इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख एवं पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल का सोमवार रात करीब 11.30 बजे कोरोना संक्रमण के कारण निधन हो गया।
उनकी कमी जहाँ देश के हर तबके द्वारा महसूस करी जा रही है वहीं चिकित्सा जगत के धुरंधर इस अकस्मात घटना से बेहद सकते में हैं।
बता दें कि डॉ. केके अग्रवाल ने अपने अंतिम दिनों में भी चिकित्सक होने का कर्तव्य नहीं छोड़ा। उनकी जीवटता और मरीजों के प्रति उनके फर्ज को आप इस तरह समझ सकते हैं कि कोरोना पॉजिटिव हो जाने के बाद भी उनके चेहरे पर एक शिकन नजर नहीं आ रही थी। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी वो ऑनलाइन मरीजों की परेशानियां सुलझाते रहे। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके मुंह पर ऑक्सीजन पाइप लगी हुई थी, बावजूद वे मरीजों को सलाह देते रहे। उन्होंने जाने से पहले अपनी अंतिम वीडियो में जो शब्द कहे उसने लोगो को भावुक कर दिया और यह बता दिया की डॉ अग्रवाल के लिए अपने पेशेंट्स की क्या अहमियत थी| उन्होंने कहा, “मैं भी संक्रमण से गुजर रहा हूं। मुझे कोविड निमोनिया हो गया है, जो कि बढ़ रहा है। इसके बावजूद मुझे राज कपूर के शब्द याद आते हैं- द शो मस्ट गो ऑन.. पिक्चर अभी बाकी है। लोग उन्हें शो मैन मानते हैं, लेकिन वो शो मैन नहीं, बल्कि धरती के सबसे प्रैक्टिकल इंसान थे। शो मस्ट गो ऑन। मेरे जैसे लोग ऑक्सीजन पर भी क्लासेस लेंगे और लोगों को बचाने की कोशिश करेंगे। मैं केके अग्रवाल नहीं, मैं मेडिकल प्रोफेशन हूं”|
ऐसी महान हस्ती को श्रद्धांजलि देने के लिए टेन न्यूज़ द्वारा एक आदरांजली कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसका संचालन डॉ सिद्धार्थ गुप्ता और डॉ शैली तोमर द्वारा किया गया। डॉ शैली ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए डॉ के के अग्रवाल के व्यक्तित्व के बारे में बताया।
“जहाँ देश में हजारों-लाखों रूपए में कोविड का ट्रीटमेंट चलता था। वहीं डॉ अग्रवाल ने 50 रुपए में इलाज करने का तरीका देश के हर कोने-कोने में पहुंचाया। उनकी विशिष्ट चिक्तिसा पद्धति उन्हें बेहद विशिष्ट बनाती है,” डॉ शैली ने कहा।
इसके बाद डॉ रूबी मिश्रा ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “मैंने खुद अभी कोरोना से लड़ाई लड़ी है। इस दौरान उनके वीडिओज़ देख कर हमें ताकत मिलती थी। मुझे लगता है कि उन्हें आभास था कि वो दुनिया को जीना सीखा के जाना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने अपने आखिरी वीडियो में भी लोगों को ‘शो मस्ट गो आन’ की सिख दी”|
देशबंधु कॉलेज के प्रोफेसर डॉ कमल कुमार गुप्ता ने कहा कि अभी हॉल ही में मार्च में डॉ अग्रवाल ने देशबंधु कॉलेज में आ कर छात्रों के साथ अपने संघर्ष साझा किये थे।
“एक छोटे से गाँव से आकर वो जहाँ तक पहुंचे ये सभी के लिए अनुकरणीय है। वो बेहद सकारात्मक व्यक्ति थे और कोविड से जुड़ी जानकारियों को देश के कोने कोने तक पहुंचाया। मै मानता हूं कि वो शहीद हुए हैं और हमारे देश ने एक सच्चा सैनिक खोया है। वो कभी भी अपनी जड़ों से अलग नही हुए। उनका निधन चिकित्सा जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है,” डॉ गुप्ता ने बताया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के पूर्व निदेशक और हार्ट केयर फाउंडेशन के प्रमुख एवं पद्मश्री डॉ. केके अग्रवाल के निस्वार्थ सेवा भाव को याद करते हुए, डॉ नरेश चावला कहा, “मेरी उनसे 30-35 साल पुरानी जान पहचान थी और ये मेरे लिए बहुत बड़ी निजी क्षति है। जब वो आईएमए के प्रमुख बने थे तो उन्होंने तय किया था कि पूरे साल प्रत्येक दिन कोई नया कार्य करेंगे और यह संकल्प उन्होंने पूरे 365 दिन निभाया। वो एक बहुत अच्छे शिक्षक थे और कई डॉक्टर उनसे सीखने के लिए लालायित रहते थे। उन्होंने लाखों जिन्दगियों को छुआ और बेहतर बनाया। ये एक विडंबना है कि जिस कोविड के बारे में उन्होंने पूरे देश को बताया आज वो इसके कारण खुद दुनिया छोड़ कर चले गए। हमें उनसे सीखना चाहिए कि कैसे लोगों की सेवा करनी चाहिए। उन्होंने अपना जीवन देश सेवा में न्योछावर कर दिया।”
