प्रिंट-पैक इंडिया का तीसरा दिन में ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर, इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी से रूबरू हुए लोग

LOKESH GOSWAMI

प्रिंट-पैक इंडिया का तीसरा दिन एक्स्पो में ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर, इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी से रूबरू हुए लोगआईपीऐएमए   द्वारा आयोजित की गई पांच दिवसीय प्रिंटपैक इंडिया एग्जीबिशन में तीसरे दिन भी बड़ी तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया और प्रिंटिंग, पैकिंग के साथ-साथ ग्राफिक्स मेकिंग, बुक बाइंडिंग जैसी इंडस्ट्री में आई लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को करीब से जाना। IPAMA (इंडियन प्रिंटिंग पैकेजिंग एंड अलाइड मशीनरी मैनुफेक्चरर्स असोसिएशन) के जनरल मैनेजर सीपी पॉल के अनुसार पहले दो दिनों में जहां करीब 40 हजार लोगों ने हिस्सा लिया था, वहीं तीसरे दिन भी पहले हाफ तक 20 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शनी में आकर यहां लगाई गई मशीनों के बारे में जानकारी हासिल की और ग्राहकों की जरूरतों के अनुरूप कई और फीचर्स एवं तकनीक की जरूरतों से मशीन मैनुफेक्चरर्स को रूबरू कराया। शाम तक लोगों के आने का सिलसिला जारी था। इनमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए बिजनेस विजिटर्स, टेकलवर्स के साथ-साथ कई इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। इंडियन मैनुक्चरर्स को नई टेक्नोलॉजी और फीचर्स से परिचित कराने और उनका उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए से इस एक्स्पो का आयोजन किया गया है। एक्सपो में वेब ऑफसेट प्रिंटर्स को लेकर एक सेमिनार भी आयोजित किया गया जहां इंडस्ट्री के कई दिग्गजों ने अपने अनुभव साझा किए। वीएस राजा ने भारत और यूरोप की प्रोडक्शन प्रोसेस की तुलना करते हुए उदाहरण दिया कि यूरोप की इंडस्ट्री में यदि किसी मशीन को एक व्यक्ति ऑपरेट करता है, तो उसी तरह के प्रोडक्ट बनाने वाली मशीन को हमारे यहां छह लोग ऑपरेट करते हैं। इंडिया में लोडिंग, क्लीनिंग और सुपरवाइज़िंग के लिए अलग-अलग लोग होते हैं, जबकि यूरोपियन देशों में ऑटोमैटिक पूल्स को तरजीह देने की वजह से वहां मैनपॉवर की काफी कम जरूरत पड़ती है, साथ ही कम समय में अधिक प्रोडक्शन किया जाता है। मिस्टर राजा ने मेक इन इंडिया कंसेप्ट पर कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि विदेशों के लोगों को इंडिया में आकर काम करना चाहिए, इसका उद्देश्य विदेशों की टेक्नोलॉजी औऱ आइडियाज को इंडिया में बढ़ावा देकर प्रोडक्शन करना है, ताकि इंडिया की एक्सपोर्ट पावर बढ़ाई जा सके। एक्स्पो में कई अलग-अलग कंपनियों ने नए-नए फीचर्स और टेक्नीकल स्पेसिफिकेशन्स के साथ अपने प्रोडक्ट्स से लोगों को रूबरू कराया। नए फीचर्स के साथ पैकेजिंग इंड्स्ट्री में फैल्कॉन ग्रुप और एक्सेल मशीनरी की मशीनें भी लॉन्च की गई, जिसमें कार्डबोर्ड को मशीन में लगाने के बाद सीधे पैकेजिंग प्रोडक्ट जैसे एनवेलप, डिजाइंड बॉक्स प्राप्त किए जा सकते हैं। इस ऑटोमेटेड मशीन से जहां मैनपॉवर की बचत होती है, वहीं प्रोडक्ट की गुणवत्ता में भी काफी सकारात्मक परिणाम देखने को मिले। इस मशीन के माध्यम से पैकिंग बॉक्स की शॉर्पनेस, एज़ स्क्वेयरिंग प्रोसेस भी ऑटोमेटेड तरीके से की जा सकती है। इसके अलावा प्रदर्शनी में हॉइड्रॉलिक प्रोग्रामेबल पेपर कटर, बाइंडर, फिनिशर, स्टेपलर की भी विशाल रेंज देखने को मिली। इंडियन मशीनरी द्वारा लॉन्च की गई मशीनों में बिना प्रिंटिंग प्लेट्स का उपयोग किए प्रिंट करने और लगातार बनी रहने वाली एंडलेस इंकिंग जैसी सुविधाएं भी है। इनके अलावा ऑफसेट प्रिंटिंग में मोटराइज्ड इंकिंग सिस्टम, इंक मोटर ऑटो ट्रेकर, वाटर सर्कुलेशन सिस्टम और स्ट्रेगर्ड बैलेंस सिलिंडर जैसे नए फीचर्स भी हैं, जो प्रोडक्ट की लागत को काफी कम कर देते हैं। साथ ही एक्स्पो में इलेक्ट्रो मेक मशीनरी और लाइनोमेटिक ने टोटल डिजीटल ऑफसेट प्रेस ऐसी मशीन्स लॉन्च की है, जिनमें नोट बुक मैन्युफैक्चरिंग की प्रोसेस काफी आसान है। इनमें पेपर रोल लगाने के बाद लाइन प्रिंटिंग, रोल कटिंग, पेज शेपिंग, कटिंग, कवरिंग और स्टेपलर बाइंडिंग की प्रक्रिया ऑटोमैटिक होती है और सीधे प्रोडक्ट प्राप्त होता है, इससे जहां प्रोडक्ट की कंपनी कॉस्ट में कमी आती है वहीं क्वालिटी में भी पहले की अपेक्षा अधिक सुधार देखने को मिला। वहीं इन मशीनों में फुल ऑटो केस मेकर, प्रेन्युमैटिक बंडलिंग, कॉर्नर कटिंग और प्रेन्युमैटिक जॉइंट फ्रेमिंग के लिए भी ऑटोमैटिक ट्रेकर लगे हैं। पैकिंग बैग मैनुफैक्चरिंग के क्षेत्र में नॉन वूवन बैग प्रिंटिंग के लिए आई मशीनों में भी पूरी तरह से ऑटोमैटिक फीचर्स उपलब्ध है। इनमें पैपर बैग के अतिरिक्त कई अन्य रॉ मटीरियल से भी बैग बनाने के लिए उपयोग की जा सकने वाली मशीन्स उपलब्ध है। इन मशीनों में प्रिंटिंग, फोल्डिंग और बाइंडिंग के लिए सभी फीचर्स उपलब्ध है। वहीं ग्राफिक्स प्रिंटिंग के साथ-साथ होलोग्राफिक प्रिंट और स्क्रेच प्रिंट में प्रिज्म कंपनी ने कई नए फीचर्स के साथ मशीन्स लॉन्च की है। इन मशीनों में मैटल टच होलोग्राम, 3डी लैंसर होलोग्राम, वेलवेट टेक्सचर होलोग्राम के साथ-साथ सिल्वर मैटेलिक होलोग्राम और ग्लॉसी मटीरियल होलोग्राम को बनाने के लिए कम ऊर्जा और कम मैनपावर की जरूरत पड़ती है। इनकी शीट्स पहले की तुलना में लंबे समय तक बनी रहने वाली और बेहतर फिनिशिंग के साथ उपलब्ध है।


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