नई दिल्ली :– देशभर में आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 391वीं जयंती मनाई जा रहा है। वही इसी कड़ी में दिल्ली के न्यू महाराष्ट्र सदन में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई गई ।
क्षत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शहाजीराजे क्षत्रपति ने कहा कि आज दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में शिवाजी महाराज की जयंती धूमधाम से मनाई गई , उन्होंने कहा कि हिंदू हृदय सम्राट व भारत के पराक्रमी मराठा शासक क्षत्रपति शिवाजी महाराज से देश का बच्चा बच्चा वाकिफ है।
पूरे देश में लोग उनके सम्मान में महाराज के नाम से पहले क्षत्रपति शब्द का प्रयोग करते हैं. ऐसे परम पराक्रमी मराठा शासक की आज जयंती है. क्षत्रपति शिवाजी महाराज भारत के एक ऐसे शासक रहें जिन्होंने मुगलों को घुटने टेकने पर मजबूत कर दिया।
अखिल भारतीय शिवराज्याभिषेक महोत्सव समिति के अध्यक्ष योगेश केदार ने कहा कि आज छ्त्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है , वही आज दिल्ली के सभी मराठियों ने धूमधाम से जयंती मनाई है , साथ ही उन्होंने कहा कि इस बार कोरोना महामारी की वजह से बड़े स्तर पर कार्यक्रम नही किया गया है , लेकिन 3 सालों से कार्यक्रम किया जाता है , जिसको देखते हुए इस बार भी कार्यक्रम किया गया ।
आपको बता दें कि 19 फरवरी साल 1630 में जन्में वीर शिवाजी महाराज की गौरव गाथा आज भी लोगों को सुनाई जाती है. शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी भोसले था जबकि मां का नाम जीजाबाई थी।
शिवाजी महाराज बचपन से बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. वे अपने पिता से युद्धों के बारे में विचार-विमर्श करते रहते थे. कहा जाता है कि बचपन से ही शिवाजी महाराज में सीखने-समझने की इच्छा बेहद प्रबल थी. उनके पिता उन्हें अस्त्र शस्त्र चलाना भी सिखाते थे।
साल 1670 में मुगलों की सेना के साथ उन्होंने जमकर लोहा लिया था. मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था. इसके बाद 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी. भारतीय इतिहास में कई योद्धाओं ने अपनी अहम भूमिका निभाई है।
कई वीर योद्धाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी है. उन्हें में से एक थे छत्रपति शिवाजी महाराज. साल 1670 में मुगलों की सेना के साथ उन्होंने जमकर लोहा लिया था. मुगलों को हराकर सिंहगढ़ के किले पर अपना परचम लहराया था. इसके बाद 1674 में उन्होंने ही पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी।
शिवाजी महाराज को भारत के एक महान योद्धा और कुशल रणनीतिकार के रूप में भी जाना जाता है. बता दें कि शिवाजी ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी. शिवाजी महाराज ने अपने कार्यकाल में फारसी की जगह मराठी और संस्कृत को अधिक प्राथमिकता दी थी. उन्होंने कई सालों तक मुगल शासक औरंगजेब से लड़ाई लड़ी थी।