मुरादाबाद:– हस्तशिल्प निर्यात इंडस्ट्री मुरादाबाद से जुड़े अनेकों गड़मान्य महानुभावों के लिए आज का दिन बेहद खास रहा। अवसर था मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के नए भवन के उद्घाटन का, जिसे एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल फॉर हैंडीक्राफ्ट्स के महानिदेशक एवं मुख्य अतिथि डॉक्टर राकेश कुमार के कर कमलों द्वारा किया गया ।
जहाँ एक तरफ उद्घाटन का हर्षोल्लास था वहीं भविष्य की तैयारियों को भी साथ ही अमली जामा पहनाया जा रहा था!
उद्घाटन से पूर्व नए भवन के निकट ही हस्तशिल्पियों के उपचार के लिए अस्पताल और उनके बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल की मुख्य अतिथि के शुभ हस्त से आधारशिला भी रखी।
वही इस कार्यक्रम में ईपीसीएच के ऊर्जावान महानिदेशक डॉ राकेश कुमार ने कहा कि मुरादाबाद के निर्यातकों ने जो कार्य करके दिखाया वह अपने आप में अनूठा है। यह ऐसी उपलब्धि है जो हमेशा याद रखी जाएगी।
डॉ राकेश कुमार ने कहा की इस भवन को बनवाने के लिए बहुत सी चुनोतियाँ का सामना मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने किया है , खासबात यह है की देश में पहली बार किसी एसोसिएशन ने बिना किसी सरकार के मदद से अपना भवन बनवाया है । वही इस पहल में मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सदस्यों का बहुमूल्य योगदान रहा है |
आगे की योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए डॉ राकेश कुमार ने कहा कि हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने जो पहल की है वो काफी ज्यादा सराहनीय है , क्योंकि हैंडीक्राफ्ट में सबसे ज्यादा योगदान हस्तशिल्पियों का रहता है , उनको और बच्चों के लिए मुफ्त चिकित्सा सुविधा और बच्चों की पढ़ाई के लिए मुफ्त स्कूल बनाया जाएगा , जिसकी शुरुआत आज से हुई है ।
साथ ही उन्होंने कहा कि हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स में नई पीढ़ी को आना चाहिए औऱ ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आना चाहिए जिससे हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स और ज्यादा तेजी आगे बढ़े । साथ ही उन्होंने कहा कि आज का समय टेक्नोलॉजी का है और युवाओं को नई टेक्नोलॉजी का अनुभव है , जिससे हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्ट को काफी ज्यादा फायदा मिलेगा । हमारा एक मकसद है कि बायर्स से कैसे कनेक्ट हो सके , जो टेक्नोलॉजी के माध्यम से किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम के दौरान मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के महासचिव अवधेश अग्रवाल ने कहा कि 1953 में बनी एसोसिएशन पिछले 25 सालों से अपना भवन बनाने के लिए प्रयासरत थी। जमीन होने के बाद भी कार्य पूरा नहीं हो पा रहा था। 2018 में बनी हमारी कमेटी ने भवन बनाने का प्रण लिया और डेढ़ साल में उसे पूरा करके दिखाया। साथ ही उन्होंने कहा की इस भवन के उद्घाटन को लेकर हमने हस्तशिल्प उद्यम के भीष्म पितामह को बुलाया, मतलब ईपीसीएच के महानिदेशक डॉक्टर राकेश कुमार को जिन्होंने ना सिर्फ हस्तशिल्प निर्यात को इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाया बल्कि साथ ही साथ लाखों हस्तशिल्पियों को बढ़ावा भी दिया है |
