ईवीएम को लेकर फिर हमलावर हुई आप, लगाया वीवीपैट खरीद में कोताही का आरोप

ROHIT SHARMA

Galgotias Ad

नई दिल्ली :– आप पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जितने भी ईवीएम मशीन हैं , उसमें वीवीपीएटी लगाया जाए। ताकि लोगों का भरोसा बना रहे। वही 2017 में जब बड़े पैमाने पर ईवीएम मशीन पर आरोप लगे तो , बीएसपी और कुछ पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली । जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था की 2018 के सिंतबर तक जितनी भी ईवीएम मशीन है उनके साथ वीवीपीएटी लगाएं । जिसको लेकर केंद्र सरकार चुनाव आयोग ने इस मामले में सहमति बना ली ।

जिसके बाद केंद्र सरकार ने अभी तक सिर्फ 22 प्रतिशत वीवीपीएटी मशीन खरीदी है । साथ ही उनका कहना है कि 2019 में लोकसभा के चुनाव होने वाले है , लेकिन अभी तक पूरे देश के लिए वीवीपीएटी मशीन नही खरीदी है । जिससे साफ ये पता चलता है कि आने वाले 2019 के चुनाव में फिर बीजेपी अपने आपको जिताने के लिए ये काम कर रही है ।

सौरभ भारद्वाज का कहना है कि 16.5 लाख मशीन चाहिए 2019 के चुनाव के लिए। लेकिन अब तक मात्र 22% मशीन आयी है। यानी केंद्र ने पूरी साज़िश कर ली है चुनाव में गड़बड़ करने के लिए। ECIl और bel दोनों सरकार के अंदर संस्थाएं हैं। कह रहे हैं कि 2018 सितबर तक 16.5लाख मशीन दे देंगे। यानी हर चीज की प्लानिंग की गई है। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने सारी योजना बना ली है 2019 में गड़बड़ झाला करने की।

वही दूसरी तरफ आप पार्टी के राज्यसभा सांसद संजह सिंह का कहना है कि पुरानी मशीनों के जरिये चुनाव जीतने का खेल बीजेपी पूरे देश मे खेल रही है। अगर सुप्रीम कोर्ट में सरकार और चुनाव आयोग ने शपथ पत्र दिया था तो केवल 22%मशीनें क्यों आयी। अमेरिका, जापान, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों में बैलट पेपर से चुनाव होते हैं तो भारत में भी ऐसे चुनाव कराये। भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है । इसे बचाइए और पुरानी मशीनों से चुनाव मत कराइये।

वही उनका कहना है कि इस मामले में सारी पार्टियों से सम्पर्क करूँगा कि सब मिलकर चुनाव आयोग पर दवाब बनाएं।अगर पुराने ईवीएम मशीन से चुनाव हुए तो हम उसमें भाग लेंगे या नहीं ये तो पार्टी तय करेगी लेकिन मेरा मानना है कि ऐसे में आप वोट किसी पार्टी को दीजिये वोट जाएगा विकास के पापा (नरेंद्र मोदी) को जाएगा ।

Leave A Reply

Your email address will not be published.