केजरीवाल ने पीएम से की अपील, केंद्र सरकार के अस्पतालों में 1000 आइसीयू बेड कोविड मरीजों के लिए करें सुरक्षित

ROHIT SHARMA

नई दिल्ली :– देश भर में बढ़ते कोरोना के संक्रमण के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की। इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के वर्तमान हालातों के बारें में प्रधानमंत्री को विस्तार से जानकारी देते हुए कोविड से लड़ने के लिए किए गए काम की जानकारी दी।

 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री को बताया कि दिल्ली के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कोविड के लिए आरक्षित कुल बेड में से 9400 बेड भरे हुए हैं, जबकि अभी 8500 बेड खाली हैं। अभी कोरोना के समान्य बेड को लेकर हमारे लिए चिंता का विषय नहीं है। अभी हमारे पास कोरोना के समान्य बेड की पर्याप्त क्षमता उपलब्ध है।

 

दिल्ली में कुल आईसीयू बेड में से करीब 3500 आईसीयू बेड भरे हुए हैं और अभी 724 आईसीयू बेड खाली हैं। सीएम ने कहा कि आईसीयू बेड बढ़ाने में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी मदद कर रहे हैं, लेकिन अगर केंद्र सरकार के सफदरजंग और एम्स जैसे अस्पतालों में कुछ दिनों के लिए 1000 बेड दिल्ली वासियों के लिए सुरक्षित कर दिए जाएं, तो आपकी बहुत बड़ी मेहरबानी होगी और पूरी महामारी के दौरान हमें और दिल्ली के लोगों को केंद्र सरकार से जो मदद मिली है, उसके लिए हम सभी शुक्रगुजार हैं।

 

 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम को आगे बताया कि दिल्ली में कोरोना की पहली लहर जून के महीने में आई थी, उस दौरान दिल्ली में 20 हजार सैंपलों की जांच प्रतिदिन की गई थी। दिल्ली सरकार ने सितंबर में जांच का दायरा बढ़ाते हुए 60 हजार प्रतिदिन कर दी थी। दिल्ली में अभी कोरोना की तीसरी लहर चल रही है।

 

दिल्ली ने 8600 पाॅजिटिव केस के साथ 10 नवबंर को तीसरी लहर का शिखर देखा था। 10 नवबंर के बाद से दिल्ली में पाॅजिटिविटी दर लगातार कम हो रही है, लेकिन बढ़ती मृत्युदर चिंता का विषय है और हमें मृत्युदर को कम करना होगा। हमें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में पाॅजिटिविटी दर के साथ मृत्युदर भी लगातार कम होती जाएगी।

 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने आगे कहा कि दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर को अधिक खतरनाक बनाने में कई कारक सहायक हुए, जिसमें पिछले दिनों बढ़े प्रदूषण का प्रमुख योगदान रहा। इसमें पड़ोसी राज्यों में जलाई जा रही पराली से होने वाला प्रदूषण एक प्रमुख कारण रहा है। दिल्ली सरकार ने अभी हाल ही में पूसा इंस्टीट्यूट की मदद से पराली का समाधान निकाला है।

 

पूसा इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित बाॅयो डीकंपोजर तकनीक का दिल्ली सरकार ने अपने किसानों के खेतों में प्रयोग भी किया है और इसकी मदद से पराली का डंठल गल कर खाद में बदल जा रहा है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से पड़ोसी राज्यों में भी बाॅयो डीकंपोजर तकनीक की मदद से पराली का समाधान करने के लिए हस्तक्षेप की मांग की। उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि आपके नेतृत्व में दिल्ली, पंजाब और हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री पराली को खत्म करने के लिए एक टीम की तरह काम करें।’

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