सृजनी : भारतीय मूल की मातृशक्तियाँ बनी वैश्विक संस्कृति की संवाहक

Ten News Network

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हिंदी भाषी भारतीयों के लिए हिंदी मात्र भाषा नहीं बल्कि मातृभाषा और अक्सर विदेशों में रहने वाले एनआरआई भारतीय इस भाषा की खुशबू में ही देश की महक ढूंढ़ लेते हैं।

ऐसा ही एक प्रयास कर रहीं हैं विदेशों में रहने वाली चार भारतीय मूल की महिलाएं। “हिन्दी से बने और हिन्दी को बनाएंगे” ऐसी भावना मन में रखकर हिन्दी के प्रचार प्रसार को बचाने में जुटी इन महिलाओं में कोई इंजीनियर है तो कोई ब्लॉगर, पर उन सबको एक सूत्र में पिरोता है उनका हिंदी को लेकर प्रेम।

‘सृजनी’ नाम से एक सृजनात्मक फेसबुक पेज का आरम्भ करने वाली ये चार महिलाएं हैं अमेरिका निवासी अर्चना पांडा जो की इंजीनियर हैं, कविताएं लिखती हैं और एक प्रसिद्ध आरजे भी हैं, वैंकूवर कनाडा की प्राची चतुर्वेदी रंधावा’ जो आईटी प्रोफेशनलिस्ट,
यूट्यूबर, ब्लॉगर और चर्चित साहित्यकार भी हैं, आईओवा, अमेरिका की डॉ. श्वेता सिन्हा जो एक उत्कृष्ट पर्यावरणविद के साथ-साथ एक साहित्यकार भी हैं और कोलोन, जर्मनी की डॉ शिप्रा शिल्पी सक्सेना’, जो एक प्रसिद्ध साहित्यकार, कवयित्री, मंच संचालिका, यूट्यूबर, ब्लॉगर एवं मीडिया इंस्ट्रक्टर हैं।

इन्हीं महिलाओं ने “सृजनी” को शुरू करने का प्रण लिया जिसके माध्यम से उनका प्रयास है की विभिन्न साहित्यिक अनुष्ठान जैसे की काव्य गोष्ठियों, साहित्यिक गोष्ठियों, कथाओं, परिचर्चा, साक्षात्कार, पारम्परिक कलाओं, संस्कृतियों, त्योहारों से जुड़ी परम्पराओं को सबके समक्ष, प्रस्तुत करा जाए।

इस फेसबुक पेंज के लांच के बाद से ही यह चर्चाओं में है और इसे ना सिर्फ भारत बल्कि कनाडा, जर्मनी, तंजानिया, अमेरिका,बेल्जियम आदि में रहने वाले भारतीयों का भी खूब समर्थन मिल रहा है।

कल एक विशेष कार्यक्रम के माध्यम से टेन न्यूज़ लाइव से सृजनी का शुभारम्भ किया गया जिसमें यह चारो महिलाएं शामिल हुई और अपने बारे में बताया । इन्होंने कहा कि यह सब परिवार के सपोर्ट के चलते ही संभव हुआ है और कहीं ना कहीं हमे बचपन में हिन्दुस्तान की मिट्टी से मिले संस्कारो के कारण आज हम यह शुभ कार्य कर रहे हैं।

अर्चना पांडा इस बातचीत के दौरान बोली कि, “मेरे लिए एक इंजीनियर या एक आरजे होना बेहद आसान है लेकिन हर व्यक्ति के लिए मुश्किल होता है अच्छा इन्सान होना और हम सब इसी लिए सृजनी के माध्यम से अच्छा इन्सान बनना चाहते हैं आपसे जुड़ना चाहते हैं।” आगे इन्होंने बताया कि इनका यह प्रयास अपनी भाषा के साथ- साथ विश्व की अन्य भाषाओं के साहित्य, कला, पुरातन एवं पारम्परिक कलाओं के संवर्धन का है, जिससे आगे आने वाली हमारी पीढ़ियां हमारी समृद्ध परम्पराओं और संस्कृति से जुड़ी रहें।

बातचीत को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर श्वेता सिन्हा ने कहा कि, “मैं आज जो कुछ भी हूं सब मेरे पिता, ससुर और पति के चलते उन्होंने हमेशा मुझे सपोर्ट किया और मेरे भाई बहनों ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”बातचीत का क्रम आगे बढाकर डाक्टर श्वेता बोली कि, “हमारी संस्था सिर्फ युवकों के लिए नहीं है अपितु इसमें बच्चे और बुजुर्ग के लिए भी कुछ खास होने वाला है, इन्होंने कहा हम चर्चाओं परिचर्चाओं का आयोजन करेंगे, प्रतियोगिताओं का आयोजन करेंगे और साथ में समय समय पर सम्मेलनों का भी आयोजन होगा जिसमें विश्व भर से लोग आएंगे।”

टेन न्यूज़ लाईव के वर्चुअल शो “सृजनी- द क्रिएटिव वोमेन” में प्राची चतुर्वेदी ने कहा कि, “मैं हमेशा से ही घुमक्कड़ स्वभाव की रहीं हूं शायद इसी कारण मैं विभिन्न संस्कृतियों से स्वयं को जोड़ पाती हूं और कविताओं में उन्हें लिख पाती हूं।”

डॉक्टर शिप्रा शिल्पी ने इसी कड़ी में कहा कि, “हिन्दुस्तान में हिन्दी की प्रासंगिकता पर आँच इस लिए आ रही है क्योंकि हम अपनी भाषा के लिए प्रतिबद्ध नहीं हैं भाषा के लिए प्रतिबद्ध होना हमें जर्मनी से सीखना होगा।” शिप्री आगे बोली हिन्दी राष्ट्र भाषा तभी बनेगी जब हम इसे जन मन की भाषा बना लेंगे।

कार्यक्रम के अंत में इन चारों ने अपनी कविताओं से समा बांधा और सबसे आग्रह किया और आग्रह किया की सृजनी से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ कर इस अभियान को सफल बनाएं।

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