दिल्ली सरकार के पास नहीं है बेहतर ‘एक्शन प्लान’, मिनी लाॅकडाउन से बढेगी जनता की समस्या, टेन न्यूज पर बोले दिल्ली के समाजसेवी

ABHISHEK SHARMA

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कोरोना वायरस के बढ़ते केस की वजह से दिल्ली एक बार फिर से लॉकडाउन की ओर बढ़ रही है। सीएम अरविंद केजरीवाल की बात से तो ऐसा ही लग रहा है कि दिल्ली में एक बार फिर से छोटा ही सही, लेकिन लॉकडाउन लग सकता है, और ऐसा करने के लिए सरकार मज़बूर होती जा रही है, क्योंकि हर रोज कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं।

ऐसे में तीसरी लहर का सामना कर रही दिल्ली में आने वाले दिनों में क्या-क्या हो सकता है और क्या लॉकडाउन के लिए दिल्ली के एलजी अनिल बैजल और गृह मंत्री अमित शाह तैयार होंगे। इन सभी बातों को लेकर टेन न्यूज नेटवर्क के लाइव कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के विधायक समेत विभिन्न क्षेत्र के दिग्गज लोगों ने शिरकत की। इस दौरान सभी ने दिल्ली में बढते कोरोना मामलों पर चिंता व्यक्त की और कोरोना से लडने के लिए बेहतर एक्शन प्लान की आवश्यकता बताई।

टेन न्यूज़ नेटवर्क लगातार ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। जिसमें अलग-अलग हस्तियां अपने विचार साझा करते हैं। ऑनलाइन कार्यक्रमों में अलग-अलग सीरीज चलाई जा रही है। वही ‘दिल्ली वालों के दिल की बात’ कार्यक्रम का संचालन राघव मल्होत्रा ने बेहद बखूबी किया।

कार्यक्रम में मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती, ‘लीडर आॅफ द हाउस एनडीएमसी’ योगेश वर्मा, स्टेंडिंग कमेटी चेयरमैन ईडीएमसी सतपाल सिंह, महिला अध्यक्ष कैट दिल्ली, पूनम गुप्ता, यूआरडी दिल्ली महासचिव सौरभ गांधी, समाजसेवी एवं अध्यक्ष ईस्ट दिल्ली आरडब्लयूए जाइंट फ्रंट, कन्वेनर, सेव आर सिटी, राजीव काकरिया पैनलिस्ट की भूमिका में उपस्थित रहे।

विधायक सोमनाथ भारती ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोरोना एक गंभीर समस्या है। उन्हें भी 27 अक्टूबर को कोरोना हो गया था, 15 दिन अस्पताल में रहने के बाद घर लौटा हूं। उन्होंने कहा कि कोरोना इस वक्त उफान पर है। अभी तक सिर्फ दिल्ली के एलजी ने सरकार को पत्र लिखकर मिनी लॉकडाउन के लिए अनुमति मांगी है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार मिनी लॉकडाउन लगाना नहीं चाहती बल्कि कोरोना से लड़ने के लिए एक्शन प्लान बना रहे हैं। पूरे विश्व में एक ही बात चल रही है कि जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं आ जाती, तब तक इसका कोई समाधान नहीं है। लोग खुद से सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करें और अपनी जान बचाने के लिए सामाजिक दूरी एवं फेस मास्क लगाना अनिवार्य कर दें। लोगों को वैक्सीन आने तक कोरोना के साथ जीने की आदत डाल लेनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम लाॅकडाउन की तरफ नहीं बढ़ रहे हैं लेकिन अगर दिल्ली वाले कोरोना के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो लॉकडाउन ही आखिरी रास्ता बचेगा। इस मामले पर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए और सब लोगों को मिलकर इससे लड़ाई में सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार जनता के सहयोग से ही सब कार्य कर रही है। डेंगू से इस वर्ष एक भी मौत नहीं हुई है। इसके लिए सरकार ने अभियान चलाया था जिसका नतीजा सबके सामने हैं।

उन्होंने दिल्ली के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि जिस किसी व्यक्ति के चेहरे पर मास्क ना लगा हुआ हो, तो उसे जरूर टोकें, ऐसा हर व्यक्ति करें और खासकर बच्चे अपने माता-पिता और आसपास के लोगों को मास्क पहनने के लिए जागरूक करें। क्योंकि बड़े लोग बच्चों की बात नहीं टालते हैं।

योगेश वर्मा ने दिल्ली सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि दिल्ली में दोबारा लॉकडाउन लगाने की नौबत आखिर क्यों आई? जब पूरे देश में कोरोना के मामले घट रहे हैं, ऐसे में दिल्ली में रिकॉर्ड तोड़ कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं उन्होंने कहा कि सरकार ने एक साथ सभी साप्ताहिक बाजार खोल दिए लेकिन हम चाहते थे कि धीरे धीरे साप्ताहिक बाजार खोले जाएं। ताकि स्थिति का आकलन करने के बाद आगे का एक्शन प्लान तैयार हो सके।

