AMRAPALI CMD ANIL SHARMA ON GREATER NOIDA WEST – PATWARI VILLAGE LEGAL TANGLE
NOIDA ROHIT SHARMA
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के पतवाड़ी गांव का जमीन अधिग्रहण का मुद्दा एक बार फिर सुर्ख़ियों में आ गया है । हाईकोर्ट ने प्राधिकरण को 30 दिन के भीतर किसानों की जमीन और बिल्डरों को निवेशकों का पैसा लौटाने का फरमान सूना दिया है । गौरतलब है की मौजूदा समय में पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर जमीन पर एक दर्जन बिल्डरों के 21 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। फ्लैटों में 20ए000 से भी अधिक निवेशकों का पैसा फंसा हुआ है । वहीँ सेक्टर दो व तीन में एक हजार से भी ज्यादा प्राधिकरण के आवंटियों के मकान और प्लाट हैं। नर्सरी स्कूल से लेकर इंटर कालेज तक आधा दर्जन शिक्षण संस्थाओं के प्लॉट भी इसी गांव में हैं । इन सब पर एक बार फिर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। जानकारी के लिए बता दें पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर जमीन को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने वर्ष 2008 में अधिग्रहण किया था। अधिग्रहण अर्जेंसी क्लॉज लगाकर किया गया और इसके दायरे में लोगों के पुस्तैनी मकानों को भी शामिल कर लिया गया। जमीन अधिग्रहण के विरोध में दर्जनों किसानों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। किसान हरकरण सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार के मामले में 19 जुलाई 2010 को फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने पतवाड़ी का जमीन अधिग्रहण रद कर दिया। इससे पूर्व राधेश्याम बनाम उत्तर प्रदेश के मामले में मकोड़ा और ऐसे ही एक मामले में शाहबेरी गांव में भी अधिग्रहण रद्द किया जा चुका था। पतवाड़ी गांव की जमीन को प्राधिकरण करीब एक दर्जन बिल्डरों को बेच चुका था। इस गांव में ग्रुप हाउसिंग के 21 प्लॉट आवंटित किए गए। प्राधिकरण ने सेक्टर दो में 172 व 200 वर्ग मीटर के करीब 500 प्लॉट आवंटित किए और सेक्टर तीन में 120 वर्ग मीटर के बने बनाए मकान भी आवंटित कर दिए थे। पतवाड़ी में जमीन अधिग्रहण रद्द किए जाने के फैसले से बिल्डरए निवेशक और प्राधिकरण अफसरों में हडकम्प मच गया। आनन.फानन में प्रदेश सरकार के केबिनेट मंत्री और स्थानीय सांसद सक्रिय हुए और प्राधिकरण व किसानों के बीच 550 रुपए अतिरिक्त दिए जाने का फैसला करा दिया। दोनों पक्षों के बीच हुए इस फैसले को आधार मानकर हाईकोर्ट की बड़ी बैंच ने 21 अक्टूबर 2011 को फैसला सुनाया कि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों को 64ण्7 फीसदी दरें बढाकर मुआवजा दिया जाए और दस फीसदी आबादी प्लॉट दिया जाए। गांव में करीब 90 फीसदी किसानों ने बढी दरों पर मुआवजा ले भी लिया लेकिन इस पर भी कुछ किसान दोबारा हाईकोर्ट चले गए और कुछ ने सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दे डाली। हाईकोर्ट ने करीब तीन माह पूर्व बृहमपालसिंह व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए किसानों को उनकी जमीन वापस करने का फैसला सुना दिया। प्राधिकरण और जिला प्रशासन ने फैसले पर अमल नहीं किया लिहाजा एक माह का अतिरिक्त समय दे दिया गया। इस पर भी जब अमल नहीं हुआ तो 23 जुलाई को प्राधिकरण और जिला प्रशासन के अफसरों को कड़ी फटकार लगाते हुए 30 दिन के भीतर किसानों की जमीन लौटाने का आदेश सुना दिया है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि इस अवधि में खतौनी में किसानों के नाम दर्ज नहीं किए गए तो इसे कोर्ट की अवमानना समझा जाएगा। पतवाड़ी की जमीन पर प्रोजेक्ट चला रहे बिल्डरों से कहा है कि वे निवेशकों का पैसा लौटा दें और जिलाधिकारी व अपरजिलाधिकारी भूअध्यापित से कहा है कि खतौनी से प्राधिकरण का नाम खारिज कर किसानों का नाम दर्ज किया जाना सुनिश्चित करें। इधर हाईकोर्ट के फैसले से किसान खुश हैं। जमीन अधिग्रहण के समय अर्जेंसी क्लॉज लगाकर जबरन जमीनें ली गई थीं। अब ग्रामीणों को न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है।
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