काव्य कार्नर की पहली डिजिटल अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी – कवियित्रियों ने किया अपने देश अपने वतन को याद

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रविवार दिनांक 23 अगस्त, दोपहर 1 बजे एकलव्यम क्रिएशन के तत्वाधान में ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कवियित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कवियित्री सम्मेलन में नारी सशक्तिकरण व देशप्रेम की छटा देखने को मिली ।

अक्सर काम या किसी अन्य कारणवश जब कोई भारतीय अपना देश व अपना वतन छोड़ दूर विदेश रहता है तो स्थिति कुछ यूं होती है कि भारतीय भारत से दूर भले हो, पर भारत उस भारतीय के दिल में सदैव रहता है या यूं कहें हर भारतीय के व्यक्तित्व से देश की मिट्टी की खुशबू आती है । यही देखने को मिला काव्य कार्नर द्वारा आयोजित उनकी पहली अंतरराष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में ।

काव्य कार्नर व एकलवयं क्रिएशन की संस्थापिका डॉ. पूजा सिंह गंगानिया के सफल संचालन व संयोजन में इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण काव्य कार्नर के यूट्यूब चैनल व फ़ेसबुक पेज पर किया गया और दुनिया के कई देशों में रह रही कावित्रयों को आमंत्रित किया गया ।

इस कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. पूजा ने उनके साथ जुड़ी सभी कवियित्रियों का सादर अभिवादन करते हुए उन्हें विदेश में रहते हुए भी अपने देश की भाषा व संस्कृति का प्रचार व प्रसार करने हेतु बधाई दी । इस सम्मेलन में श्रीमती जय वर्मा लंडन से,आदरणीया नीलू गुप्ता जी कैलिफ़ोर्निया से, डॉ. सुरिती रघुनंदन मौरीशियस से साथ ही साथ श्रीमती शालिनी गर्ग, शालिनी वर्मा और डॉ. मीनू पराशर दोहा, क़तर से शामिल रही ।

डॉ. पूजा सिंह गंगानिया ने कवि सम्मेलनों के परंपरागत तरीके को अपनाते हुए सभी के स्वागत के बाद मां सरस्वती की वंदना की और उनका आवाहन किया।
कार्यक्रम का आगाज़ जहाँ डॉ. पूजा सिंह गंगानिया के द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ वहीं सभी कवियित्रियों ने बेहद सुन्दर कविताओं से इस महफ़िल को सजाया ।

डॉ. मीनू पराशर की देश भक्ति और देश प्रेम से भरी कविता दर्शको को भाव से परिपूर्ण कर गयी –
“फिर से चली पवन पुरवाई,
ए देश तेरी मिट्टी बहुत याद आई।
वो बारिश, वो झरने, वो रिमझिम फुहारें,
तेरे चोले का वो केसरी रंग फिर से ले आईं….”

श्रीमती शालिनी गर्ग की इन पंक्तियों से –
“रिमझिम रिमझिम बूँदों के बिना सावन कैसे मनाऊँ
पिया तेरे देश में,
झूलों पर झूले बिना मैं ऊँची पैंगे कैसे बढ़ाऊँ
पिया तेरे देश में…” वतन से दूरी की पीड़ा सुनते ही बनती थी ।

“अब मैं छोटी बच्ची नहीं
अब मैं छोटी बच्ची नहीं पर बाबा
मै आपकी वही बच्ची बनना चाहती हूँ
उन ग़लिओं में फिर से खेलना चाहती हूँ”
अपने बाबा और मातृभूमि को याद करते हुए शालिनी वर्मा जी की इन पंक्तियों में एक बेटी के अपने पिता से दूर होने का एक बड़ा मार्मिक चित्रण सबके सामने प्रस्तुत किया ।

देश व देश के यादों से गोष्ठी भारतमय होने के बाद डॉ. सुरिती रघुनंदन जो मॉरीशस से जुडी थी महिलाओं में चेतना जगाती कविताएं पढ़ी जिसने न सिर्फ
कार्यक्रम में शामिल कावित्रयों को बल्कि दर्शकों को भी उत्साह से भर दिया ।
“नारी हूँ, ना हारी हूँ, ना हारूंगी
मत ललकारो मेरी शक्ति को
मौन की प्रबल अभिवक्ति को ”

इस नारी शक्ति के सशक्त प्रदर्शन के बाद, श्रीमती जया वर्मा ने सभी धर्मों की अलग अलग पहचान बताते हुए बेहद सुंदर कविताएं सुनाई । डॉ. पूजा सिंह गंगानिया ने भी नारी में चेतना जगाती व नारी सशक्तिकरण को प्रबल करती रचनाएँ प्रस्तुत की।

अंत में आदरणीया नीलू गुप्ता जी जो इस काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता कर रही थी उन्होंने सुन्दर काव्य पाठ किया व काव्य कार्नर की समस्त टीम (श्री अमित चौहान जी , श्री प्रदीप सिंह जी, श्रीमती शिल्पी चैहान जी व श्री ईश कुमार गंगानिया जी) का आभार व्यक्त किया और उनकी कला व साहित्यिक सेवा का प्रोत्साहन करते हुए इस खूबसूरत अंतरराष्ट्रीय कवियित्री सम्मेलन का समापन किया ।

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