एमएसएमई, टैक्निकल एवं रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर काम करे, तो दे सकते हैं चाइना की इंडस्ट्रीज को मात : प्रो. आर.के खांडल

ABHISHEK SHARMA

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NOIDA : कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में उद्यमियों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। कोरोना के चलते पूरे देश में हुए लॉकडाउन के कारण उद्योग बंद हो गए थे। जिसमें उन्हें काफी नुकसान हुआ। हालांकि लॉकडाउन में कुछ समय बाद फैक्ट्रियों के खोलने की अनुमति दे दी गई। लेकिन अभी भी उद्यमियों को कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। इसी को लेकर टेन न्यूज़ लगातार लाइव कार्यक्रम आयोजित करता आ रहा है। जिसमें उद्यमियों की समस्याएं मुख्य रूप से उठाई दी जा रही हैं और उनका समाधान हो सके इसका भी प्रयास किया जा रहा है।

प्रोफेसर विवेक कुमार के सच्ची बात कार्यक्रम में एमएसएमई इंडस्ट्रीज की समस्याएं एवं समाधान के बारे में चर्चा की गई। जिसमें गौतम बुध नगर के तमाम बड़े उधमी शामिल हुए। वहीं उद्यमियों की समस्याओं का समाधान करने के लिए जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक अनिल कुमार भी इस दौरान मौजूद रहे।

आपको बता दें कि प्रोफेसर विवेक कुमार टेन न्यूज़ नेटवर्क पर सच्ची बात कार्यक्रम का संचालन करते आ रहे हैं। जिसमें अलग-अलग क्षेत्र के लोग किसी भी अहम मुद्दे पर चर्चा करते हैं और चर्चा के दौरान समस्याओं और समाधान पर भी जोर दिया जाता है। प्रोफेसर विवेक कुमार ने ‘एमएसएमई इंडस्ट्रीज : समस्याएं एवं समाधान’ कार्यक्रम का भी बेहद अच्छे से संचालन किया।

कार्यक्रम के पैनलिस्ट –

– विशेषज्ञ : प्रोफ (डॉ) आर के खाण्डल, अध्यक्ष-इण्डिया ग्लाइकोल लिमिटेड

विशिष्ट अतिथि
– नरेश कुमार गुप्ता
संयोजक, द टॉय एसोसिएशन ऑफ इण्डिया
अध्यक्ष, इकोटेक 12 इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
सीईओ, फनज़ू टॉयज (इण्डिया)

-अनिल कुमार, उपायुक्त, जिला उद्योग केंद्र

– विपिन मल्हन
अध्यक्ष, नोएडा एंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन

– कुलमणी गुप्ता
अध्यक्ष, नोएडा चैप्टर, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

– मंजुला मिश्रा
जिला अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, गौतमबुद्ध नगर,
MD, Holosafe Security Labels Pvt Ltd

– विशारद गौतम
अध्यक्ष, ग्रेटर नोएडा चैप्टर, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

– के पी सिंह
अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती, ग्रेटर नोएडा चैप्टर,
पूर्व अध्यक्ष, उ प्र कोरुगेटेड बॉक्सेस मेनूफैक्चरर्स एसोसिएशन

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त अनिल कुमार ने कहा कि कोरोना महामारी के इस तरह फैलने की किसी ने भी कल्पना नहीं की थी और ना इससे लड़ने के लिए कोई भी पूरी तरह से तैयार था। इस दौरान उद्यमियों को अनेकों समस्याओं का सामना करना पड़ा लेकिन शासन की तरफ से उद्यमियों को हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई। एक लिस्ट बनाई गई जिसके तहत ऐसी कंपनियों का चयन किया गया जो पीपीई टिकट बना सकती हैं और लॉकडाउन के दौरान बेंगलुरु से पीपीई किट बनाने वाली मशीनें मंगाई गई।

