चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों से ज्यादा चिंतित होता है चुनाव आयोग , कई चुनोतियाँ का करना पड़ता है सामना : महोम्मद आमीन (पूर्व जॉइंट डायरेक्टर , चुनाव आयोग)

Ten News Network

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नई दिल्ली :– भारत में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आते है , ऐसे में राजनीतिक दलों से ज्यादा चिंतित चुनाव आयोग होता है , जिसके सिर पर इस कुंभ के सफलतापूर्वक संचालन की अहम जिम्मेदारी है।

 

विधानसभा या लोकसभा चुनाव हो , राजनीतिक पार्टी से ज्यादा चिंतित चुनाव आयोग होता है , ये सभी चुनावों को सफलतापूर्वक कराने के लिए पुरजोर मेहनत करता है , वोटरों को जागरूक करने के लिए मतदान से करीब 6 महीने पहले जागरूक कार्यक्रम करवाता है , जिससे वोटर जागरूक हो सके , ज्यादा से ज्यादा मतदान हो सके।

 

वही नए वोटर बनाने के लिए युवाओं के लिए कैम्प लगवाता है , जिससे नए युवाओं का वोटर आईडी कार्ड बन सके , आने वाले चुनावों में अपना वोट डाल सके।

 

वही इस मामले में आज टेन न्यूज़ ने “भारत मे चुनाव को लेकर चुनाव आयोग को किन किन चुनोतियाँ का सामना करना पड़ता है’ इस विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस परिचर्चा में देश के चुनाव आयोग के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर महोम्मद आमीन शामिल हुए , साथ ही इस परिचर्चा का संचालन राष्ट्रीय टीवी पोलिटिकल विशेषज्ञ पूजा श्री ने किया।

 

मुख्य चुनाव आयोग के पूर्व जॉइंट डायरेक्टर मोहम्मद आमीन ने कहा कि चुनाव आयोग देश की संविधानिक संस्था है , जो कि पूरी तरह से स्वतंत्र है। उन्होंने कहा 25 जनवरी को हम लोग चुनाव दिवस मनाते हैं, इसके साथ ही मोहम्मद आमीन ने बताया कि इलेक्शन कमिशन की शुरुआती दौर में जो चुनाव होता था, वह एक चुनाव कहलाता था । लोकसभा और विधानसभा के एक साथ चुनाव हुआ करते थे जिसमें खर्च कम आता था, समय पर चुनाव हो जाते थे और किसी प्रकार की कोई परेशानी सामने नहीं आती थी।उन्होंने कहा अब जैसे-जैसे देश आगे बढ़ता गया वैसे वैसे चुनाव की प्रक्रिया भी बदलती चली गई और अब हम देखते हैं कि हर साल चुनाव होता है ।

 

 

मोहम्मद आमीन ने बताया की पहले जो वोटिंग होती थी , वो वैलेट पेपर के आधार पर होती थी , उसमें कई बार ऐसी बाते सामने आती थी कि चुनाव के दौरान उपद्रवियों ने वैलेट बॉक्स उठा लिए है या फिर खुद से ही स्टाम्प लगाकर वैलेट बॉक्स में डाल दिया है। इन सब चीज़ों की पहले बहुत शिकायत आया करती थी।

 

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर उठते सवालों को लेकर पूर्व जॉइंट डायरेक्टर ने बताया की चुनाव से पहले सभी पार्टियों के नेताओं को यह बताया जाता है कि आप किसी दूसरे प्रत्याशी पर किसी प्रकार की गलत टिप्पणी का प्रयोग नहीं करेंगे । चुनाव प्रचार के दौरान किसी धर्म का प्रचार नहीं करेंगे, हम सभी एक देश के नागरिक हैं । आपने क्या काम अपने क्षेत्र में अपने देश के लिए किया है , वह काम आप लोगों को बताइए और उस काम के नाम पर आप वोट मांगिए, यह सब चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा सभी पार्टियों के प्रत्याशियों को समझाया जाता है।

 

मोहम्मद आमीन ने कहा जैसे जैसे हमारा देश डिजिटलाइजेशन की तरफ बढ़ता जा रहा है, उस तरह से हमारे देश में हर चीज डिजिटल होती जा रही है । इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए मोहम्मद आमीन ने कहा आज के समय में दूसरे देश के लोग भी हमारे देश की मशीनों पर भरोसा करते हैं । वह कहते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है , यहां दुनिया में सबसे बड़ा चुनाव होता है और दूसरे देश के चुनाव आयोग के सदस्य हमारे देश में ट्रेनिंग लेने आते हैं वह हमारे देश में हो रहे इलेक्शन से सीखते हैं कि हम किस तरीके से इतने बड़ी इलेक्शन की प्रक्रिया को पूरा कर पाते हैं और यह हमारे लिए गर्व की बात है।

 

 

मोहम्मद आमीन ने कहा जो लोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर सवाल खड़े करते हैं और कहते हैं कि वैलेट पेपर ही अच्छा था , वह लोग चुनाव में गड़बड़ी करने की सोच रखते हैं , वह सोचते हैं कि वैलेट पेपर होता तो हम गड़बड़ी कर सकते थे , लेकिन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में यह संभव नहीं है । यह मशीन एक
कैलक्यूलेटर की तरह है अगर इसे कोई अपने साथ लेकर भी चला जाता है तो वह इस मशीन का कुछ नहीं कर सकता।

