New Delhi: बीते दिनों प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा की सरकार किसानों को इस कानून को समझाने में असमर्थ रही, इसलिए इस कानून को सरकार ने वापस लेने का फैसला लिया है, लेकिन ये कानून हमने किसानों के हित के लिए बनाए थे।
इस घोषणा के बाद हर जगह ये चर्चा है की आखिर किसान कब अपना आंदोलन खत्म करेगें। इसे लेकर आज दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की जो अहम बैठक होनी है उसमे निर्णय लिया जा सकता है। अलग अलग किसान नेताओं ने मीडिया में ये कहा है कि सभी जायज मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। संसद तक ट्रैक्टर मार्च के कार्यक्रम में भी कोई बदलाव नहीं है।
संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सभी मांगें पूरी होने तक आंदोलन चलता रहेगा। 22 नवंबर को लखनऊ किसान महापंचायत को सफल बनाएं। 29 नवंबर को शुरू होने वाले संसद तक ट्रैक्टर मार्च के कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आपको बतादें की बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की 3 बजे सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपील है कि ज्यादा से ज्यादा किसान आंदोलन में भाग लें और किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ को सफल बनाएं। आपको मालूम हो की 26 नवंबर को किसान आंदोलन की पहली वर्षगांठ है।
इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि प्रधानमंत्री मोदी ने तीन काले कानून तो वापस ले लिए हैं लेकिन किसानों के बाकी मुद्दों पर वो चुप हैं। आंदोलन में अब तक 670 से ज्यादा किसान शहीद हो चुके हैं और भारत सरकार उनके बलिदान को स्वीकार नहीं कर रही है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, चंडीगढ़, मध्य प्रदेश और अन्य जगहों पर किसानों के खिलाफ सैकड़ों झूठे केस दर्ज किए गए हैं।
आज के संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई है की आखिर इस आंदोलन को किसान और कितना आगे ले जाएंगे, सरकार से इनकी और क्या डिमांड है, और इनका अगला कदम क्या होगा।
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