क्या हम कुर्बान होते रहेंगे मुझे चाहिए आजादी ,दे दो कोई – लेखक-सुधीर बाबू

क्या हम कुर्बान होते रहेंगे  मुझे चाहिए आजादी  ,दे दो कोई

लेखक-सुधीर बाबू

क्या हम कुर्बान होते रहेंगे , पल ,पल घुट -घुट कर मरते रहेंगे। दहेज़ के नाम पर क्यों हमपें जुल्म किया जा रहा है।  हमको निर्वस्त्र करके गलियों में घुमाया जाता है। हमारे माथे पर टैटू गुदवा दिया जाता है कि इसका बाप चोर है आखिरकार क्यों ? हम उस वक्त तक पवित्र थे जब अपने घर द्वार को छोड़ अपनों को छोड़ जान से ज्यादा प्यारे माँ ,बाप भाई ,बहन सबको छोड़ के तुम्हारे घर आई थी तक सब कुछ ठीक था अब मैं गलत कैसे हो गयी हूँ।  जब तुम्हारे द्वारा माँगा गया दहेज़ हमारे बापू नहीं दे पाये तो तुमने हमारे पे अत्याचार करना शुरू कर दिया  .जुल्म की हद पार कर दी तुमने कि उस इज्जत को लुटवा दिया आज तुमने जो कल तक तुम्हारे घर की शान थी मुझे बेहोश करके जयपुर के अमीर जगह  से सुनसान जगह लाया गया जहां पर माथे पर हाथ पर चेहरे पर टैटू गुदवा दिया गया। और फिर बारी ,बारी करके रेप किया गया मेरा केवल इस लिए कि मेरे मायके वालों ने ५१ हजार रुपये दहेज़ के नहीं दे पाये इस खातिर। तेज़ाब डाला गया मेरे पर आखिर कार क्यों। मई भी किसी की बेटी हूँ तुम्हारी भी बेटी होगी ,उसको जब तंग  किया जाएगा तब तुमको मेरा दर्द पता चलेगा।  मुझे ना जाने कैसी। कैसी गाली दी है तुमने जब हमको विदा करने गए थे तुम तब हम उस समय पवित्र थे अब मेरा चरित्र गंदा हो गया है।  अगर मेरा चरित्र गंदा किया है किसी ने वो हो तुम तुम्हारी माँ जो हमारी सास हो।  हमने अपनी इज्जत को केवल तुम्हारे हवाले करके मैं निर्वस्त्र हो गयी थी सिर्फ तुम्हारे लिए।

