बाली समझौता भारतीय किसानो के साथ एक धोखा था : Shravan Kumar Sharma
दिसंबर २०१३ में विश्व व्यापार संगठन की बाली नें हुई मंत्री स्तरीय बैठक में भारत की और से आनंद शर्मा ने एक व्यापर समझौते पर हस्ताक्षर कर भारत के ६० करोड किसानो का भविष्य दांव पर लगा दिया और इस प्रकार किसानो को मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य के दरवाजे बंद कर दिए थे ,यह बात वह भी जानते थे पर जब केंद्र में में मोदी के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हो गया और उसने ३१ जुलाई की समय सीमा वाले व्यापा.र सुगमता समझौते (TFA) के संसोधन पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया और इस बात पर जोर दिया कि किसानो की निश्चित आय और खाद्यान्न की भण्डारण की निश्चित गारंटी का मामला तय किया जाये तो इससे अमेरिका सहित विकसित देशो को तो हैरानी हुई ही ,साथ ही भारत में मीडिया के हिस्से और कुछ अर्थशास्त्रियों को भी काफी परेशानी हुई और उन्होंने इस बात का डर दिखाया कि दुनिया में भारत अलग थलग पड जायेगा.पर,अमेरिकी विदेश मंत्री के अंतिम क्षण तक किए प्रयासों के बावजूद मोदी किसानो के हित के इस मामले में चट्टान की तरह अपने रुख पर अडिग है.अब लगता है कि देश में सही राष्ट्रीय नेतृत्व मौजूद है सभी विकसित देशों में देशकी खाद्य सुरक्षा को व्यापारिक समझोतों पर तरज़ीह दी जाती है.
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