 

चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद हमारे इंजीनियर मशीनों की देखरेख का काम करते हैं और उनको अगले इलेक्शन के लिए तैयार करते हैं। उन्होंने कहा चुनाव से पहले जिला निर्वाचन अधिकारी हर पार्टी को नोटिफाइड करते हैं और साथ ही चुनाव से पहले सभी पार्टियों को कहा जाता है कि वह आए और एक बार वोटिंग मशीन को देख ले कि यह चुनाव के लिए तैयार हो चुकी है और यह कार्य इतना सुरक्षित ढंग से किया जाता है।

हम बस सभी पार्टियों को मशीनों को दिखाते हैं , उनको फोटो लेने भी नहीं देते। उन्होंने कहां ऐसी बातें सामने आई थी कि ईवीएम मशीन को हैक किया गया है तो इसके लिए हमने नेताओं को बुलाया था और उन्हें चैलेंज किया था, लेकिन किसी ने भी उस चैलेंज को एक्सेप्ट नहीं किया। वह सिर्फ पीठ पीछे जनता को गुमराह करने के लिए और इलेक्शन कमीशन को बदनाम करने के लिए यह काम करते हैं।

 

2021 में हो रहे 4 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव को लेकर मोहम्मद आमीन ने कहा की किसी भी राज्य में चुनाव से पहले हम अपनी सभी तैयारियां कर लेते हैं उसके बाद ही वहां पर चुनाव कराया जाता है और इस समय जो चुनाव हो रहे हैं उसमें जो साउथ का एरिया है वहां हमें चुनाव कराने में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई और किसी भी राज्य में चुनाव कराने से पहले हमारे उच्च अधिकारी सभी अधिकारियों को ब्रीफिंग देते हैं और चुनाव में किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो पाए इसके लिए उन्हें गाइड भी करते हैं।

 

हम देखते हैं जिन राज्यों की सीमाएं दूसरे देश से मिलती हैं वहां पर इस तरीके की बातें ज्यादा सामने आती हैं कि यहां पर किसी प्रकार का दंगा हो सकता है या फिर चुनाव में गड़बड़ी हो सकती है और अभी बंगाल में भी हमें ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है चुनाव आयोग इस बात की बिल्कुल परमिशन नहीं देता कि आप चुनाव के दौरान खून खराबा करें या फिर किसी प्रकार का उपद्रव मचाए।

 

बढ़ती कोरोना महामारी को देखते हुए इस समय क्या बंगाल में या अन्य राज्यों में चुनाव कराना एक सही फैसला है इसको लेकर पूर्व ज्वाइंट सेक्रेट्री मोहम्मद आमीन ने बताया कि चुनावों को आगे नही बढ़ाया जा सकता था , ऐसे केस में सीधा राष्ट्रपति शासन ही लगाया जा सकता है , उन्होंने कहा जिन राज्यों में चुनाव नहीं है, वहां पर भी कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़ रहे हैं और इन सब स्थिति परिस्थितियों को देखते हुए हमने बंगाल में चुनाव को 8 फेस में कराने का फैसला लिया था। हालांकि कुछ लोग इसे सरकार से जोड़ने लगे थे , लेकिन में आपको बताना चाहूंगा कि सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं था सभी की सहूलियत को देखते हुए यह फैसला किया गया था ।

 

आगे उन्होंने कहा महामारी जितनी तेजी से बढ़ रही है उसको देखते हुए इलेक्शन कमीशन ने यह फैसला लिया है कि एक बार सभी पार्टियों की मीटिंग बुलाई जाएगी और बढ़ती महामारी को लेकर यह चर्चा की जाएगी की जो भी रैलियां राज्य में हो रही है उनको किस ढंग से किया जाएगा और किसकी रैली होंगी और किसकी रैली को स्थगित किया जाएगा या फिर सभी रैलियों को वर्चुअल किया जाएगा।

 

चुनाव में तैनात सुरक्षाबलों पर उठाए गए सवालों को लेकर मोहम्मद आमीन ने कहा बहुत से लोग चुनाव के दौरान सुरक्षाबलों पर सवाल खड़ा कर रहे थे मैं आपको बताना चाहूंगा की चुनावों में जो पहला और दूसरा घेरा सुरक्षा बलों का होता है वह सेंट्रल फोर्स का होता है । जिसमें देशभर के हर राज्य से जवान शामिल होता है और उनमें से तो कई जवानों को ठीक से हिंदी भी नहीं आती, वह बस अपने सीनियर के दिए गए आर्डर का पालन करना ही जानते हैं और उन पर इस तरीके के सवाल खड़े करना कि वह किसी पार्टी विशेष के लिए काम कर रहे हैं यह गलत है।

 

उन्होंने बिना नाम लिए कहा जब लोग चुनाव हारने लगते हैं तो वह सारा ठीकरा इलेक्शन कमीशन पर फोड़ देते हैं, लेकिन वह लोग यह भूल जाते हैं कि इससे पहले जब 10 साल उनकी सरकार राज्य में रही तब भी वहां पर इलेक्शन उसी इलेक्शन कमीशन द्वारा कराया गया था , तब तो वह किसी प्रकार के सवाल खड़े नहीं करते यह सिर्फ हार की एक बौखलाहट है जिसमें इलेक्शन कमिशन को बदनाम किया जाता है।

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