इस अवसर पर उपस्थित मुरादाबाद के सांसद डॉ. एसटी हसन ने कहा कि मुरादाबाद में नए भवन से सभी निर्यातकों को लाभ मिलेगा। नियमित रूप से बैठके होगी, आपस में समस्याओं की चर्चा होने से उनका समाधान निकालने में सहयोग मिलेगा। उन्होंने कहा कि मुरादाबाद में दस्तकारों के सामने नई समस्याएं खड़ी हो रही है । प्रदूषण के कारण शहर से इंडस्ट्री को बाहर निकाले जाने की तैयारी की जा रही है।
उन्होंने ईपीसीएच के महानिदेशक से कहा कि वे सभी निर्यातकों के साथ मिलकर प्रयास करें कि शहर में जो करीब 10,000 भट्ठियां चल रही हैं वे सभी बाहर ना जाएं, क्योंकि वे बेहद गरीब लोग हैं। उनकी रोजी-रोटी छिन जाएगी और बाहर भी जमीन खरीद कर अपना काम धंधा शुरू नहीं कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें सब्सिडी पर गैस भट्टी उपलब्ध करवाई जाएं।
मुरादाबाद हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष नावेद उर रहमान , महासचिव अवधेश अग्रवाल , ईपीसीएच के वाईस चैयरमैन कमल सोनी , ईपीसीएच सेंट्रल रीजन नबील अहमद , ईपीसीएच के सदस्य नीरज खन्ना , कानूनी सलाहकार , डॉ हामिद (कोषाध्यक्ष) , समेत मुरादाबाद के प्रॉमिनेंट एक्सपोर्टर्स के सदस्य अरविंद वढेरा , विनोद खन्ना , विनय गुलाटी, किशनलाल ढाल, विनय कुमार गुप्ता , शकील, विशाल अग्रवाल , रविश खन्ना , उदित सरन , अशोक अरोड़ा, अशोक पुगला , अनु ढाल , आकांक्षा ढाल समेत इस कार्यक्रम में गणमान्य लोग शामिल रहे ।
हमारे पाठकों को बता दे मुरादाबाद भारत देश के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक नगर है जो कि पीतल हस्तशिल्प के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है। रामगंगा के तट पर स्थित मुरादाबाद पीतल पर की गई हस्तशिल्प के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसका निर्यात केवल भारत में ही नहीं अपितु अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया आदि देशों में भी किया जाता है।
अमरोहा , गजरौला और तिगरी आदि यहाँ के प्रमुख पयर्टन स्थलों में से हैं। रामगंगा और गंगा यहाँ की दो प्रमुख नदियाँ हैं। मुरादाबाद विशेष रूप से प्राचीन समय की हस्तकला, पीतल के उत्पादों पर की रचनात्मकता और हॉर्न हैंडीक्राफ्ट के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह जिला बिजनौर के उत्तर, बदायू के दक्षिण, रामपुर जिला के पूर्व और ज्योतिबा फुले नगर जिला के पश्चिम से घिरा हुआ है।
खासबात यह है की मुरादाबाद में खरीदारी किए बिना आपका सफर अधूरा ही रहेगा। मुरादाबाद स्थित मुख्य बाजार पीतल मंडी है। इस जगह पर कई सौ छोटी और बड़ी दुकानें है जहां तांबा और कांसा की ब्रिकी की जाती है। इन छोटी-छोटी दुकानों से जहां आप तांबा और कांसे से बनी खूबसूरत वस्तुओं की खरीदारी कर सकते हैं वहीं दूसरी ओर बड़ी दुकानों से बेशकिमती और आकर्षक वस्तुओं खरीद सकते हैं।
यहां आपको तांबे के आइटम सभी साइज और शेप में मिल जाएंगे। उन पर की खूबसूरत नक्काशी का काम देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहां जिस चीज की बिक्री सबसे अधिक होती है वह इत्रदान और गुलाबपाश है। यह इत्रदान और गुलाबपाश आपको हर शेप में विशेष रूप से कांसे और तांबे के मिश्रण से बने बर्तन में आसानी से मिल जाएंगे। इसके साथ-साथ अफताब अथवा वाइन सर्वर की खरीदारी भी जरूर करें। इन पर तांबे की लाइंनिग का काम हुआ होता है और इसका भार भी अधिक होता है।
Photo highlights of Inauguration of Muradabad Handicrafts Exporters Association’s new building