रामलीला नाटक ने किया धर्म और राजनीति के आधुनिक स्वरूप पर कटाक्ष – बिमटेक की 31वीं सालगिराह पर हुआ मंचन

Vishal Malhotra (Photo/Video) By Lokesh Goswami Ten News Delhi :

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आज ग्रेटर नॉएडा के बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी में संस्था की 31वीं सालगिराह के अवसर पर कन्नौज के प्रसिद्ध लेखक राकेश द्वारा रचित एक अवस्मर्णीय नाटक का मंचन किया गया।

ग्रेटर नॉएडा का बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी वर्ष 1988 से बिज़नेस स्टडीज के साथ साथ कला एवं संस्कृति का एक बहुत ही नामी शिक्षा केंद्र बन चुका है।

स्वर्गीय डॉ श्रीमति सरला बिरला और वरिष्ठ समाजसेवी बी.के. बिरला बिमटेक शिक्षा केंद्र के फाउंडर हैं |

बिमटेक अपने 30 वर्ष पुरे कर चूका है और 31वी वर्षगांठ के सेलिब्रेशन के तहत कल 29 सितम्बर सांय 7 बजे बिमटेक में आगरा की एक मशहूर थिएटर मंडली रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान के लोकप्रिय नाटक “रामलीला” का मंचन किया गया |

नाटक रामलीला कला के उपेक्षित रूप का दर्द हैं और लोक धाम के व्यवसाय में बदल जाने की कथा हैं | यह नाटक समसामयिक होने के साथ साथ अर्थ आधारित व्यवस्था पर चोट करता हैं और साथ ही यह सोचने पर विवश करता हैं की कला का कोई धर्म होता है ?

नाटक के निर्देशक डिम्पी मिश्रा हैं जो भारतेन्दु नाट्य अकादमी लखनऊ से नाट्य कला में परास्नातक डिप्लोमा के उपरान्त देशभर में विभिन्न कार्यशालाओं का निर्देशन करते रहे हैं |

नाटक के निर्देशक डिंपी मिश्रा ने बिम्टेक में मंचन का अनुभव साझा करते हुए कहा की ” बिमटेक में अपनी नाट्य प्रस्तुति देना एक अविस्मरणीय अनुभव है | देश में शायद ही कोई तक्नीकी संस्थान ऐसा है जहां कलाओं को इतनी संजीदगी से प्रोत्साहित किया जाता है |”

बिमटेक के डायरेक्टर चतुर्वेदी जी ने भी इस अवसर पर कहा की “हमारी संस्था में हर वर्ष इसी तरह नाटक का मंचन किया जाता है और यही नहीं हम कला की अन्य सभी रूपों का बहुत सम्मान करते हैं | रंगलोक सांस्कृतिक संस्थान के हम बहुत आभारी हैं की उन्होंने इतनी दूर आकर इतने मनोबल के साथ इतना अद्भुत नाटक पेश किआ |”

नाटक के मंचन ने किया दर्शकों को अभिभूत

बिमटेक के छात्रों से जब नाटक के बारे में पूछा गया, तो नाटक की भूरी भूरी प्रशंसा सुनने को मिली |

बिमटेक के 1989 पास हुए कुछ छात्र भी वहां मौजूद थे। उनका कहना था की “मेरा ये बिमटेक वो बिमटेक अब लगता ही नहीं और मैं यहां जब भी आता हूँ मेरा तो यहां से जाने का ही मन नहीं करता |”

नाटक में इंसानियत से जुड़े बहुत ही हसीं सपने देखने को मिले ,एक तरफ हिन्दू और मुस्लिम आपको भाई से भी बढ़कर नज़र आते हैं तो दूसरी तरफ जब शोहरत को लेकर जब बातें होने लगती है तो दोनों कौम के लोग एक दूसरे के दुश्मन बनने पर उतर आते हैं |

नाटक रामलीला कोई रामायण नाटक नहीं बल्कि एक अनोखी किस्म की कहानी है जो शायद आपको असली रामलीला से भी ज़्यादा लुभा जाए और यही नहीं, नाटक में भरी गैर कौम के लोगों के बीच जो इंसानियत की झलक देखने को मिलेगी शायद ऐसी दोस्ती से आप आज तक मुक्कर्रुफ़ न हुए हों |

नाटक में दिखाए गए संगीत और चरित्रों की मेहनत का मेल इतना लुभावना था की दर्शकों की आँखों में दिख रही दिलचस्पी सब कुछ बयां कर रही थी |
एक नाटक मंडली जो सालों से दशहरे के समय गाँव में रामलीला मंचन कराती आई है वो अपने उसी नाटक की तैयारी में जुटी रहती जिसमें हिन्दू ही नहीं बल्कि गाँव के मुसलमान भी दिल से हिस्सा लेते हैं, लेकिन होता क्या है की नाटक मंडली को तैयारी हेतु कुछ पैसों की ज़रूरत पड़ जाती है और वो सब गाँव के सेठ के पास जाते हैं जहां उन्हें सेठ पैसे देने के लिए मान तो जाता है लेकिन धर्म और हिंदुत्व पर ऐसा पाठ पढ़ाता है की नाटक मंडली के सदस्यों मजबूरन अपने मुसलमान साथी को मंडली से निकलना पड़ जाता है जिसकी ख़बर जब गाँव के मुसलमान सेठ तक पहुँचती है तो वो दहशत में आकर रामलीला में विघ्न डालने का प्रस्ताव रखते हैं लेकिन जिस मुसलमान को मंडली से निकाल दिया जाता है वो नेकदिल होने की वजह से ऐसा करने से उन्हें रोकने की कोशिश करता है|

और दोनों कौमों में मारकाट करा कर हिन्दू एवं मुस्लिम सेठ आपस में पैसों को बांटने का निर्णय ले लेते हैं जिसका भुगतान गाँव के सभी मुसलमान एवं हिन्दू परिवारों को भुगतना पड़ता है |
क्या नाटक करने के लिए भी धर्म के हिसाब से चलना पड़ता है ?
क्या जनता को सच्चाई से वाक़िफ़ कराने के लिए धर्म के रस्ते पे चलना ज़रूरी हैं? यह सवाल दर्शकों के मन मैं पैदा हो जाते है

एक सप्ताह चलेंगे आयोजन

बिम्टेक के स्थापना दिवस के महोत्सव का यह आयोजन एक सप्ताह तक यूँ ही चलता रहेगा और इस दौरान कई तरह के उत्कृष्ट आयोजन किए जाएंगे। इसी दौर में आज अस्मिता थिएटर ग्रुप द्वारा एक बेहतरीन नाटक का मंचन किया जाएगा।

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