गोपाल राय का बयान , दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग में लगाई याचिका

ROHIT SHARMA

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नई दिल्ली :– दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने आज प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ा है , जिस तरह दिल्ली सरकार ने पराली के लिए बायो डिकॉम्पोज़र तकनीक लागू की, उसे दूसरे राज्यों में भी लागू करने के लिए हमने एयर क्वालिटी कमीशन के सामने पिटीशन दायर की है।

 

 

केंद्र सरकार द्वारा वायु गुणवत्ता प्रबंधन को लेकर बनाए गए कमीशन के सामने दिल्ली सरकार ने पेटीसन लगाई है। संबंधित राज्यों हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को कमीशन निर्देश दे कि वो भी दिल्ली सरकार की तरह पूसा इंस्टिट्यूट द्वारा निर्मित बायो-डिकम्पोजर का पराली गलाने के लिए उपयोग करें।

 

गोपाल राय ने कहा कि 15 सदस्यीय प्रभाव आकलन समिति ने राजधानी में पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिहाज से भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा द्वारा विकसित बायो-डिकम्पोजर के घोल की प्रभावशीलता का पता लगाया है तथा इस संबंध में जानकारी सोमवार को पर्यावरण मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और नजदीक के इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भेजी गई है।

 

 

गोपाल राय ने बताया कि आयोग को सूचित किया गया है कि बायो-डिकम्पोजर का इस्तेमाल राजधानी दिल्ली में 2,000 एकड़ भूमि पर किया गया तथा इसने फसलों के 90-95 अवशेष (पराली) को 15-20 दिन के भीतर खाद में बदल दिया।

 

 

उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं के कारण बीते 15 दिन से कोविड-19 के मामले बढ़े हैं। पराली जलाने के कारण दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है। हमें इस समस्या का स्थायी हल खोजना होगा क्योंकि अब हम और जिंदगियों को खतरे में नहीं डाल सकते हैं।

 

 

 

उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता आयोग से हमारा अनुरोध है कि दिल्ली में बायो-डिकम्पोजर की सफलता को देखते हुए वह हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में इसका छिड़काव करवाए।

 

 

पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह घोल फसल अवशेष को पंद्रह से बीस दिन के भीतर खाद में बदल देता है और इस तरह पराली जलाने की समस्या से निजात मिल सकती है।

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