शिक्षा से हर व्यक्ति बना सकता है अपना अच्छा भविष्य , टेन न्यूज़ के फेस 2 फेस कार्यक्रम में बोले सांसद डॉ. अच्युत सामंत

ROHIT SHARMA

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नई दिल्ली :– ओडिशा में पिछले 24 घण्टे के अंदर कोरोना वायरस संक्रमण के रिकॉर्ड 2,496 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमित लोगों की कुल संख्या 57,126 हो गई। ओडिशा राज्य में इस वायरस के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 333 हो गई है। राज्य में 1,521 और रोगियों के स्वस्थ होने की सूचना है, जिससे राज्य में अब तक ठीक हो चुके कुल लोगों की संख्या 40,727 हो गई है।

 

 

इस कोरोना महामारी में टेन न्यूज़ नेटवर्क वेबिनार के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा है , साथ ही लोगों के मन में चल रहे सवालों के जवाब विशेषज्ञों द्वारा दिए जा रहे हैं। आपको बता दे कि टेन न्यूज़ नेटवर्क ने “फेस 2 फेस” कार्यक्रम शुरू किया है , जो टेन न्यूज़ नेटवर्क के यूट्यूब और फेसबुक पर लाइव किया जाता है

 

वही “फेस 2 फेस” कार्यक्रम में ओडिशा राज्य के सांसद व प्रसिद्ध समाजोद्यमी एवं शिक्षाशास्त्री डॉ. अच्युत सामंत ने हिस्सा लिया। वही आज फेस 2 फेस कार्यक्रम का विषय “डॉ. अच्युत सामंत” की सफलता यात्रा रहा। वही इस कार्यक्रम का संचालन राघव मल्होत्रा ने किया।

आपको बता दे की राघव मल्होत्रा बहुत ही मशहूर लेखक और ऊर्जावान एंकर भी है | उन्होंने टेन न्यूज़ नेटवर्क के प्लेटफार्म पर बड़े विद्वानों व मशहूर लोगों से महत्वपूर्व विषयों पर चर्चा की , जिसको लोगों ने खूब सराहना की है। राघव मल्होत्रा ने मशहूर ओडिशा राज्य के सांसद व प्रसिद्ध समाजोद्यमी एवं शिक्षाशास्त्री डॉ. अच्युत सामंत से बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न किए।

 

आपको बता दे कि डॉ. अच्युत सामंत भारत के ओड़िशा राज्य के प्रसिद्ध समाजोद्यमी एवं शिक्षाशास्त्री हैं। वे कलिंग प्रौद्योगिकी संस्थान , कलिंग औद्योगिक प्रौद्योगिकी संस्थान तथा कलिंग समाज विज्ञान संस्थान के संस्थापक हैं। इन संस्थानों में आदिवासी छात्र-छात्राओं को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है।

 

वे भारत के किसी विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के उप कुलपति हैं (लिम्का बुक ऑफ वर्ड रिकार्ड्स)। अमेरिका के एज स्कॉल फाउन्डेशन ने उन्हें विश्व के 15 समाजोद्यमियों में स्थान दिया है।

डॉ अच्युत सामंत का जन्म ओड़िशा के कटक जिले के कलारबंका नामक गाँव में हुआ था। उनकी माता का नाम निर्मला रानी एवं पिताजी का नाम अनादि चरण था। उनका जीवन अत्यन्त गरीबी एवं अभाव में बीता। इसके बावजूद उन्होने उत्कल विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एएसससी की और भुवनेश्वर के महर्षि महाविद्यालय में अध्यापन करने लगे।

 

ओडिशा में कीट और कीस के संस्थापक व सांसद डॉ. अच्युत सामंत ने कोरोना से मारे गए व्यक्ति के परिवार का कोई भी बेटा या बेटी कीट विश्वविद्यालय में तकनीकी उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता है तो उसे तकनीकी व वृत्तिगत (प्रोफेसनल) पाठ्यक्रम में मुफ्त में पढ़ने का अवसर दिया। अगले दो शिक्षा वर्ष 2020-21 व 2021-22 वर्ष के लिए यह व्यवस्था लागू की गई है।

 

उन्होंने कहा कि कीट के आइटीआई, डिप्लोमा इंजीनियरिंग के साथ कीट विश्वविद्यालय के सभी तकनीकी शिक्षा (टेक्निकल एजुकेशन) व वृत्तिगत शिक्षा (प्रोफेसनल एजुकेशन) पाठ्यक्रम में वे नाम लिखाई की योग्यता के अनुसार आवेदन करते हैं तो उन्हें यह सुविधा मिलेगी। गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल), अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं को प्राथमिकता दी गई है।

डॉ. सामंत ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण आज लोग असहाय से हो गए हैं, ऐसे समय में लिए गए इस महत्वपूर्ण निर्णय से हमारे लोगों कुछ संतुष्टि मिलने की उम्मीद है। कोरोना महामारी से मरने वाले मरीजों के बच्चों को पूरी तरह से मुफ्त में तकनीकी, वृत्तिगत शिक्षा का अवसर देने वाला कीट विश्वविद्यालय दुनिया का एकमात्र विश्वविद्यालय है ।

 

उन्होंने कहा की महज चार साल की उम्र में उनके सर से पिता का साया उठ गया. वे ओडिशा के कटक जैसे बेहद पिछड़े जिले के दूरदराज के एक गांव में जन्मे थे. परिवार चलाने के लिए वे सब्जी बेचकर विधवा मां का सहारा बने, लेकिन पढ़ाई नहीं छोड़ी।