उन्होंने कहा कि सरकार की सारी नीतियां गलत साबित हुई हैं। उन्होंने कहा कि अभी विधायक सोमनाथ भारती ने कहा था कि कोरोना गंभीर बीमारी है, लेकिन सरकार ने इसको गंभीरता से क्यों नहीं लिया? सरकार की सारी योजनाएं विफल होती चली गई। उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर जितने विज्ञापन किए हैं अगर उसके स्थान पर मैन पावर बनाकर लोगों को जागरूक किया जाता तो इसके परिणाम अलग दिखते।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार डेंगू की बीमारी के रोकथाम का श्रेय खुद ले रही है, जबकि हमारे 1400 कर्मचारी घर-घर गए और डेंगू की दवाई का छिड़काव किया। एनडीएमसी के कर्मचारी दिन रात मेहनत कर इस अभियान में लगे रहे थे। लेकिन अब दिल्ली सरकार इसका श्रेय खुद ले रही है। उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को प्रदेश का मुखिया होने के नाते एक बार कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि हम अपनी जिम्मेदारी समझते हैं और जहां कहीं भी कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं और इसकी सूचना में दी जाती है, तो घर पर जाकर सैनिटाइजेशन कराया जाता है। हम अपने स्तर से हर संभव कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञापन पर खर्च करके अगर कोरोना से लड़ने में पैसा खर्च किया जाता तो बेहतर परिणाम सामने आ सकते थे।

 

राजीव काकरिया ने कहा कि दिल्ली में लॉकडाउन ही एकमात्र रास्ता नहीं है, इसके अलावा भी सरकार दूसरे रास्ते अपना सकती है। ऑड ईवन एक बेहतर विकल्प है। जिस तरह से पहला लॉकडाउन हुआ था, उससे जनता की जिंदगी त्रस्त हो गई थी। लोग इतनी परेशानियों का सामना करने के बाद दोबारा से लॉकडाउन नहीं झेलना चाहते हैं। इससे लाखों जिंदगियों पर फर्क पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि दिक्कत यह नहीं है कि सरकार काम नहीं करती लेकिन जब जरूरत होती है तब नहीं करती। उन्होंने कहा कि कोरोना से दिल्ली का बुरा हाल हो रहा था और सरकार जीएसटी और बिहार चुनाव में लगी हुई थी। जब तक मुख्यमंत्री की घोषणा नहीं हुई तब तक कोरोना को लेकर दिल्ली में कोई मीटिंग नहीं की गई। सब लोगों का ध्यान चुनावों में ही रहा। दिल्ली में इस दौरान बुरा हाल होना शुरू हो गया था।

उन्होंने कहा कि दिवाली पर सरकार ने पटाखे बैन कर दिए थे जो कि एक बेहद शर्मनाक बात है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आरडब्लूए को अधिकार दिए जाते ताकि बेचने और फोड़ने वाले लोगों का चालान किया जा सकता। कोरोना को लेकर सरकार की नीतियां फेल हुई हैं, शारीरिक दूरी और मास्क लगाना लोग भूल गए हैं और इन चीजों को सख्ती से पालन नहीं कराया गया। इसमें भी सरकार की गलती है।

उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री और एलजी को सुझाव के लिए चिट्ठी लिखते हैं, लेकिन वहां से फॉरवर्ड करने का जवाब वापस आ जाता है। लेकिन उसके आगे कोई कार्रवाई नहीं होती। उन्होंने कहा कि होम आइसोलेशन का प्लान रिफ्यूज कर दिया था लेकिन आरडब्ल्यूए ने इसके लिए शोर मचाना शुरू किया था जिसके बाद होम आइसोलेशन को अनुमति दी गई।

उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार में लोगों की सुनवाई नहीं होती हैं। दिल्ली सरकार के पास कोरोना मरीजों के लिए आईसीयू बेड की व्यवस्था नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को इमरजेंसी में कोई आईसीयू बेड चाहिए तो कम से कम 3 दिन की वेटिंग है।

