नई दिल्ली :– सौरभ भारद्वाज ने आने वाले कुछ महीनों में प्रदुषण के बढ़ने की संभावना को लेकर पड़ोसी राज्यों को चेताया है। आपको बता दें कि आप पार्टी के सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने पड़ोसी राज्यों के प्लान को खारिज कर दिया है।
आयोग ने कहा है कि कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के समय अगर पराली से प्रदूषण हुआ तो बहुत विनाशक होगा। दिल्ली के पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा,पंजाब और राजस्थान की सभी तैयारियां सिर्फ कागज पर हैं। पड़ोसी राज्यों की लापरवाही से दिल्लीवालों की सेहत का बड़ा नुक़सान हो सकता है।
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली और उत्तर भारत में मानसून अब जैसे-जैसे खत्म होगा तब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान अगली फसल की तैयारी करेंगे। किसान धान की फसल को काटकर, गेहूं की फसल को बोने की तैयारी करेंगे। उसी वक्त पराली के कारण प्रदूषण बढ़ता है जो पूरे उत्तर भारत के अंदर दिखाई देगा। एजेंसी सफर के मुताबिक करीब 45 फ़ीसदी प्रदूषण दिल्ली में सीधे पड़ोसी राज्यों की पराली जलने से होगा।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जब इस पर कुछ नहीं कर पायी तो सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए सेवानिवृत जज के अधीन कमेटी बनाई। केंद्र सरकार ने उस कमेटी को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हम एक कमीशन बना रहे हैं।
उस कमीशन को ताकत दी जाएगी कि वह पूरे उत्तर भारत के अंदर प्रदूषण और खास तौर पर पराली से होने वाले प्रदूषण के ऊपर काम करेगा। वायु गुणवत्ता प्रबंधक आयोग ने कुछ दिन पहले दिल्ली के चार पड़ोसी राज्यों से पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए क्या-क्या तैयारियां की हैं, इसको लेकर रिपोर्ट मांगी। लेकिन बहुत दुख की बात है कि उसका कोई प्लान आयोग को नहीं दिया गया।
उन्होंने कहा कि इन चारों राज्यों में से दो उत्तर प्रदेश और हरियाणा भाजपा के अधीन हैं, जबकि पंजाब और राजस्थान कांग्रेस के अधीन हैं। इन चारों राज्यों ने पराली से प्रदूषण को रोकने को लेकर कोई काम नहीं किया। पराली से प्रदूषण को रोकने के कई उपाय इस वक्त देश में उपलब्ध हैं।
सबसे पहला बायो डी कंपोजर जो कि दिल्ली सरकार ने पिछले साल बनाया। कई लोगों को दिखाया कि कैसे बायो डी कंपोजर से पराली को गलाकर खेत के अंदर खाद बना सकते हैं। इसके अलावा मशीनों से पराली को निकाला जा सकता है और प्रोसेस करके इस्तेमाल किया जा सकता है, इस तरह की काफी मशीनें बाजार में उपलब्ध हैं। केंद्र सरकार और आयोग ने इन राज्यों को कहा था कि आप इन मशीनों को किसानों तक पहुंचाने, सब्सिडी देने और वितरित करने का प्लान दें।
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