उस समय मैं बहुत खूब सूरत थी जब हर रोज तुम्हारी नग्न जांघों को तेल मालिश करती थी और तुम्हारे चरणों के सेवा अब तक कर रही थी।  मुझे रात ,रात भर भूखें भेड़िये की तरह तुम हमारे नंगे बदन को नोचते रहे हम उस दर्द को सहते हुए हंसती रही इस लिए की तुम हमारे पति हो।  आज उसी पति ने निर्वस्त्र अपनी पत्नी को उस दर्द से ज्यादा दर्द दिया आज जब मैं बेहोश होकर जंगल में लाई गयी कितने हरामियों ने हमारे बदन को गोस्त समझकर  सामने नोचते रहे और तुम देखते रहे इसलिए कि तुमको कहे अनुसार दहेज़ नहीं मिला।  किस मिट्टी के बने हो तुम ,तुम्हारी भी माँ उससे पूंछो  जाके कितना दर्द होता है संभोग के समय और उससे भी ज्यादा कई गुना दर्द उस समय होता है जब बच्चा जन्म लेता है।  कितना दर्द हुआ होगा उस माँ को जिस  माँ की मैं बेटी हूँ जिसके साथ तुमने आज ये गुनाह किया है भगवान् भी काँप गया होगा तुम्हारे इस कुकर्म से। ये वही स्तन है मेरे सीने पे जिसको तुमने हर रात नोचते रहे अपने मजे के लिए। ये आँचल एक माँ के लिए होते है अपने बच्चे को दूधपान कराती है जिससे उसका बच्चा ज़िंदा रहता है और बड़ा होता है उसी दूध से जो उसकी मन ने जमाने से बचकर अपने बच्चे को दूध पिला पिला कर बड़ा करती है।  तुमको ज़रा भी शर्म ,बेहया नहीं आई। कास मैं तुम्हारी पत्नी बनने से अच्छा था की वेश्या बन जाती जो भी बंद कमरे में अपनी इज्जत को तार तार कर बेचती है वो। तुमने खुलेआम एक या दो नहीं चार ,चार हरामियों के हवाले कर दिया मुझको।  इस देश में न्याय नहीं है अब , महिलाओं ,बेटियों के लिए तमाम योजनाएं बस पन्नों तक सीमित है आह भी यह भाग्य विधाता पुरुष प्रधान देश है मेरा भारत।  हर रोज हर घण्टे मौत को गले लगा रही हूँ हर पल हमारे साथ रेप,बलात्कार ,हत्या ,अपरहण ,लूट हमारे निजी अंगो में लोग बोतल ,कांच ,सरिया यहाँ तक की अपने हाथों से हमारे जननांगों में हाथ डाल कर हमारी आंत निकाल लेते है और मुझे तड़पता वही छोड़ दिया जाता है।  तड़पती रहती हूँ खाना पूर्ती के लिए सरकारें हमारी लूटी गयी इज्जत की बोली लगाती है एक आदमी ने रेप किया उसको जेल ,और इस लड़की ,महिला को  पांच लाख मुवाजा दे दो।  देना अगर चाहते तो हमारा मान ,सम्मान वही फिर से लौटा दो लूटी गयी इज्जत को फिर से लौटा दो।  मैं कोई जयपुर के अमीर  राजस्थान की एक कहानी नहीं है ये हर रोज एक सच्ची घटना घट रही है कहने को इस देश में क़ानून है ,उम्र कैद से लेकर फांसी तक।  साफ का फरमान अगर तुम ज़िंदा बच गई तो हर रोज पेशी होगी ,और ये कहा जाएगा दहेज़ का अपराधी पहुंचा पेशी पर और मुझे कोई नाम दिया जायेगा दमनी जैसा।  हर रोज उसको सजा नहीं होगी हमको होगी क्यों की मेरे नाम से अपराधी जाना जाएगा ,और मैं रोज घुट ,घुट कर मरती रहूंगी अगर जिंदा बची उस हादसे से।  उस दिन केवल एक बार रेप हुआ था मेरे साथ लेकिन कानून के लोगों ने हर रोज , हर पेशी पर हर अदालत में मेरा रेप होगा। दहेज़ के नाम पर मेरा रोज कत्तल होगा।  रोज टैटू गड़ाएं जायेंगे ,रोज रोज दहेज़ मांगा जाएगा।  मेरे बदन की बोली लगेगी। मुझसे सवाल पूंछे जायंगे हर पुलिस वाला ये सवाल करेगा  तुमको कहाँ ,कहाँ टॉर्चर  किया गया कितने लोग थे जब तुम्हारा रेप हुआ तुमको मजा आया था या नहीं ,तुमने उसका विरोध क्यों नहीं किया ,अनगिनत सवाल होंगे उनके ,लगेगा ऐसा कि उस दिन रेप नहीं हुआ था  इतना बुरा मेरे साथ ,जो आज हो रहा है ,उस दहेज के लिए मैं अपने आप को जल लेती तो तो आज हर पल मेरे साथ दहेज़ के साथ मेरा बलत्कार नहीं होता।   कहने कानून बड़ा सख्त है मेरे देश का।  भारतीय दण्ड सहिंता भी है उसकी ३७६ की धारा में लिखा गया साफ साफ बलात्कार करने वाले को उम्रकैद की सजा  या ६ साल की जेल , गज़ब का कानून है मेरे देश का।  उस कानून का पालन करने लोग बहुत अच्छे है। इस देश में महिलाओं को मंदिर नहीं जाने दिया जाता शनिसिंगापुर में जैसे बहुत उदाहरण  है नहीं होती भू माता ब्रिगेड तो जाना आज भी असम्भव होता।  मेरा देश तरक्की कर रहा है महिलाओ ,बेटियों का बराबर का दर्जा दे रहा है यही दर्जा है।  किसी महिला के साथ रेप ,तो कोई दहेज़ के लिए अमुंबई के हाजी अली दरगाह में महिलाओं को दरगाह नहीं जाने दिया जा रहा है ये उनका सरिया क़ानून है। अगर सरिया कानून में तो महिलाओं  में बराबरी का दर्जा दिया है। कुछ गलत करते है ये तो भारत के कानून में आ जाते है।  कौन सा न्याय है इस देश का। प्रत्येक घण्टे एक महिला की मौत केवल दहेज़ प्रताड़ना के चलते हो रही है। हर घण्टे चार रेप हो रहे है और हर घण्टे एक घिनौना रेप हो रहा है। १९६१ में दहेज़ को लेकर कानून  बना जिसकी धारा ३ में कहा गया कि दहेज़ देने वाले और लेने वाले दोनों को तीन साल की सजा  की कठोर दण्डवास की सजा प्रावधान किया गया। कितना कारगर है सबको पता है ,२०१४ में एनसीआरटी के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि ८,४५५ मामले दहेज़ समन्धित आये , १०१२ से २०१४ के बीच २६,७७१ महिलाओं की मौत सिर्फ दहेज़ के चलते हुई है।  ये हमारा देश है जहां पर लोग अपने तन ,और मन की आग बुझाने के लिए इतनी  नंगई पर उत्तर आये है कि बहू ,बेटियों की इज्जत को लूट रहे है ,खरीद रहे है सब्जी की तरह।  इतने भूखें है जिस्म के कि महिलाओं के जिस्म को अपने दांतों से काटते है रेप करने के दौरान।  बेटियां ,बहुए,महिलाएं ,माएँ सभी शांत क्यों हो।  कहां गया वो आक्रोश आपका काली ,दुर्गा को भूल गयी क्या। वही रूप में आ जाओ आप पनी जान दे रही है किसी की इज्जत दिन दोपहरी लुट रही है।  वाह रे बराबरी कहने वाला देश।

 

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