 

डॉ. अच्युत सामंत ने कहा कि आसपास के हालात देखकर उनके भीतर खासकर शिक्षा के क्षेत्र में कुछ असाधारण करने का संकल्प पैदा हुआ. एमएससी (रसायन) करने और उत्कल विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में कुछ समय पढ़ाने के दौरान इस बारे में लगातार विचार मंथन करता रहा और फिर एक दिन मैंने कदम बढ़ा दिए ।

 

डॉ. अच्युत सामंत ने कहा कि सन् 1992-1993 में 5,000 रु. की पूंजी और 12 छात्रों से मैने भुवनेश्वर में कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (कीट) की स्थापना की, जिसकी पूंजी आज 800 करोड़ रु. है. कीट चल पड़ा तो 51 वर्षीय सामंत को असली लक्ष्य का क्चयाल आया—गरीब आदिवासी बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर तक की तालीम, छात्रावास और भोजन निःशुल्क मुहैया कराना. इसके लिए उन्होंने 1997 में डीम्ड विश्वविद्यालय कीट के तहत कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (किस) की स्थापना की. इसके पास आज 25 वर्ग किमी का कैंपस है और कुल 22 इको फ्रेंड्ली इमारतें हैं. आज किस में केजी से पीजी तक 25,000 बच्चे पढ़ते हैं ।

 

इस तरह से इतने बड़े पैमाने पर आदिवासी बच्चों को फ्री तालीम देने वाला यह संसार का सबसे बड़ा संस्थान है। प्लेसमेंट का यहां का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है. इंजीनियरिंग, एमबीए, मेडिकल जैसी तालीम के बाद यहां के बच्चे बेहतर पेशों में जाते हैं. और हां, तीरंदाजी में भी वे राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर नाम कमा रहे हैं।

 

दिल्ली में मुख्यमंत्री रहते शीला दीक्षित ने उनसे मदद लेकर राजधानी में भी ऐसा ही इंस्टीट्यूट शुरू किया. अब वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सदस्य भी हैं।

सामंत ने कहा कि मेरे पास जायदाद के नाम पर कुछ भी नहीं है। मेरी न्यूनतम जरूरतों का खर्च विश्वविद्यालय उठाता है. उनका बैंक बैलेंस भी शून्य है. किस को चलाने के लिए वे एक पैसा भी चंदा नहीं मांगते. लोग अपनी मर्जी से देते हैं. परिसर में वे साइकिल से या पैदल घूमते हैं और जिस शिक्षक के रूम में बैठ जाएं वही उनका ऑफिस. किस में तो वे पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठकर ऑफिस चलाते है।

 

उनके यहां 10,000 कर्मचारी हैं और सामंत पर उनकी आस्था का आलम यह है कि सारा स्टाफ कुल वेतन का तीन प्रतिशत हर महीने संस्था को अनुदान दे देता है. इस जज्बे को देखकर लगता है कि दो हजार साल पहले कलिंग की एक खौफनाक लड़ाई ने सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन के जरिए भारत का इतिहास मोड़ दिया था, आज उसी कलिंग में अशिक्षा के खिलाफ एक नई लड़ाई चल रही है और इसके नायक हैं डॉ. अच्युत सामंत है ।

 

उन्होंने कहा कि आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा, खाना, किताबें, ड्रेस मुहैया समेत अन्य मुहिम को पूरा करके में ओडिशा से बीजू जनता दल (बीजद) से राज्यसभा सांसद बना।

 

अशिक्षा के खिलाफ जंग उनके सामाजिक सरोकार के जज्बे को दर्शाती है। सामंत को आदिवासियों का मसीहा भी कहा जाता है। अच्युत सामंत खुुद को सबसे गरीब सांसद मानते हैं।

 

उनके मुताबिक, मेरे पास जायदाद के नाम पर भी कुछ नहीं है। मैं ओडिशा पर खास ध्यान देता हूँ। जनता से जुड़े मुद्दों को संसद में उठाता हूँ । यहां के लोगों के हित में काम करता हूं , साथ ही आगे करता रहूँगा।

 

उन्होंने कहा कि हम कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (किस) में करीब 27 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को केजी से पीजी तक की मुफ्त शिक्षा, छात्रावास और भोजन मुहैया करा रहे हैं। आगे भी उनके हित के लिए काम करता रहूंगा।

 

अशिक्षा के खिलाफ हमारी मुहिम आगे भी जारी रहेगी। गरीब बच्चों को शिक्षित करने की कोशिश जारी रहेगी। हां, मैं ओडिशा की तरह अन्य राज्यों में भी कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (किस) की शाखाएं खोलूंगा।

 

डॉ. अच्युत सामंत ने कहा किराज्य की हर समस्या के समाधान की कोशिश करता रहूंगा।अच्युत सामंत के मुताबिक मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की कार्यशैली व स्वच्छ छवि उनके सरलता से प्रेरित होकर वह बीजद में शामिल हुए हैं। मैं समाज सेवा कर रहा था राजनीति में आने से सामाजिक कार्य को और गति देने में मदद मिलेगी।

 

उन्होंने कहा कि सांसद और समाजसेवक होने के नाते मैने अपने जिले में कोरोना महामारी के दौरान किसी भी सख्स को भूखा नही रहने दिया है , आज मेरे जिले में स्वास्थ्य को लेकर सभी सुविधाएं है ।

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