नई दिल्ली :– इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने एक बार फिर मिक्सोपैथी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। देश में आधुनिक चिकित्सा के सभी डॉक्टरों ने इस आंदोलन को और तेज एवं आक्रामक बनाने का एलान किया है। इस दौरान आईएमए के डॉक्टर लोगों को मिक्सोपैथी के असुरक्षित और गैर—पेशेवर तौर—तरीकों के बारे में जानकारी दी।
आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जेए जयालाल ने कहा, ‘अब हम असहयोग आंदोलन शुरू करेंगे जिसके तहत आधुनिक चिकित्सा से जुड़े सर्जन और एनेस्थेसियोलॉजिस्ट आयुष डॉक्टरों के प्रशिक्षण और सर्जरी के लिए सहयोग नहीं करेंगे।
आईएमए डॉक्टरों की कमी बताने के सरकारी दावे को झूठा साबित करने के लिए आधुनिक चिकित्सा के 1000 डॉक्टरों की सूची सौंपेगा, जो देश के दूरदराज इलाकों में काम करने के इच्छुक हैं।
आईएमए के महासचिव डॉ. जयेश लेले ने कहा, ‘अब हमारा यह राष्ट्रीय आंदोलन स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और सुरक्षा को बरकरार रखने के लिए जन आंदोलन बन गया है। हम मिक्सोपैथी से संबंधित अव्यावहारिक, अवैज्ञानिक और अनैतिक अधिसूचना को तत्काल वापस लेने की मांग करते हैं।
आयुष मंत्रालय द्वारा मिक्सोपैथी पद्धति अपनाने की नीति बेहद आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है जिसमें भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली की परिशुद्धता, नैतिकता, सुरक्षा और गुणवत्ता से समझौता किया गया है। भारतीय चिकित्सा में हम आयुर्वेद और अन्य सभी चिकित्सा पद्धति का सम्मान करते हैं, लेकिन भारतीय स्वास्थ्य क्षेत्र में मिक्सोपैथी के खिलाफ हैं।
मिक्सोपैथी की नई सरकारी नीति एक ही प्रणाली में सैद्धांतिक रूप से असंगत और कार्यपद्धति का घालमेल वैज्ञानिक तरीके से भी गलत है। आईएमए सभी चिकित्सा पद्धतियों के लिए एक ही डॉक्टर की नियुक्ति और प्रैक्टिस का पुरजोर विरोध करता है। इसी विरोधस्वरूप हम पिछले 14 दिनों से क्रमिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। महिला डॉक्टरों ने भी 7 फरवरी से देश में भूख हड़ताल शुरू की है।
देश के सभी विशेषज्ञों के संगठन हमारे साथ हैं और आईएमए के तहत फेडरेशन आॅफ मेडिकल एसोसिएशन के जरिये इस आंदोलन में शामिल हुए हैं। देश के सभी सांसदों, विधायकों और संबंधित राज्य सरकारों को भी इस राष्ट्रीय आंदोलन के बारे में अवगत कराया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हम विभिन्न देशों के संगठनों को इस अवैज्ञानिक अधिसूचना के बारे में बताएंगे।