आचार्य बाल कृष्ण पंतजलि आयुर्वेद, हरिद्वार
पवित्र पीपल वृक्ष को मानवता की सभ्यता के अनन्तकाल से ही हिन्दूओं द्वारा पूजा जाता है। लेकिन पीपल वृक्ष धार्मिक मान्यता के अलावा औषधीय गुणों से भरपूर है तथा अनेक असाहय मानी जाने वाली बीमारियों का पीपल के उपयोग से स्थाई उपचार किया जा सकता है। मुख्यतः भारतीय उपमहाद्वीप में उगने बाले इस पावन पीपल वृक्ष को औषधीय गुणों का भण्डार माना जाता है तथा इसके उपयोग से नपंुसकता अस्थमा गुर्दे, कब्ज, अतिसार तथा अनेक रक्त विकारों का सुगम घरेलू उपचार किया जा सकता है।
पंतजलि आर्युवैद के आचार्य बाल कृष्ण जी के अनुसार पीपल की पत्तियों बीज, छाल, जड़े, तने, टहनियों में औषधीय गुणों का भण्डार पाया जाता है। पीपल को प्राचीन भारतीय सांस्कृति काल से ही औषधीय पौधे के रूप में प्रयोग किया जाता है।
आचार्य बाल कृष्ण जी के अनुसार पीपल के पौधे के औषधीय उपयोग से निम्नलिखित रोगों के सफल उपचार के किए जा सकते है।
खूनी दस्त अतिसार:- पीपल के कोमल तने, बीज, क्रिस्टल चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर इसमें मिश्रण बना लें तथा दिन में इस मिश्रण को आवश्यकतानुसार 3-4 बार लें। इसके सेवन से खूनी अतिसार बन्द हो जाऐंगे।
भूख कम लगना:- पीपल के पके हुए फलों के उपयोग से भूख कम लगना खांसी, पित्त, रक्त सम्बन्धी विकार तथा उल्टियां आदि का स्थाई उपचार सम्भव है।
पेट दर्द:- पीपल पौधे की 2-5 पत्तियों का पेस्ट बनाकर उसे 50 ग्राम गुड में मिलाकर मिश्रण बना लें तथा इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर दिन में 3-4 बार सेवन से पेट दर्द में राहत मिलेगी।
अस्थमा:- पीपल छाल तथा पक्के हुए फलो का अलग-अलग पाऊडर बनाकर उसे समान मात्रा में मिला लीजिए। इस मिश्रण को दिन में 3-4 बार सेवन से अस्थमा रोग से मुक्ति मिलती है।
सांप काटने पर:- जहरीले सांप के काटे जाने पर पीपल की कोमल पत्तियों के रस की दो-दो बूंदे लें तथा उसकी पत्तियों को चबाऐ। उससे सांप के विष का असर कम होगा।
त्वचा रोग:- पीपल की कोमल पत्तियों को चबाने से त्वचा की खारिश तथा अन्य रोगों का उपचार होता है। पीपल की पत्तियों की 40 मिलि लीटर चाय का सेवन भी अत्यन्त प्रभावकारी साबित होता है।
दाद खाज खुजली:- 50 ग्राम पीपल की छाल की राख बनाकर इसमें नींबू तथा घी मिलाकर इसका पेस्ट बना कर इस पेस्ट को प्रभावित अंगों पर लगाने से आपको तुरन्त शीतलता प्राप्त होगी। पीपल की छाल की 40 मिली लीटर चाय के प्रतिदिन सेवन से भी राहत मिलती है।
फटी एड़ियां:- फटी एड़ियों पर पीपल की पत्तियों का रस या उसका दूध लगाए तथा उससे पूरा उपचार मिलेगा।
रक्त की शुद्धता:- 1-2 ग्राम पीपल बीज पाऊडर को शहद में मिलाकर प्रतिदिन दो बार उपयोग से रक्त शुद्ध होता है।
नपूंसक्ता:- पीपल के फल के पाऊडर का आधा चम्मच दिन में दूध के साथ तीन बार लेने से नपंुस्कता समाप्त हो जताी है तथा शरीर बलवान बनता है।
पीपल फल, जड़े, छाल तथा शुन्गा को बराबर मात्रा में लेकर इसमें शहद मिलाकर खाने से सैक्स ताकत में बढ़ौतरी होती है।
कब्ज:- पीपल के 5-10 फल प्रतिदिन सेवन में कब्ज रोग का स्थाई समाधान होता है।
लीवर रोगों के लिए:- 3-4 ताजा पीपल की पत्तियों को क्रिस्टल चीनी में मिलाकर इसका पाऊडर बना लें। इस पाऊडर को 250 ग्राम पानी में मिलाकर मिश्रण को छान लें। इस स्कवायस को रोगी को 5 दिन तक दिन में दो बार दें। यह मिश्रण पीलिया रोग में अत्यन्त प्रभावकारी साबित होता है।
मेरूदण्ड में सूजन आने पर 10-20 ग्राम पीपल की छाल को जलाकर इसमें बराबर मात्रा में कलमी शोरा मिलाकर इसे पके हुए केेले में डालकर ग्रहण कर लजिए। प्रतिदिन ऐसे केले के सेवन से इस बीमारी से मुक्ति मिलेगी।
हिचकी आने पर: 50-100 ग्राम पीपल की छाल का चारकोल बनाकर इस पर पानी से बुझा दें। इस पानी के सेवन से हिचकी आनी बन्द हो जाती है।
आंखों में दर्द:- पीपल की पत्तियों का दूध को आंखों पर लगाने से आंखों की पीड़ा कम होगी।
दांत दर्द:- पीपल तथा वट वृक्ष की छाल बराबर मात्रा में लेकर इस मिश्रण बना लें इस मिश्रण को गर्म पानी में उबाल कर इससे कुल्ला करने दांत दर्द समाप्त हो जाता है।
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