आईएमए ने भारत में बुजुर्गों के प्रति दुव्र्यवहार कम करने के लिए, उन्हें उनकेे कानूनी अधिकारों की जानकारी देने की अपील की
नई दिल्ली, 15 जून: बुजुर्गों के प्रति दुव्र्यवहार की बढ़ती घटनाओं को उजागर करने और इसके बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए, आईएमए ने अनुग्रह फाउंडेषन के सहयोग से एक संगोष्ठी आयोजित की। इस अवसर पर फाउंडेषन के 400 से ज्यादा बुजुर्ग लोग मौजूद थे।
आईएमए के राश्ट्रीय अध्यक्ष रवि वानखेडकर ने कहा, ‘‘इस संगोश्टी का उद्ेदष्य बुजुर्गों के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों के साथ-साथ उनके लिए उपलब्ध अवसरों का पता लगाना। साथ ही सभी वरिष्ठ नागरिकों, उनका देखभाल करने वालों, सरकार और निजी कपंनियों को बुजुर्गों के खिलाफ किसी भी तरह की षारीरिक, मानसिक, वित्तीय या भावनात्मक हिंसा को कम करने के बारे में विचारों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है। इसके अलावा हम वरिष्ठ नागरिकों को ऐसे दुव्र्यवहार के खिलाफ उनके स्वयं की सुरक्षा के लिए बनाये गये उनके अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहते हैं।’’
संगोष्ठी में बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को कम करने, केस रिपोर्टों की संख्या में वृद्धि करने के लिए बुजुर्र्गों के अनुकूल नीतियां बनाने की तत्काल आवष्यकता पर प्रकाश डाला गया, जिसके लिए सरकार और निजी कंपनियों समेत पूरे समाज को शामिल करने की आवश्यकता है।
आने वाले वर्षों में बुजुर्ग लोगों की संख्या में लगभग सभी देशों में वृद्धि होने की उम्मीद है, और विकासशील देशों में तो बुजुर्गों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की उम्मीद है। विष्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 12 करोड़ से अधिक लोग 60 वर्ष से अधिक उम्र के हैं और इनमें से लगभग 6 प्रतिषत बुजुर्ग किसी न किसी प्रकार का दुर्व्यवहार का शिकार है और ऐसी कई घटनाएं अभी तक दर्ज भी नहीं की गई हैं।
बुज़ुर्ग दुर्व्यहार अभियान के राष्ट्रीय सयोंजक डॉ. डी आर राय ने कहा कि यह चिंता केवल भारत या विकासशील देशों तक ही सीमित नहीं है बल्कि विभिन्न शोधों से पता चला है कि बुजुर्ग हिंसा, उपेक्षा, दुव्र्यवहार और शोषण दुनिया भर में वरिष्ठ नागरिकों द्वारा सामना किए जाने वाले प्रमुख मुद्दों में से एक है।’’
आईएमए के इतिहास में पहली बार, इस सार्वजनिक संगोश्ठी के माध्यम से 80 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को इस संबंध में जानकारी प्रदान करना और उनमें जागरूकता पैदा चाहते है। बुजुर्गों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए, आईएमए ने कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, ईएनटी, गैरियेट्रिक और मानसिक स्वास्थ्य विभागों सहित एक स्वास्थ्य जांच शिविर भी आयोजित किया। वहां मौजूद बुजुर्गों में से 20 प्रतिषत से अधिक बुजुर्गों में प्रथम चरण के डिमेंशिया की पहचान की गई, 42 प्रतिषत बुजुर्गों का हड्डी खनिज घनत्व (और आर्थराइटिस) कम था और उनमें सुनने की समस्याएं भी थीं।
इस तरह के दुव्र्यवहार को कम करने के उद्देष्य के साथ, इस एजेंडा का उद्देश्य बुजुर्गों को इस समस्या के मूल कारण को पहचानने में मदद करना और जागरूकता पैदा करने और नीतियों को बनाने के लिए प्रोत्साहित करना है जो सम्मान को बढ़ावा देते हैं और उन्हें सहायता के लिए उपकरण प्रदान करते हैं। बुजुर्ग दुव्र्यवहार हेल्पलाइन का लॉन्च कर और बुजुर्ग मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक का उद्घाटन कर निश्चित रूप से ऐसे मामलों को कम करने में मदद मिलेगी।
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