कौंसिल ऑफ रॉयल रूट्स ने नेशनल लीडरशिप समिट का आयोजन डॉ आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर नई दिल्ली में 23 अक्तूबर 2021 को किया । इस समिट का अहम विषय सकारात्मकता बनाए रखना और उसे बढ़ावा देना था।
इस कार्यक्रम में डॉ चंद्रकांता माथुर भी मौजूद रही। उन्होंने अपने विचारों से लोगों के अंदर पाजिटिविटी को जगाया। और कहा इस कार्यक्रम में आना मेरे लिए एक सुखद अनुभूति है।क्योंकि इस समय हमारा देश एक नकारात्मकता पर्यावरण में घिरा हुआ है। इस बीच एक सकारात्मक सोच का होना बहुत जरूरी है।
सकारात्मक सोच और सकारात्मक विचार होना बहुत जरूरी है। इस कार्यक्रम में सकारात्मक सोच पर बात हो रही है और साथ ही उसपर काम भी किए जा रहे हैं।
टेन न्यूज़ से खास बातचित में डॉ चंद्रकांता माथुर ने अपने विचार रखे और लोगों के अंदर सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया।
खास बातचीत के कुछ अंश –
मूव्मेंट ऑफ पाजिटिविटी में किस तरह से आप योगदान करेंगी
मैं एक प्रोफेसर और सोशल एंटरप्रेन्योर हूँ, मेरा मानना है अगर हर एक व्यक्ति दरवाजे के अंदर बंद हो जाएगा तो उन्हें सकारात्मता की ओर कोन लेकर जाएगा। जिसके लिए मैंने और मेरे साथ काम करने वाले हर एक व्यक्ति ने कोरोना काल में समाज को उनकी सुरक्षा और उन्हें जागरूक करने का काम किया था।
जैसे समस्या है तो उसका समाधान भी है और यही सकारात्मकता सोच को हमने लोगों के अंदर जागरूक किया और बताया यदि बीमारी है तो उसका समाधान भी है।
मेरा मानना है कि समस्या जब आती है जब हमारे पास उसका समाधान होता है।
साथ ही कुछ खूबसूरत शब्दों से उन्होंने लोगों के अंदर सकारात्मक सोच जगाते हुए कहा।
रात भले ही काली हो, लेकिन सुबह का सूरज सकारात्मकता का सूरज हमे उजाला देता है।
और भारत की सकारात्मकता पूरे विश्व में देखने को मिल रही है।
जिंदगी में हार ना मानना पाजिटिविटी है।
बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके हाथ पैर नहीं है लेकिन वो किसी से कम भी नही इसके पीछे का कारण उनकी पॉजिटिव सोच है।
*मन के हारे हार है
मन के जीते जीत*
ज़िन्दगी में कोई भी उत्तम नहीं होता लेकिन अगर हम सकारात्मक सोच रखते हैं तो हम कुछ भी कर सकते है। और इसके साथ ही कहा सोच है तोह ब्राह्मण है।इसलिए हमें सकारात्मक सोच को अपने अंदर रखना है।