बीएस वोहरा ने कहा कि कोरोना सच में हैं और इस वक्त लोगों की बुरी हालत है। इतने ज्यादा कोरोना के मामले बढ़ने के बावजूद बाजार पिछले 20 दिन से खुले रहे। फेस्टिवल के चलते भीड़ इतनी ज्यादा रही, जिसके चलते हमें लगता है कि कहीं ना कहीं इसी के चलते कोरोना के मामलों में वृद्धि हुई है। खरीदारी के दौरान लोग बेपरवाह दिखे और लोगों के चेहरे पर मास्क नहीं लगा हुआ था और शारीरिक दूरी का भी पालन नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि अब जनता के मन में एक खौफ डालना होगा कि कोरोना है और यह खतरनाक है। चाहे इसके लिए लॉकडाउन लगाया जाए या बाजारों का समय घटा दिया जाए या फिर नाइट कर्फ्यू लगाया जा सकता है। ताकि लोग समझ सके कि कोरोना एक खतरनाक महामारी है ।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से डेंगू के लिए 10 हफ्ते 10 दिन 10 मिनट का अभियान चलाया था, इसी प्रकार से कोरोना को लेकर और मास्क एवं शारीरिक दूरी के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। ताकि लोग जागरूक हो सके और दिशा निर्देशों का पालन कर सकें। इसमें आरडब्लूए सरकार का पूरा सहयोग देने के लिए तैयार हैं। किसी भी प्रकार से कोरोना की रोकथाम होनी चाहिए।

पूनम गुप्ता ने कहा कि हम लॉकडाउन के समर्थन में नहीं हैं। लॉकडाउन से पहले ही लोगों की जिंदगी खराब हो गई। अब लोग इसको नहीं झेल सकते। कोरोना के प्रति सचेत करने के लिए कई तरह के अभियान चलाए जा सकते हैं। बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है, इसके लिए भी उपाय निकाला जा सकता है। वहीं बाजारों की टाइमिंग में बदलाव भी किया जा सकता है। ताकि एक निश्चित समय में लोग बाजार के लिए निकले।

उन्होंने कहा कि सभी बाजारों में सख्ती करने की जरूरत है। लोग दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। नेहरू प्लेस और सरोजनी जैसे बाजारों में लोग नियमों को ताक पर रखकर खरीदारी कर रहे हैं। यह सब देख कर लगता है कि कोरोना की स्थिति अभी और भी ज्यादा बेकार होने वाली है। इसके लिए सरकार वालंटियर के माध्यम से लोगों को जागरूक कर सकती है। बाजारों में लोगों को खड़ा करके सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने के लिए जागरूक कर सकें।

उन्होंने कहा कि पुलिस को भी अपनी तरफ से सख्ती करनी चाहिए। जो लोग मास्क नहीं पहन रहे हैं। उनका चालान किया जाए हम बाजार पूरी तरह से बंद करने के समर्थन में नहीं है। उन्होंने कहा कि लोग पहले से ही लॉकडाउन से परेशान थे। अब त्योहारों के समय लोगों ने कर्जा लेकर पटाखे बेचने शुरू किए, तभी दिल्ली सरकार ने पटाखों पर पाबंदी लगा दी। इससे लाखों लोग और कर्जे में डूब गए हैं। सरकार के पास कोई बेहतर एक्शन प्लान नहीं है।

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सौरभ गांधी ने कहा कि हम सब ने आरडब्लूए और लोगों से राय मांगी थी कि कोरोना से लड़ाई के लिए किस तरह से अभियान चलाया जाए और क्या एक्शन प्लान तैयार किया जाए? उन्होंने कहा कि परेशानी यह आ रही है कि लोगों के घर पर कोरोना पेशेंट का स्टीकर नहीं लगा हुआ है। पहले जब कोरोना शुरू हुआ था तो संक्रमित मरीज के घर पर स्टीकर लगा दिया जाता था, जिससे पहचान हो सके कि इस घर में कोरोना का मरीज है। अगर उस घर के सदस्य बाहर निकलते थे तो लोग बाहर निकलने से उन्हें टोक देते थे और उनकी मदद भी कर देते थे सामान पहुंचाने में लेकिन अब किसी प्रकार का स्पीकर घर पर नहीं लगाया जा रहा है। अब संक्रमित की पहचान करना भी मुश्किल है।

 

उन्होंने कहा कि आरडब्ल्यूए ने लॉकडाउन में भी लोगों की मदद की थी और लोगों के घर तक सामान पहुंचाने की व्यवस्था की थी। अब त्योहारों पर लोग बेपरवाह होकर बाजारों में खरीदारी करने पहुंचे। इस दौरान संक्रमित मरीज के परिजन भी बाजार गए, जिससे संक्रमण बढ़ने का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी त्योहारों के बाद कुछ बड़े बाजारों को बंद करने की बात कही थी। इससे उल्टा बाजारों में भीड़ दोगुनी हो गई है। लोगों को लग रहा है कि फिर से लॉकडाउन लगाया जा सकता है, इसलिए सभी लोग खरीदारी करने के लिए बाजारों में उमड रहे हैं। जिससे संक्रमण दोगुना हो जाएगा। सरकार कोई भी कार्य बेहतर एक्शन प्लान के साथ नहीं कर पा रही है।

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