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जिला अधिकारी के साथ मिलकर संवेदनशीलता से उद्यमियों की समस्याओं को देखते हुए फैसले किए गए। औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क की सुविधा पर काम चल रहा है। किसी भी काम में थोड़ा समय लग सकता है लेकिन सारी समस्याएं हल कराई जाएंगी। उन्होंने कहा कि मेरी गौतम बुद्ध नगर के डीएम के साथ बात हुई थी। जिसमें उन्होंने कहा कि अगर उद्यमियों की समस्याओं का समाधान निचले स्तर से हो जाता है तो ठीक है अगर शासन तक उद्यमियों की बात पहुंचाने की बात आएगी तो भी उद्यमियों की समस्याओं का समाधान कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जिले के उद्यमियों के लिए जिला उद्योग केंद्र में हेल्पलाइन प्रारंभ करने के लिए सोमवार को ऑर्डर जारी कर दिए जाएंगे और जल्द ही जिला स्तर पर हेल्पलाइन शुरू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि नोएडा की इंडस्ट्रीज उत्तर प्रदेश की सभी इंडस्ट्रीज के लिए एक इंजन की तरह है। जिधर भी नोएडा की इंडस्ट्रीज चलेंगी वही पूरे यूपी की इंडस्ट्रीज पहुंचेंगी। लेकिन कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में सभी उद्यमियों को धैर्य के साथ काम करना होगा।

प्रोफेसर आरके खांडल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि आज से 30 वर्ष पूर्व चीन हमसे बहुत पीछे था, आज वह हमसे बहुत आगे निकल गया है, उसके कुछ कारण हैं। आज से चार दशक पहले चीन ने एक निर्णय लिया कि चाइना में पब्लिक फंड से ना तो वह आर एन डी करेंगे और ना ही पब्लिक फंड से कोई शिक्षा देंगे। चाइना ने पब्लिक फंडिंग एकेडमिक इंस्टीट्यूशन और रिसर्च इंस्टीट्यूशंस के लिए बंद कर दी। इससे चाइना में रातों-रात लाखों शिक्षक और वैज्ञानिक बेरोजगार हो गए। इसके बाद इन लोगों ने मिलकर जीवन यापन के बारे में विचार किया और खुद के लघु एवं मध्यम उद्योग शुरू कर दिए। यहां से एसएमई और एमएसएमई का जन्म हुआ। 2 साल के भीतर वहां लाखों की संख्या में एसएमई और एमएसएमई हो गए। इन लोगों को चीन के निवासियों ने समर्थन दिया और देखते ही देखते उद्यमियों का इतना बड़ा नेटवर्क पूरे चाइना में विकसित हो गया, यह पूरा विश्व जानता है। चीन में मैनेजमेंट के छात्रों को सबसे पहले एंटरप्रेन्योर बनाने के लिए शिक्षा देते हैं। आज के समय में चाइना पूरे विश्व का मार्केटिंग गुरु है।

उन्होंने कहा कि एसएमई व एमएसएमई के लोगों को रिसर्च व टेक्निकल इंस्टिट्यूट के साथ मिल जाना चाहिए और छात्रों को मार्केट की जरूरतों के बारे में शिक्षा दी जाए ताकि बेहतर एंटरप्रेन्योर निकल सके।

नरेश कुमार गुप्ता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि उद्यमियों के लिए आज के समय में सबसे बड़ी समस्या औद्योगिक क्षेत्रों का रखरखाव है। यहां पर सड़कों की इतनी गंदी हालत हुई पड़ी है कि लोग यहां आना पसंद नहीं करते हैं। ग्रेटर नोएडा में साइट सी, साइट बी या साइट 4 के औद्योगिक क्षेत्र से निकल जाएं तो मैं दावा कर सकता हूं वहां वह व्यक्ति दोबारा नहीं आएगा।

दूसरी सबसे बड़ी समस्या यह है कि एमएसएमई के लोगों को लीन मैनेजमेंट की जानकारी नहीं है। उनको एमएसएमई की गाइड लाइन के बारे में जानकारी नहीं है कि सरकार के द्वारा उनको किस तरह के फायदे मिल सकते हैं। बहुत से उद्यमी इन सारी जानकारियों से अनजान हैं। अगर एमएसएमई कारोबारियों को इन सब चीजों की जानकारी हो जाए तो सरकार की चलाई गई योजनाओं का लाभ लेकर उद्यमी चाइना की तरह यहां भी अपना कारोबार अच्छे से स्थापित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि उद्यमियों की समस्याओं का जल्दी से जल्दी समाधान करना चाहिए। उद्यमियों का आधा समय तो इन समस्याओं के समाधान के लिए चक्कर काटने में चला जाता है।

