अजय माकन की चुनौती पर आप पार्टी ने दिया करारा जवाब , कहा कांग्रेस जब चाहें सीलिंग के मुद्दे पर कर ले बहस

ROHIT SHARMA

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दिल्ली :– सीलिंग के मुद्दे को लेकर कांग्रेस और दिल्ली सरकार में फिर से बहस शुरू हो गई है । आपको बता दे कि दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन द्वारा इस विषय में आप को दी गई बहस की चुनौती का आप ट्रेड विंग ने करारा जवाब दिया है। आप ट्रेड विंग के कन्वीनर बृजेश गोयल का यह कहना है कि अजय माकन की चुनौती को स्वीकार करते हुए वह बहस के लिए पूरी तरह से तैयार है।

अपनी बात में आप ट्रेड विंग ने कहा कि असल में कांग्रेस आगामी चुनाव के मुद्दों को लेकर अपनी नीव तलाशने की कोशिश में जुटी है। यहीं वजह है कि दिल्ली की जनता को गुमराह करती हुई नजर आ रही है। दिल्ली में हो रही सीलिंग से केजरीवाल सरकार का किसी भी तरह से कोई लेना देना नहीं है।

वही ट्रेड विंग कन्वीनर ने कहा कि अजय माकन को यह याद होना चाहिए कि जब वह केंद्र में शहरी विकास मंत्री के पद पर थे और दिल्ली में उस समय शीला दीक्षित की सरकार थी तो उन्होंने दिल्ली के व्यापारियों व जनता की समस्या को दूर करने की बजाए उस समस्या पर ढुलमुल रवैया को अपनाए रखा था और वह अपने ही मास्टर प्लान को लागू कर पाने में असफल रहे थे। दिल्ली में वेयरहाउस और गोदाम की बात करें तो इसको लेकर कोई पॉलिसी नहीं बनाई गई । इसी मास्टर प्लान को लेकर आज तक भ्रम की स्थिति बरकरार है।

दरअसल दिल्ली में बड़े पैमाने पर हो रही सीलिंग के लिए कांग्रेस ने भाजपा व आप पार्टी को जिम्मेवार ठहराया है। वही कांग्रेस पार्टी ने गांधी नगर में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन के नेतृत्व में न्याय युद्ध की शुरुवात कर दी। कांग्रेस नेताओं ने यह ऐलान किया है कि गैर कानूनी सीलिंग बंद करो-वरना गद्दी छोड़ दो। इस सभा में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया।

सभा को माकन के अलावा दिल्ली के पूर्व मंत्री अरविन्दर सिंह लवली, डॉ. एके वालिया, हारुन यूसूफ , डॉ. नरेन्द्र नाथ व वरिष्ठ नेता एवं इस अभियान के संयोजक पूर्व विधायक मुकेश शर्मा ने वहां मौजूद लोगों को सम्बोधित किया। पूर्वी दिल्ली में भाजपा व आप पार्टी के खिलाफ गैर कानूनी सीलिंग के खिलाफ होर्डिंग व पोस्टर लगा रखे थे।

अजय माकन ने भाजपा व आप पार्टी को गैर कानूनी सीलिंग के मुद्दे पर खुली बहस की चुनौती देते हुए कहा कि दोनों दलों के गैर जिम्मेदाराना रवैये व गरीब विरोधी नीति के कारण आज दिल्ली के लोगों को गैर कानूनी सीलिंग जैसे दंश को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने दोनो दलों के नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि कौन से ऐसे कारण है कि जिसके चलते

सर्वदलीय बैठक में निर्णय होने के बावजूद दिल्ली सरकार ने आज तक घरेलू उद्योगों की परिभाषा को क्यों नही बदला है। उन्होंने कहा कि सीलिंग से 8 लाख से भी अधिक लोग अभी तक बेरोजगार हो चुके हैं।

न्याय युद्ध में लवली द्वारा रखे गए तीन प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया। पारित प्रस्तावों में कानूनी पहला मास्टर प्लान में घरेलू उद्योगों को दिए गए कानूनी कवच के आधार पर पहला उद्योग संबधी परिभाषा को नए सिरे से परिभाषित करके 5 किलोवाट बिजली के कनेक्शन को 11 किलोवाट किया जाए और 5 कर्मचारियों के स्थान पर 11 कर्मचारियों की व्यवस्था करने का आदेश तुरंत प्रभाव से लागू करके गांधी नगर सहित पूरी दिल्ली के घरेलू उद्योगों को गैर कानूनी सीलिंग से राहत दी जाए।

डॉ. वालिया व हारून युसूफ ने कहा कि राजधानी में कांग्रेस सरकार ने 70 प्रतिशत से अधिक औद्योगिक इकाईयों वाले क्षेत्रों को राहत प्रदान करते हुए उन्हें औद्योगिक क्षेत्र घोषित किया था। दोनों पूर्व मंत्रियों ने कहा कि राजधानी में चल रही गैर कानूनी सीलिंग के चलते न केवल बेरोजगारी बढ़ रही है बल्कि दिल्ली की अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है।आप पार्टी व भाजपा के विधायक और पार्षद गैर कानूनी सीलिंग की आड़ में छोटे उद्यमियों को डरा धमका कर लूट रहे हैं।

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