इसके पश्चात डॉ हरमिंदर कौर ने डॉ अग्रवाल से जुड़े अपने संस्मरण साझा किए। “वो मेरे गुरु जैसे थे और मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा। अगर चिकित्सा जगत में मैं किसी को जादूगर कह सकती हूं तो वो केवल वो हैं। मैं उनकी असमय मृत्य का दुख बनाने से ज्यादा उनके वृहद जीवन को सेलिब्रेट करना चाहती हूं। हमारी सबसे अच्छी श्रधांजलि केवल यह होगी की हम उनके जीवन से सीखें और देश सेवा में स्वयं को समर्पित करें।”
डॉ शैलेन्द्र तोमर ने भी इस अवसर पर अपने विचार साझा किए। “उनकी फोटो देख कर लगता है कि अभी किसी भी पल वो बोल पड़ेंगे। मैं इस खबर से बेहद दुखी हूं, मन बेहद विचलित है। उनकी नॉलेज, उनका ज्ञान बेहद व्यापक और वृहद था। हम केवल उनके लिए, उनके परिवार के लिए प्रार्थना करते थे।”
“डॉ अग्रवाल का कद चिकित्सा जगत में बेहद ऊंचा था। मुझे 1997 की एक घटना याद आती है जब उन्होंने मेरे भाई की जान बचाई थी। डॉ अग्रवाल नें आईएमए के अध्यक्ष के तौर पर भी बेहद ज्यादा काम किया और हजारों, लाखों लोगों के जीवन बेहतर बनाने में अपना जीवन न्योछावर कर दिया,” देवराज तिवारी ने कहा।
इन अवसर पर देश के जाने माने चिकित्सक और गौतम बुद्ध नगर के सांसद डॉ महेश शर्मा ने कहा, “मेरा डॉ अग्रवाल से रिश्ता वर्षो पुराना था, लगभग 35 वर्षों से मैं उन्हें जनता था। वो मेरे स्कूल में सीनियर थे। उन्होंने अपनी पहचान एक अच्छे डॉक्टर के अलावा, एक अच्छे वक्ता, सामाजिक सरोकार से जुड़े व्यक्ति के रूप में बनाई थी। ये पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।”
ततपश्चात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल डॉक्टर जयेश लेले ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि वो एक कोहीनूर हीरे की तरह थे। “उन्होंने आईएमए को नई ऊँचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने पिछला पूरा एक साल कोविड से जुड़ी जानकारियां लोगों तक पहुंचाने में लगा दिया। मेरे हिसाब से चिकित्सा जगत और आईएमए ने एक बेहद महत्वपूर्ण रत्न खो दिया।”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के नेशनल प्रेजिडेंट डॉ जे ऐ जयलाल ने कहा की कोरोना के समय में इस बीमारी के मैनेजमेंट को लेकर ना केवल उन्होंने जनता को शिक्षा दी बल्कि उन्होंने देश के डॉक्टरों को भी ट्रेन किया| आगे उन्होंने कहा कि कोरोना से पीड़ित लोगों के साथ संवाद करने और उनकी समस्या को समझने और उन्हें सही संदेश देने की उनकी अवधारणा एक महान सेवा थी, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन डॉ अग्रवाल की कमी बहुत महसूस करेगा|
कार्यक्रम के समापन की तरफ, गजानन माली ने डॉ के के अग्रवाल से जुड़े अपने संस्मरण को साझा किया। “मैं उन्हें 5-6 साल से जानता था और कई बार उनसे मुलाकात भी हुई। उनके चेहरे पर एक अलग तरह का तेज रहता था और मैं भी मानता हूं कि वो देश के सबसे बड़े चिकित्सकों में से थे। जब वो आईएमए के अध्यक्ष बनें तो उन्होंने अनेकों जनसेवा से जुड़े कार्य किये। वो हमारी यादों में हमेशा बने रहेंगे और मै चाहता हूं कि और डॉक्टर भी उनसे प्रेरणा लेकर लोगों की भलाई से जुड़ा डॉ के के अग्रवाल के सपने को साकार करें,”।
कार्यक्रम के अंत में देशबंधु कॉलेज के प्राचार्य द्वारा डॉ अग्रवाल के निधन पर प्रेषित श्रधांजलि को भी पढ़ कर सुनाया गया।
डॉ. केके अग्रवाल को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।