World Cancer Day: पढ़े कुछ महत्यपूर्ण तथ्य और कैंसर जोखिम को कम करने के उपाय

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कैंसर, सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है। हर साल तमाम तरह के कैंसर के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। लोगों में इस गंभीर रोग को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 4 फरवरी को ‘वर्ल्ड कैंसर डे’ मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कैंसर निश्चित ही काफी घातक बीमारी है, पर अगर इसके बारे में लोगों को सही जानकारी हो तो स्थिति का समय से निदान किया जा सकता है। कैंसर की समय से पहचान हो जाने पर इलाज और इसके कारण होने वाली गंभीरता और मौत के खतरे को कम किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें कैंसर से होती है | सबसे ज्यादा  कैंसर के शिकार नशा करने वाली युवा पीढ़ी हो रही है | कैंसर के 70 फीसद केस तीसरे चरण में पहुंचते हैं अस्पताल|

2. कैंसर शब्द की उत्पत्ति – कैंसर शब्द की उत्पत्ति का श्रेय यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स (460-370 ईसा पूर्व) को दिया जाता है। इन्‍हें “चिकित्सा का जनक” भी माना जाता है।

3. सबसे कॉमन कैन्सर – आम स्किन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, मेलानोमा, लिम्फोमा, किडनी कैंसर हैं। महिलाओं में सबसे ज्‍यादा स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, सर्वाइकल, और थायराइड कैंसर होता है, वहीं, पुरुषों में फेफड़े, प्रोस्टेट, कोलोरेक्टल, पेट और लिवर का कैंसर सबसे ज्यादा पाया जाता है।

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) रिपोर्ट – विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में विश्व भर में कैंसर के लगभग 1.81 करोड़ मामले आए, इसमें 96 लाख मरीजों को बचाया नहीं जा सका. इनमें से 70% मौतें भारत जैसे मध्य आय एवं कुछ अत्यंत गरीब देशों में हुईं. इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दुनिया भर में कैंसर से हुईं 8% मौतें केवल भारत में हुईं |

5. सिक्स सिग्मा मेडिकल रिसर्च द्वारा प्रकाशित संकलित लेख में बताया गया है कि भारत वर्ष में पुरुषों में फेफड़े, मुंह, भोजन की नली एवं पेट का कैंसर तथा स्त्रियों में स्तन और गर्भाशय का कैंसर विशेष रूप से हो रहा है। कैंसर की जल्द पहचान और जल्द उपचार ही इसका बचाव है | मूत्र, मल या योनि से रक्त आ रहा है स्तन या शरीर के किसी भाग पर गांठ है लंबे समय से बलगम आ रहा है, सांस लेने में तकलीफ हो रही है, भूख कम हो गई हो, शरीर का वजन लगातार गिरता जा रहा हो शरीर का कोई घाव नहीं भर रहा हो, हीमोग्लोबिन का स्तर लगातार गिरता जा रहा हो तो जाँच ज़रूरी है |

6. डा० प्रदीप भारद्वाज, मेडिकल चीफ़ – सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के अनुसार, लगभग 22 प्रतिशत कैंसर से होने वाली मौतों का कारण तंबाकू का सेवन है। अन्य 10 प्रतिशत मोटापे, खराब आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी या अत्यधिक शराब पीने के कारण होते हैं। अन्य कारकों में कुछ संक्रमण, आयनकारी विकिरण के संपर्क में आना और पर्यावरण प्रदूषक शामिल है। विकासशील देशों में 15 प्रतिशत कैंसर हेलिकोबैक्टर पाइलोरी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाटिस सी, मानव पेपिलोमावायरस संक्रमण, एपस्टीन-बार वायरस और मानव इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (एचआईवी) जैसे संक्रमणों के कारण होते हैं। आमतौर पर, कैंसर विकसित होने से पहले कई आनुवंशिक परिवर्तनो की आवश्यकता होती है। लगभग 5-10 प्रतिशत कैंसर वंशानुगत आनुवंशिक दोषों के कारण होते हैं। कुछ संकेतों और लक्षणों या स्क्रीनिंग परीक्षणों से कैंसर का पता लगाया जा सकता है। इसके बाद आमतौर पर मेडिकल इमेजिंग द्वारा इसकी जांच की जाती है और बायोप्सी द्वारा पृष्टि की जाती है।

Dr. Pradeep Bhardwaj

7. सबसे ज़्यादा महिलाएँ हो रही हैं कैन्सर का शिकार – महिलाओं में सबसे अधिक मौत ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय कैंसर और सर्वाइकल कैंसर से होती हैं। पुरुषों में सबसे अधिक मौतें फेफड़ों, आमाशय, यकृत, मल मार्ग और ब्रेन कैंसर से होती हैं। कैंसर से मरने वाले लोगों में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों से अधिक है।

कैंसर जोखिम को कम करने के उपाय

धूम्रपान न करने, स्वस्थ वजन बनाए रखने, शराब का सेवन सीमित करने, बहुत सररी सब्जियां, फल और साबुत अनाज खाने, कुछ संक्रामक रोगों के खिलाफ टीकाकरण, प्रसंस्कृत मांस और लाल मांस की खपत को सीमित करने से कुछ कैंसर के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है। कैंसर के खतरे को काफी हद तक जीवन शैली में बदलाव करके टाला जा सकता है। इसके लिए आपकाे अपनी इच्छा, जीवन शैली, नियंत्रित अहार, नियमित व्यायाम जरुरी है। अनियंत्रित जीवन शैली जिस तेजी से बढ़ी है, उसी तेजी के साथ कैंसर के मरीज बढ़े हैं। संतुलित पौष्टिक भोजन, दिनचर्या, ऋतुचर्या का पालन करते हुए नियमित रूप से योग, प्राणायाम आदि कर स्वस्थ रहा जा सकता है।

ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे

डा. भारद्वाज ने कहा कि खेती में उपयोग होने वाले उर्वरकों और कीटनाशक से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है. उन्होनें सरकार से भी अनुरोध किया कि सरकार ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे | कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए हमें जैविक खेती पर ध्यान देने की आवश्यकता है |

उन्होंने बताया कि यह एक बहुत कठोर वास्तविकता है कि मरीज कैंसर विशेषज्ञ के पास देर में प्रस्तुत होता है बल्कि कई अपना अधूरे उपचार के बाद पहंचते हैं। बहुत से मरीज पित्त की थैली के कैंसर का दूरबीन विधि से आपरेशन कराने के बाद चिकित्सक के पास उपस्थित होते हैं। उसी प्रकार से स्तन कैंसर के मरीज का आधा स्तन निकलवाने के बाद तथा बच्चेदानी के मरीज गर्भाशय निकलवाने के बाद। डा. भारद्वाज ने बताया कि मरीज हमारे यहां आपरेशन के बाद बिना बायोप्सी के रिपोर्ट एवं बिना उपचार अभिलेख के पहुंचते हैं। यह समझाना महत्वपूर्ण है कि यदि कैंसर प्रारम्भिक अवस्था में और विशेषज्ञों द्वारा सही उपचार किया जाए तो ठीक हो जाता है।

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