ने जीती थीं और अब वह सिर्फ 3 सीटें ही जीत सकी है यानी उसे चार सीटों का सीधा-सीधा नुकसान हुआ है। इन 13 सीटों में से कांग्रेस के पास 2012 में कोई सीट नहीं थी और उसे चार सीटों का सीधा फायदा हुआ है। आम आदमी पार्टी 2012 के चुनावों के समय थी ही नहीं। इसलिए उसने जो पांच सीटें जीती हैं, उन सभी का उसे फायदा हुआ है। 2012 के नगर निगम चुनावों के समय इन 13 में से 7 सीटें तो बीजेपी के पास थी हीं, इसके अलावा 4 सीटें निर्दलीयों ने जीती थीं। एक आरएलडी के पास थी और एक बीएसपी के पास। ज्यादातर निर्दलीय बीजेपी में चले गए थे और इस लिहाज से इसे बीजेपी के नुकसान में ही गिना जाएगा।
इन 13 सीटों के नतीजों को देखने के बाद कहा जा सकता है कि कांग्रेस के पास निचले तबके का वोट वापस आ गया है क्योंकि उसने कमरूद्दीन नगर, खिचड़ीपुर जैसी सीटों पर फिर से कब्जा किया है। मिक्स आबादी वाले इलाकों जैसे झिलमिल और मुनीरका में भी कांग्रेस को जीत मिली है। बीजेपी अपने परंपरागत इलाकों यानी मिडल क्लास आबादी के इलाकों जैसे वजीरपुर और शालीमार बाग में अपनी साख बचाने में कामयाब हुई है लेकिन ऐसे ही करेक्टर वाली दो सीटों विकास नगर और नानकपुरा सीटों पर जीत हासिल करके आप ने उसे चुनौती भी दी है। नवादा से कृष्ण गहलोत अपने प्रभाव के कारण जीते हैं लेकिन बाकी ग्रामीण इलाकों जैसे मटियाला और तैखंड में आप आदमी पार्टी को जीत मिली है।
इन नतीजों पर अब पार्टियों को माथापच्ची करनी होगी क्योंकि उनका जो आधार खिसका है, उसे पाने के लिए वे अवश्य ही हाथ-पैर मारेंगे
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