कुल मणि गुप्ता ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार की मंशा उद्यमियों को आगे बढ़ाने की है लेकिन निचले स्तर पर अधिकारी मुख्यमंत्री की योजनाओं को उद्यमियों तक नहीं पहुंचा रहे हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौर में मुख्यमंत्री ने उद्यमियों के फिक्स चार्ज माफ करने की घोषणा की थी, लेकिन हालात यह हैं कि अब तक बिजली के फिक्स चार्ज लिए जा रहे हैं और लॉकडाउन में जब फैक्ट्री बंद थी, उसके बावजूद बिजली के बिल पहले से अधिक आए हैं। जो कि उद्यमियों पर दोहरी मार है। अभी तक उद्यमी उत्पादन की जगह इन समस्याओं के समाधान के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अधिकारी मुख्यमंत्री के दफ्तर से जारी होने वाले आदेशों का अनुपालन नहीं कर रहे हैं। उद्यमियों के लिए समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। कम से कम मूलभूत सुविधाएं तो उद्यमियों को मिलनी चाहिए ताकि उसका कारोबार आगे बढ़ सके।

उन्होंने आगे कहा कि नोएडा प्राधिकरण इस समय भी प्रत्येक कंपनी से कूड़ा उठाने के नाम पर ₹ 5-10 हजार वसूल रहा है। हम लोग पानी बिजली , सीवर के बिल का भुगतान कर रहे हैं। वही एनजीटी उद्यमियों से पानी का दोहन न करने के लिए दबाव डालती है। ऐसे में उधमी करे तो क्या करें। उन्होंने कहा कि अब उत्तर प्रदेश में वीकेंड लॉकडाउन चल रहा है। ऐसे में फैक्ट्रियों के खुलने की अनुमति दे दी गई है लेकिन जब हमारे वाहन माल लेकर आते जाते हैं, तो उनका चालान कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जिला उद्योग केंद्र में एक हेल्पलाइन प्रारंभ किया जाए, ताकि जिले के उद्यमी अधिकारियों को समस्या से अवगत करा सकें।

मंजुला मिश्रा ने इंडस्ट्रीज की समस्याओं के बारे में बोलते हुए कहा कि लॉकडाउन के बाद अब कंपनियां खुल गई हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या हमारे लिए कर्मचारियों की आ रही है। कंपनियों में 40 या 50% वर्कर काम कर रहे हैं आधे लोग अपने घर चले गए हैं, जबकि जो वर्कर काम कर रहे हैं उनके लिए भी कंपनी तक पहुंचने में बहुत सारी समस्याएं आ रही हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है, ऐसे में वर्कर को कंपनी तक पहुंचने में मुसीबत आ रही है। उन्होंने आगे कहा कि यूपीसीडा की जितनी भी इंडस्ट्रीज हैं, यहां आईटी नेटवर्क बहुत ज्यादा कमजोर है। यहां पर किसी तरह से आईटी के काम को संभाला जा रहा है। अगर हमको अच्छी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तो हमारा कारोबार किस तरह से आगे बढ़ेगा।

उन्होंने कहा कि हमारे आसपास के जो एशियन देश हैं, उनके यहां कैपिटल कॉस्ट और हमारे यहां की कैपिटल कॉस्ट में बहुत अंतर है। अगर हमारे यहां कोई एम एस ए मशीन खरीदता है तो उसका लोन इंटरेस्ट इतना ज्यादा है जिसका उद्यमियों पर बहुत भार पड़ता है। एक एमएसएमई अगर मशीन खरीदता है तो उसकी लोन इंटरेस्ट ऑटो लोन इंटरेस्ट से भी ज्यादा है। जबकि एक मशीन से रोजगार पैदा होता है, इस पर भी विचार होना चाहिए और उद्यमियों पर पडने वाले भार में कटौती की जानी चाहिए। अन्य देशों की तुलना में हमारे यहां बिजली काफी महंगी है।

विशारद गौतम ने अपनी बात रखते हुए कहा कि कोरोना काल में सरकार ने उद्यमियों के लिए कई योजनाएं निकाली लेकिन मैं दावे से कह सकता हूं, इसका ज्ञान 5 परसेंट भी उद्यमियों को नहीं होगा और सरकार द्वारा दिए जाने वाले न जाने कितने लाभ उद्यमियों तक पहुंचते ही नहीं हैं। दूसरी बड़ी समस्या लेबर की है। औद्योगिक सेक्टर बसाते समय नाली, खड़ंजा, सीवर के साथ-साथ लेबर के हित के बारे में भी सोचना पड़ेगा। औद्योगिक सेक्टर के आस पास कोई भी रेजिडेंशियल स्कीम आती है तो वहां प्रवासी मजदूरों के लिए हॉस्टल या रहने की जगह का इंतजाम किया जाना चाहिए। अब गौतम बुद्ध नगर में यमुना प्राधिकरण अपने क्षेत्र में औद्योगिक सेक्टर बसा रही है। नोएडा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने मजदूरों के बारे में नहीं सोचा लेकिन यमुना प्राधिकरण को औद्योगिक सेक्टरों के समीप लेबर के लिए हॉस्टल बनाने होंगे। जिससे कि मजदूरों की समस्या हल हो सके और उन्हें कंपनी तक पहुंचने में कोई समस्या ना हो।

