साल के पहले दिन ही कलेक्ट्रेट पर किसानों का धरना
नए साल पर बुधवार को संयुक्त किसान संघर्ष समिति और करीब 60 गांवों के किसानों ने कलेक्ट्रेट पर धावा बोल दिया और अनिश्चितकालीन महापड़ाव डालकर धरने पर बैठ गये है। किसानों का आरोप है कि प्रशासन की मध्यस्ता में बिल्डरों के साथ किसानों का समझौता कराया था। लेकिन, अभी तक किसी भी समझौते को पूरा नहीं किया गया है। साथ ही किसानों ने नये भूमि अधिग्रहण बिल में प्रदेश सरकार इसे अधिग्रहण नीति में सर्किल रेट का 6 गुना मुआवजा और 20 प्रतिशत विकसित प्लांट देने की मांग की है। किसानों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है, तब तक वे कलेक्ट्रेट में डीएम ऑफिस के सामने दिन-रात धरने पर बैठे रहेंगे। वहीं आप कार्यकर्ताओं ने भी किसानों के इस महापड़ाव का अपना समर्थन दिया है।
बुधवार की दोपहर दादरी एरिया में हाईटेक सिटी, अंसल बिल्डर, राष्टड्ढ्रीय राजमार्ग, शिवनादर विवि, यमुना अथॉरिटी, ग्रेनो अथॉरिटी की जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया से प्रभावित सैकड़ों किसान सूरजपुर स्थित मोजरबीयर गोल चक्कर पर एकत्र हुए। वहां से सभी पैदल मार्च करते हुए कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। इस दौरान सभी ने जमकर नारेबाजी की। कलेक्ट्रेट में किसानों ने डीएम ऑफिस में घूसने की कोशिश की। लेकिन, पुलिस ने उन्हें ऐसा नहीं करने दिया। इस दौरान पुलिस और किसानों में धक्का-मुक्की भी हुई। संयुक्त किसान संघर्ष समिति के बैनर तले पहुंचे किसानों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थी। इसके बाद किसान डीएम ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए और प्रदेश सरकार व प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। किसान नेता सुनील फौजी ने बताया कि सभी बिल्डर से प्रभावित किसानों की मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है। जबकि, प्रशासन ने कई बार बिल्डर और किसानों के बीच समझौता कराया है। समझौते की कापी भी उनके पास है। लेकिन, किसी भी समझौते को पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि जब तक समझौते के तहत किसानों को 64.7 परसेंट बढ़ा हुआ मुआवजा और 10 प्रतिशत विकसित भूमि नहीं दी जाती, तब तक कलेक्ट्रेट परिसर में दिन-रात किसानों का यह महापड़ाव व धरना जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड किसान संघर्ष समिति, दिल्ली किसान संघर्ष समिति सहित दिल्ली एनसीआर की कई समिति ने इसे अपना समर्थन दिया। साथ ही आम आदमी पार्टी ने भी समर्थन दिया है।
डीएमआईसी में बनेंगे बाधक
किसानों ने साफ कह दिया है कि वे डीएमआईसी प्रोजेक्ट में अपनी जमीन नहीं देंगे। उनकी कहना है कि प्रदेश सरकार ने चुनाव में सर्किल रेट का 6 गुना मुआवजा देने और 20 प्रतिशत विकसित प्लांट देने की जो घोषणा की थी, उसे पूरा करे। अगर किसानों को सर्किल रेट का मुआवजा और 20 प्रतिशत विकसित प्लांट मिलता है तो ही किसान अथॉरिटी को अपनी जमीन देगा।
भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध
किसानों ने नये भूमि अधिग्रहण बिल का विरोध किया है। किसान नेता लीलू नेताजी ने बताया कि 31 दिसंबर को भूमि अधिग्रहण करने की पुरानी प्रणाली खत्म हो गयी है। नये साल से नयी अधिग्रहण बिल लागू हो गया है। प्रदेश सरकार इसे लागू करने के लिये अपनी नीति बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने चुनावी वादों को याद करते हुये इस बिल में उन्हें पूरा करे।