An open letter to @arvindkejriwal @aamaadmiparty by New Delhi Voter Subash Trehan #aapkasting

(चिट्ठी दिल्ली के माननीय मुख्य मन्त्री अरविन्द केजरीवाल को मिले)
अरविन्द केजरीवाल जी,
सन् 2015 के माह मार्च का आख़िरी शनिवार एक ऐसा दिन रहा जब आम आदमी पार्टी पर आये या, ये कहना बेहतर होगा कि आप द्वारा स्वय लाए गये संकट पर आप मूक बने रहे। पार्टी की दिशा और दशा को प्रभावित करने वाली ऐसी घटना पर पहली बार आपने ख़ामोशी अख़्तियार की है। दिल्ली विधान सभा के पिछले दोनो तथा लोक सभा २०१४ के चुनाव में आम आदमी पार्टी को वोट करने की हैसियत से आपको बताना चाहूँगा कि ‘पाँच साल केजरीवाल’ बनने के लायक आप मे न तो कोई ऐसा व्यक्तिगत गुण था और न ही आपका कोई ऐसा करिश्माई व्यक्तित्व। और यह बात आप अच्छी तरह जानते है।
दिल्ली में बड़ी जमीन, जिस पर आपका सिंहासन अगले पाँच वर्षों के लिए फ़िलहाल सुरक्षित है, वो केवल धरनो की बदौलत हासिल नही हुई है। सूचना का अधिकार, जिसका सेहरा आप और आपके समर्थक आपके सर बाँधते है, उसके बारे आप प्रशान्त भूषण के बिना सोच तक नही सकते थे, लागू करवाना तो दूर की बात थी। २जी स्पेक्ट्रम, कोलगेट जिसने काँग्रेस और उसके सहयोगियों की चूलें हिलाकर रख दी,जिसने पूरे के पूरे जनमत की दिशा परिवर्तित कर दी, आम आदमी पार्टी की अपरिपक्वता के चलते जिससे विकल्प के तौर पर भाजपा के लिए संकारात्मक माहौल बना, उसे स्पष्ट बहुमत तक पहुँचाया, सब प्रशान्त भूषण की बदौलत संभव हो पाया।
आपकी हर प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान, आपके हाथ में जो काग़ज़ों का पुलिंदा होता था, वो आपको कौन उपलब्ध करवाता था, इस बावत अगर कभी अंतर आत्मा कटोचे तो आत्म अवलोकन किजिएगा। जिन भ्रष्टाचार के ख़ुलासों ने आपको प्रसिद्धि बख़्शी, आपको एक विचार धारा की तरह स्थापित किया, उस बावत सरकार से लोहा लेने वालो को आप ये सिला देंगे, इस बात का सपने में भी गुमान न था। जिस अहंकार और लोकतंत्र की दुहाई का तड़का लगाकर आपने अपने इन त्याज्य साथियों के प्रयासों को भुना कर सत्ता हासिल की है उसकी क़लई आज खुल गयी है। आपको बताना होगा कि दिल्ली हाथ आते ही पर्यावरण और सामाजिक सरोकारों से लेकर बोफ़ोर्स तक की क़ानूनी लड़ाई को उसके अंजाम तक पहुँचाने वाले प्रशान्त भूषण से अचानक आप असहज क्यो होने लगे? योगेन्द्र यादव, प्रोफ़ेसर आनन्द कुमार, जो सिविल सोसायटी के लिए आजीवन संघर्षरत है, आपको क्यो अचानक से खटकने लगे? समाज सेवा के जिस क्षेत्र से आपका आगमन सक्रिय राजनीति मे हुआ है वहाँ आपसे क़ाबिल लोगो की संख्या लाखों मे है।
पत्रकारिता में स्टिंग तथा ब्लेकमेलिग के ज़रिए रोज़ी कमाने वाले अपने इन सलाहकारों के सहारे आप अपनी दौड़ के हश्र का अनुमान स्वय ही लगा सकते है। मत भूलिए, यदि आपके साथ प्रशान्त भूषण, योगेन्द्र यादव जैसे लोग न होते तो आप आज भी पूर्वी दिल्ली के किसी मोहल्ले में थाली बजाकर अपने एन जी ओ के प्रचार प्रसार कर रहे होते।

शुभ कामनाओं सहित
सुभाष त्रेहान
मतदाता, नई दिल्ली विधान सभा


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