केपी सिंह ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी आर्थिक नीतियां गलत रहीं, जिसकी वजह से एमएसएमई को जिस रेट ऑफ इंटरेस्ट पर पैसा मिलना चाहिए वह नहीं मिला और जो उद्यमियों को लाभ प्राप्त होता है वह अधिकतर ब्याज चुकाने में चला जाता है। जो हमारी पूंजी व्यापार में लगनी चाहिए थी, वह ब्याज में जा रही है, यह भी एक कारण है कि एमएसएमई ग्रोथ नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा कि शासन और प्रशासन के बीच में तालमेल नहीं रहा , जिसकी वजह से एमएसएमई की समस्या लगातार बढ़ती रही। कुछ समस्याएं शासन की गलत नीतियों के चलते बढी। शासन द्वारा जो भी नीतियां एमएसएमई के लिए बनाई गई उनके बारे में सोचा नहीं गया कि इससे उद्यमियों को कितना फायदा पहुंचेगा। सरकार को फिर से उद्यमियों की फीडबैक लेकर नीतियों में सुधार करना चाहिए , जिससे कि उद्यमियों को पूरा फायदा पहुंच सके।

उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में सरकार ने क्लस्टर स्कीम निकाली थी, लेकिन इसमें इतनी सारी शर्तें शामिल कर दी गई कि वह पूरी करनी हर किसी उद्यमी के बस की बात नहीं है। इसी के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में केवल एक ही क्लस्टर है , वह मेरठ में चल रहा है। उसमें भी आए दिन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार द्वारा चलाई गई क्लस्टर योजना धरातल पर पूरी तरह से फेल साबित हुई है। अगला मुद्दा राॅ मेटेरियल का है। अगर उद्यमियों को रॉ मैटेरियल अच्छी क्वालिटी का नहीं मिलेगा तो कैसे उनके प्रोडक्ट विदेशों में कामयाब होंगे। जब तक रॉ मेटेरियल की क्वालिटी सही नहीं की जाती है तब तक हमारे प्रोडक्ट की क्वालिटी ठीक नहीं हो सकती और हमारा कारोबार आगे नहीं बढ़ सकता।

विपिन मल्हन ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारे जिले में प्रशासन के लोग शासन के साथ समन्वय नहीं रखते हैं। सरकार की मंशा उद्यमियों को बढ़ावा देने की है लेकिन यहां के अधिकारी नहीं चाहते कि उद्यमी आगे बढ़े। उन्होंने कहा कि अभी वीकेंड लॉकडाउन का आदेश आया था जिसमें कहा गया कि फैक्ट्रियां खुलेंगी लेकिन जब शनिवार को फैक्ट्री खुली तो पता चला कि आधी से ज्यादा लेबर तो कंपनी पहुंच ही नहीं पाई है। क्योंकि लेबर को रास्ते में पुलिस ने रोक लिया है, उनका चालान करके उन्हें वापस घर भगा दिया है। इसी प्रकार से चलता रहेगा तो कैसे एक उद्यमी आगे बढ़ सकेगा लॉकडाउन के दौर में जहां अधिकारियों को उद्यमियों की मदद करनी चाहिए थी, ऐसे में अधिकारियों ने उद्यमियों को मुसीबत में डालने के आदेश जारी किए। लॉकडाउन में कर्मचारियों को घर बैठे तनख्वाह देने के आदेश पारित किया गया। इस दौरान बिजली के बिल भी डबल आ रहे हैं। फिक्स चार्ज माफ करने की बात हुई थी लेकिन वह भी माफ नहीं हुए। गौतम बुद्ध नगर के तीनों प्राधिकरण सिर्फ जमीन बेचकर पैसा लेना और उस पर अलग से लीज चार्ज लगा कर दिया जाता है। तो हर तरफ से मार उद्यमियों पर पड़ रही है सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है।

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