भूमंडलीय स्तर पर मानव जीवन में वृहद परिवर्तनों का कारण बनेगा कोविड-19

द्वारा: डॉ शुभोजित बनर्जी, डॉ मनमोहन सिंह शिशोदिया (गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश)

कोविड-19 से प्रभावित लोगों का आंकड़ा सुरसा के मुंह की तरह प्रतिदिन बढ़ रहा है, जिसने दुनिया के लगभग 213 देशों में मौत का तांडव मचा रखा है। ऐसे डरावने एवं अनिश्चितता के परिदृश्य ने लोगों को यह सोचने के लिए विवश कर दिया है कि, क्या कोरोना से पूर्व की आर्थिक, औद्योगिक, सामाजिक, एवं राजनीतिक स्थितयां पुनः बहाल होंगी? ऐसे सवालों पर भारतीय जनमानस कि राय जानने के उद्देश्य से गौतम बुद्द विश्वविद्यलय के प्रबंधन विभाग के शिक्षक डॉक्टर शुभोजित बनर्जी एवं भौतिकी विज्ञान विभाग के शिक्षक डॉक्टर मनमोहन सिंह शिशोदिया ने एक ऑनलाइन सर्वे किया, जिसमें 49% काॅलेज एवं विश्वविद्यलय छात्र, 23% शिक्षक,11% व्यापारी अथवा फ्रीलांसर, एवं 17% सरकारी एवं निजी सेक्टर के वेतनभोगी कर्मचारियों ने भाग लिया।

सर्वे में भाग लेने वाले अधिकांश लोगों का मत है कि, वर्ष 2020 के अंत तक स्थितियां सामान्य हो जाएंगी। यद्यपि 53% व्यापारी वर्ग को लगता है कि, स्थिति सामान्य होने में एक वर्ष या इससे भी अधिक समय लगेगा। सर्वे से स्पष्ट है कि मनोरंजन की जगहों जैसे सिनेमा, पार्क, मॉल जाने की प्रवृति में कमी आयेगी तथा ऐसी जगहों पर मास्क एवं ग्लव पहनने के साथ ही भौतिक दूरी बनाए रखने कि प्रवृति बढ़ेगी। कोविड़-19 के संक्रमण से बचने के लिए, लोगों द्वारा पब्लिक ट्रांसपोर्ट के यथासंभव न्यूनतम उपयोग की मानसिकता से निजी वाहनों की संख्या में वृद्धि होगी, जिसके फलस्वरूप ट्रैफिक जाम एवं प्रदूषण की समस्या में भी वृद्धि हो सकती है। सर्वे यह भी इंगित करता है कि कोरोना से पैदा हुई परिस्थितियां, कुछ हद तक शहरी चकाचौंध के कारण श्रमिकों एवं मजदूरों के गांव से शहर और शहर से महानगर के पलायन को कम करेंगी। इससे कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा तथा ग्रामीण एवं कस्बाई अर्थतंत्र मजबूत होगा, जिससे शहरी एवं महानगरीय पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव में कमी आएगी। सर्वे में शिक्षा क्षेत्र में वृहद परिवर्तनों के संकेत मिल रहे हैं। सामान्य कक्षा, सेमिनार, कॉन्फ्रेंस का स्थान बड़ी मात्रा में डिजिटल क्लास, वेबिनार्स, ई -कॉन्फ्रेंस आदि ले सकते हैं। काॅलेज एवं विश्वविद्यालय अधिकाधिक ऑनलाइन कोर्स प्रारंभ करेंगे एवं शिक्षकौ को इसके लिए प्रशिक्षित करेंगे। स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम में स्वछता, हाउस कीपिंग, कुकिंग, सिलाई आदि जैसे विषयों पर जोर दिया जा सकता है। इंजीनियरिंग एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों की आपदा प्रबंधन, पुरातत्व विज्ञान, ग्रह विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, जंतु विज्ञान, परजीवी विज्ञान आदि विषयों से कड़ी प्रतिस्पर्धा हो सकती है। जॉब की दृष्टि से हेल्थकेयर, आपदा प्रबंधन, ऑनलाइन सर्विसेज प्रमुखता से लोकप्रिय होंगे। सर्वे में विश्वव्यापी कोरोना महामारी से पैदा हुए हालातों में चीन के विश्व महाशक्ति बनने के कोई संकेत नहीं है। अधिकांश का मानना है कि जिस तरह से अमेरिका, ब्रिटेन, जापान एवं यूरोपियन देश प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से कॉरोना संकट के लिऐ चीन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उससे यह अवश्यंभावी है कि बड़ी संख्या में विकसित देश चीन के साथ अपने कारोबार को कम करेंगे, जिसका विशेष लाभ भारत के उत्पादन एवं सेवा क्षेत्र को मिल सकता है। कोविड़-19 के विश्वव्यापी प्रकोप से छाए भय एवं निराशा के दौर में मशहूर भौतिकी एवं ब्रह्मांड विज्ञानी स्टीफेंस हॉकिंग का कथन, “ब्लैक होल (कृष्ण विवर) उतने ब्लैक नहीं हैं जितना कि उनके बारे में कहा जाता रहा है। ब्लैक होल कोई चिरकालिक कैद नहीं है, जैसा कि उनके बारे मैं माना जाता रहा है। ब्लैक होल से भी चीजें बाहर या दूसरे ब्रह्माण्ड में निकल सकती हैं। अतः यदि आपको कभी लगता है कि आप ब्लैक होल में हैं, तब भी हार न मानें और प्रयास करते रहें, चूंकि ब्लैक होल से बाहर आने के भी रास्ते हैं”, पूरी दुनिया को मिलकर अविजित लगने वाले कोरोना के खिलाफ विजयी होने तक संघर्षरत रहने की प्रेरणा देता है।


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