नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी ने विधायक आतिशी को आयकर विभाग द्वारा नोटिस दिए जाने पर भाजपा और उसकी केंद्र सरकार पर हमला बोला है। ‘आप’ पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता को सम्भोधित करते हुए कहा कि भाजपा को राजनीति में पढ़ी-लिखी युवती बर्दाश्त नहीं है और इसीलिए भाजपा की केंद्र सरकार ने ‘आप’ विधायक आतिशी को एफडी और म्यूच्यूअल फण्ड में जमा मात्र 59 लाख रुपए के लिए आईटी नोटिस भेजा है।
उन्होंने कहा कि सारे मापदंड गिराते हुए भाजपा की केंद्र सरकार ने बदले की भावना से 2012 से पहले की आमदनी के लिए यह आयकर नोटिस भेजा है। भाजपा अपना महिला विरोधी चेहरा दिखा रही है और आम आदमी पार्टी इसकी घोर निंदा करती है।
वहीं, आतिशी ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार तमाम कोशिशों के बावजूद ‘आप’ के किसी नेता के खिलाफ एक गलती नहीं ढूंढ पाई है, क्योंकि हमारे पास कुछ भी छिपाने के लिए नहीं है। उन्होंने भाजपा को चुनौती देते हुए कहा कि जिस तरह से हम अपने सारे बैंक खाते और सारी प्रॉपर्टी सार्वजनिक करने के लिए तैयार हैं, क्या भाजपा के नेता भी यह करने को तैयार हैं?
इस दौरान सौरभ भारद्वाज ने कहा कि विधायक आतिशी दिल्ली के स्प्रिंग डेल स्कूल में पढ़ी हैं। इनके माता-पिता दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। इसके बाद इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंदर ही सेंट स्टीफंस काॅलेज से हिस्ट्री ऑनर्स किया और पूरे दिल्ली के अंदर टॉपर रहीं।
उसके बाद प्रतिष्ठि शेवनिंग स्कॉलरशिप पर इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमए किया और फिर दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित रोड्स स्कॉलरशिप के अंतर्गत इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएससी किया। इतनी बड़ी-बड़ी योग्यता के बाद कोई 8 से 10 साल तक अगर नौकरी करें, कंसल्टिंग का काम करें, रिसर्च ऑर्गेनाइजेशंस में स्कॉलर के तौर पर थिंक टैंक के साथ काम करें, तो मुझे लगता कि कोई बेवकूफ से बेवकूफ आदमी भी यह समझ सकता है कि आप इतना धन अर्जित कर सकते हैं। उसके बाद अगर वह पैसा 7-8 साल बैंक में और म्युचुअल फंड्स में रखा रहे, तो 50-60 लाख रुपए आराम से बनता है।
उन्होंने कहा कि आतिशी के एफडी और म्युचुअल फंड्स में जितना पैसा है, यह सारा पैसा 2012 से पहले जमा कराया गया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अक्टूबर-2012 में आम आदमी पार्टी बनी और दिसंबर-2013 में पहली बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनी। 2015 में आतिशी को दिल्ली सरकार के साथ काम करने का मौका मिला और मात्र एक रुपए प्रतिमाह वेतन पर काम करती थीं।