‘हाउ टू लीव मीनिंग फुल लाइफ’, जीवन जीने के तरीकों पर सचिन एस वेरनेकर द्वारा लिखी गई किताब पर खास चर्चा

ABHISHEK SHARMA

Galgotias Ad

कोरोना का हाल में टेन न्यूज़ नेटवर्क लगातार अपने चैनल के माध्यम से लाइव कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के लोग शामिल होते हैं और लाखों दर्शकों के लिए प्रेरणा स्रोत बनते हैं। इसी क्रम में टेन न्यूज पर स्पेशल टॉक कार्यक्रम में ‘हाउ टू लीव मीनिंग फुल लाइफ’ किताब पर चर्चा की।

यह किताब डॉक्टर सचिन एस वेरनेकर ने लिखी है, जिसमें पर्सनैलिटी डेवलपमेंट और जिंदगी को जीने के तरीकों के बारे में बताया गया है। कार्यक्रम का संचालन राघव मल्होत्रा ने बेहद बखूबी किया। इस किताब के बारे में चर्चा करने के लिए डॉक्टर सचिन एस वेरनेकर उपस्थित रहे।

आपको बता दें कि डॉक्टर सचिन एस वेरनेकर एमएफएस, बीवीडीयू के डीन एवं आईएमईडी भारतीय विद्यपीठ के डायरेक्टर हैं। उन्होंने इस किताब के माध्यम से पर्सनैलिटी डेवलपमेंट के 52 टिप्स दिए हैं। जिनके तहत एक व्यक्ति अपने जीवन को जीने के ढंग में बदलाव ला सकता है।

डॉक्टर सचिन ने किताब के बारे में बताते हुए कहा कि मेरी यात्रा शिक्षा के क्षेत्र में 1984 में इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट गोवा में शुरू हुई। यहां प्रोफ़ेसर पर तौर पर मैंने ज्वाइन किया था। वहीं 1985 में भारतीय विद्यापीठ के साथ जुड़ा कुछ अलग करने का इरादा था, समाज सोसाइटी और देश के लिए कुछ करने का जज्बा था और कोशिश यही थी कि नौजवानों के लिए भविष्य तैयार किया जाए।

हमारे देश का जो युवा है इनकी पर्सनैलिटी इस तरह से विकसित करें कि वह अपने देश की सेवा अच्छे तरीके से कर सकें। इसी उद्देश्य के साथ मैं आगे बढ़ा और पिछले 35 वर्षों से मैं इस क्षेत्र में कार्य कर रहा हूं। मैंने देखा कि जिस बच्चे को अच्छी दिशा मिली, उस घर में दादा-दादी या नाना-नानी ने बच्चों को रामायण के बारे में ज्ञान दिया। वे बच्चे हैं जीवन में अच्छे पथ पर चल रहे हैं और उन्होंने अपना भविष्य है संभाल लिया है।

वहीं जिन बच्चों को अच्छी दिशा नहीं मिली तो उन्हें नहीं पता कि उन्हें आगे क्या करना है। एक शिक्षक के तौर पर हमारी जिम्मेदारी है कि हम बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छी दिशा दिखाएं, ताकि वह कुछ बन पाए और अपने देश, परिवार और समाज के लिए कुछ करके दिखाएं। यही इरादा था, जब मैंने इस किताब को लिखने के बारे में सोचा। ऐसी किताबें बहुत हैं, जिनमें लोगों को ज्ञान मिल सके लेकिन इस किताब में मैंने कुछ हट कर लिखा है

यह पुस्तक लिखने का विचार कैसे आया?

इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैं पिछले 35 वर्षों से बच्चों से मिलता रहा हूं। हमारे यहां यह खासियत है कि सभी लोग यंग फील करते हैं और लोगों से बड़े ही सद्भाव से मिलते हैं। मैंने देखा है कि बच्चों में बहुत कुछ करने का जज्बा होता है लेकिन उनको एक दिशा चाहिए कि उनको करना क्या है। शिक्षा, इच्छा, परीक्षा और दीक्षा यह हमारी जीवन की यात्रा है। पहले शिक्षा होती है, फिर इच्छा होती है, फिर परीक्षा देते हैं, फिर दीक्षा के रूप में हमको डिग्री मिलती है।

इसमें उनको जो स्किल्स चाहिए वह इस किताब में जरूर मिलेंगी। हर बच्चे को अपनी पर्सनैलिटी के बारे में ध्यान देना चाहिए। ऐसा नहीं है कि हर बच्चे को रितिक रोशन या शाहरुख खान की तरह दिखना चाहिए। जरूरी यह है कि हर बच्चे में कुछ ना कुछ स्किल होती है, जरूरी है कि उनकी इस स्किल को बाहर निकाला जाए। तभी वे सोसाइटी के लिए कुछ कर सकते हैं। इस इरादे से मैंने सोचा कि कुछ लिखूं इस किताब में मैंने कुछ हटकर बताया है।

https://www.facebook.com/499234480174431/posts/3677572039007310/

Leave A Reply

Your email address will not be published.