नई दिल्ली :– अक्सर कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती के दौरान तनाव में आ जाते हैं, लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के ट्रामा सेंटर में भर्ती एक मरीज ने इस समस्या से बचने की योजना ही तैयार कर डाली।
आपको बता दें कि वो मरीज का नाम डॉ आलोक मिश्रा है , जो मनोवैज्ञानिक व एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटी के संयुक्त सचिव के पद पर तैनात है । उन्होंने टेन न्यूज़ को बताया कि वह अपने उपचार के दौरान महज 3 दिन में ही तनाव से बाहर आने की योजना बना डाली। डॉक्टरों से लेकर नर्सिंग कर्मचारी तक उनके फैन हो गए।
दिल्ली एम्स में ही पोस्ट डॉक्टोरल फैलो रहे डॉ आलोक मिश्रा ने बताया कि यह प्रस्ताव तैयार कर ट्रामा सेंटर को ही सौंप दिया था। एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज के संयुक्त सचिव डॉ आलोक मिश्रा ने कहा कि बीते 11 नवंबर को कोरोना संक्रमित हुए थे। सप्ताह भर अपने घर पर ही आइसोलेट रहे लेकिन तबियत बिगड़ने के चलते गंभीर हालत में एम्स ट्रामा सेंटर भर्ती हुए।
यहां 10 दिन तक आईसीयू में रहने के बाद 27 नवंबर को वार्ड में शिफ्ट हुए। धीरे धीरे सुधार आने लगा। उन्होंने कहा कि हालांकि इस बीच मैने कागज पर खाली वक्त में कुछ लिखने का विचार किया। जिसके बाद तीन दिन में ही एक पूरा स्टडी मेटेरियल बना दिया, जिसका नाम पोस्ट कोविड माइंड बॉडी केयर डेवलपमेंट प्रोग्राम दिया गया है।
मैने यह भी लिखा कि यहां पोस्ट कोविड माइंड बॉडी केयर डेवलपमेंट प्रोग्राम कैसे हो सकता है। इस प्रोग्राम के लिए ट्रामा सेंटर को प्रपोजल भी दिया है। खास बात यह है कि कोविड वार्ड में मौजूदा कर्मचारियों को तनाव से बाहर रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए उनका प्रोग्राम बेहतर है।
उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है , इस बीमारी से डरे नही सावधान रहें , क्योंकि अगर आपके अंदर इस बीमारी से लड़ने के जज्बा है , तो आप इस बीमारी की हरा देंगे । वही अगर आप इस बीमारी को इग्नोर कर रहे है , लापरवाही में ले रहे है , तो आप हार जाएंगे ।
डॉ आलोक मिश्रा ने कहा कि मैने इस कोरोना बीमारी को देखा है , मैने डॉक्टरों का साहस देखा है कि किस तरह उन्होंने इस महामारी में काम किया , बहुत से डॉक्टर तनाव में रहे है , जो मैने एहसास किया , जिसको लेकर मेने यह प्रयास किया ।