New Delhi (08/12/2021): लंबे समय से जारी किसान आंदोलन अब समाप्त होने की कगार पर है। पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों कृषि कानून वापस लेने के बाद अब अन्य मुद्दों पर भी सरकार और किसान संगठनों के बीच सहमति बनती नज़र आ रही है। संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सदस्यीय कमेटी ने सरकार के प्रस्ताव पर जो आपत्तियां भेजी हैं आज उस पर जवाब आना है। अगर कमेटी नए प्रस्ताव से संतुष्ट होती है तो आज ही केंद्र सरकार के मंत्रियों के साथ कमेटी की मीटिंग हो सकती है। आज संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दिल्ली में जारी है। इस बैठक के बाद उम्मीद है कि किसान आंदोलन को लेकर कोई बड़ा फैसला हो सकता है।
इस पूरे मसले पर किसानों की कमेटी का कहना है कि अगर आपत्तियां दूर नहीं की गई तो वो जवाब के साथ सिंघु बार्डर लौट जाएंगे और पहले से तय 2 बजे की बैठक करेंगे। लेकिन किसान नेताओं को केंद्र सरकार से अपनी मांगो को लेकर काफी उम्मीद है कि आज ही केंद्र सरकार के साथ बात बन जाएगी। मीटिंग अभी सिर्फ कमेटी के 5 किसान नेताओं की होगी, इसमें सरकार को भेजे प्रस्ताव पर बात होगी।
आपको बतादें कि कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के 40 से ज्यादा किसान संगठनों ने 21 नवंबर को पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर छह मांगे रखी थीं। इसके बाद केंद्र सरकार ने किसान संगठनों को एक विस्तृत प्रस्वाव भेजा है, हालांकि, किसान संगठनों को इस प्रस्ताव पर भी आपत्ति है और मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर इसको लेकर करीब पांच घंटे लंबी बैठक चली थी।
बता दें कि किसान आंदोलन को खत्म करने के पक्ष में हैं, लेकिन राकेश टिकैत की अगुवाई वाले भारतीय किसान यूनियन सहित कुछ धड़े एमएसपी पर कानून की गारंटी के बिना आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते।
लंबे अरसे से आंदोलन की अगुआई कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार को स्पष्ट कर देना चाहिए कि इस कमेटी में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों के अलावा कौन-कौन से किसान या संगठन शामिल हैं।
हालांकि, इस आंदोलन को खत्म करने के संबंध में उन्होंने कहा कि किसान मोर्चा ही आखिरी फैसला लेगा। किसानों पर दर्ज केस वापस लेने के प्रस्ताव पर टिकैत ने कहा कि एक दिन में मामले वापस नहीं हो सकते हैं। इसकी एक लंबी प्रक्रिया होती है। सरकार शब्दों में हेर-फेर करके प्रस्ताव भेज रही है। केस वापस लेने की समय-सीमा तय की जानी चाहिए।
आपको बतादें कि मुआवजे को लेकर सरकार ने पंजाब मॉडल अपनाने का प्रस्ताव दिया है। साथ ही बिजली के बिल पर सरकार का कहना है कि इस पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ बातचीत की जाएगी। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने पराली को लेकर जो कानून पारित किया है, उसमें धारा 14 और 15 के तरह क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्ति दी है।
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